- विजयादशमी की जगह एकादशी लगने के बाद हुआ रावण दहन:सूत्र
- रात 11.40 तक नही हो पाया था रावण दहन
- मुहूर्त 10ः33 तक ही था रावण दहन का,कई जगह कई जगह किया गया था उल्लेख
-विशेष संवाददाता-
बैकुंठपुर,13 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। सत्य की विजय असत्य की हार,अधर्म का विनाश और धर्म साम्राज्य की स्थापना के उद्देश्य से प्रति वर्ष दशहरा पर्व मनाया जाता है और बुराई,अधर्म,असत्य के प्रतीक स्वरूप में रावण का दहन किया जाता है और यह संदेश दिया जाता है की आने वाले समय में सभी उद्देश्य की पूर्ति होकर रहेगी जिस उद्देश्य से यह पर्व मनाया जाता है। धर्म, सत्य और अच्छाई की स्थापना के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला दशहरा पर्व इस वर्ष भी मनाया गया जगह जगह रावण दहन का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया और इस दिन मुहूर्त का सही समय का भी ध्यान रखा गया लेकिन बैकुंठपुर शहर में आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में यह देखने को मिला की और यह चर्चा का भी विषय बना की शहर में रावण दहन का मुख्य कार्यक्रम आयोजकों के लिए उनके चेहरे चमकाने का और चंदा उगाही का कार्यक्रम मात्र बनकर रह गया। बताया जा रहा है वहीं कई जगह उल्लेख भी देखने को मिल रहा है की इस वर्ष रावण दहन का कार्यक्रम और उसका मुहूर्त रात 10 बजकर 30 मिनट तक ही था लेकिन बैकुंठपुर में रावण दहन का कार्यक्रम मुहूर्त के बाद हुआ,देर रात तक लोग इंतेजार करते रहे मुख्य अतिथि के आने का और जब देर रात मुहूर्त के बाद मुख्य अतिथि आए तब जाकर रावण दहन हो सका।
बताया जा रहा है और लोगों के बीच चर्चा भी यह सुनने को मिली की आयोजक चूंकि मुख्य अतिथि से काफी सहयोग ले चुके थे इसलिए उनका इंतजार करना जरूरी ही था। वैसे आयोजकों ने वसूली भी जमकर की थी और शासकीय सहयोग भी उन्हे मिला था जो मुख्य अतिथि ने ही मंच से लोगों को बता दिया जिसके बाद लोग यह भी कहते सुने गए की जब आयोजन में होने वाले खर्च की जिम्मेदारी शासन ने ही ले रखी थी तब उगाही जमकर क्यों की गई? वैसे आयोजकों ने बैनर पोस्टर पर जमकर खर्च किया और अपना चेहरा उन्होंने जमकर चमकाया भी वहीं जब मुख्य अतिथि ने सभी के सामने यह जाहिर कर दिया की खर्च होने वाली राशि उन्होंने ने उपलध करा दी है तब आयोजक भी अपना अपना मुंह देखते नजर आए क्योंकि मुख्य अतिथि ने उनकी पोल खोल दी। वैसे लोगों के बीच यह भी चर्चा थी की असल का रावण हो या अधर्म, बुराई या असत्य वह कभी भी अपने पतन के लिए इंतजार नहीं करता वहीं यदि बैकुंठपुर के रावण दहन 2024 की बात करें तो रावण खुद अपने पतन अपने आपको जलाने के लिए मुख्य अतिथि का इंतजार करता रहा जिसके लिए उसे आयोजक मंडल ने मजबूर किया।