- क्रेशर के धूल से ग्रामीण परेशान पर अधिकारी ले रहे एयर कंडीशनर का मजा
- वन,पर्यावरण सहित खनिज विभाग क्रेशर संचालक के सामने नतमस्तक
- क्रेशर संचालक के पैसे के सामने नहीं दिखती संबंधित विभाग के अधिकारियों को कोई कमी?
- खनिज विभाग के अफसर एयर कंडीशनर में मस्त…वही क्रेशर के डस्ट से ग्रामीण त्रस्त
-भूपेन्द्र सिंह-
अंबिकापुर/बलरामपुर,13 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। खनिज विभाग से संबंधित है स्टोन क्रशर संचालकों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है और मनमानी इसलिए उनकी चल रही है क्योंकि उनके पैसे के सामने खनिज विभाग नतमस्तक है, क्रेशर संचालकों की अवैध हैवी ब्लास्टिंग लोगों को परेशान कर रहे पर इसकी गूंज शायद अधिकारी के कानों तक नहीं पहुंच रही,अधिकारी के कानों तक इसलिए नहीं पहुंच रही क्योंकि अधिकारी एयर कंडीशनर लगाकर बंद कमरे में बैठे हुए हैं ना तो उन्हें डस्ट से परेशानी है और ना ही हैवी ब्लास्टिंग के आवाज से, परेशानी तो उन ग्रामीणों की बनी हुई है जो क्रेशर के डस्त व हैवी लास्टिंग से बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। क्रेशर संचालक ना तो पर्यावरण के नियमों के साथ चल पा रहे हैं ना ही खनिज विभाग के नियमों से चल रहे हैं और ना ही वन विभाग के नियमों से चल रहे हैं, यह सभी विभाग चाहते भी यही है कि क्रेशर नियम विरुद्ध तरीके से संचालित होता रहे और क्रशर संचालक इनकी मोटी रकम से जेब भरते रहे और मुंह को बंद किए रहे।
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब अंतरराज्यीय लोगों का भी दबदबा क्रेशर के क्षेत्र में बढ़ रहा है हम बात कर रहे हैं सरगुजा व बलरामपुर जिले के आसपास इलाके में संचालित क्रेशर खदानों की जन्हा उत्तर प्रदेश और हरियाणा के लोगों का गजब का दबदबा देखने को मिल रहा है दूसरे प्रदेश से एक बड़ा गिरोह इन दिनों खनिज उत्पादन एवं उतर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में महगे दाम पर खपाने का बड़ा खेल चल रहा है, बाहरी प्रदेश से आने वाले इन अप्रवासी व्यापारियों का पत्थर अवैध तरीके से वन एवं राजस्व भूमि से निकाले जा रहे हैं, कभी ड्रिल मशीन के जरिए बड़े बड़े होल कर प्रतिबंधित विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल कर ब्लास्टिंग करके पत्थरों को जमीन से निकाला जा रहा है, बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार पर जिला प्रशासन पुलिस या वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान नहीं है, यदि है भी तो कार्यवाई के नाम पर मजदूरों पर मामला दर्ज कर लिया जाता है, खदानों से उड़ने वाली धूल से इलाके का पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा हैं लेकिन सम्बधित पर्यावरण विभाग के अधिकारी कर्मचारी मोटी रकम लेकर खाना पूर्ति कर रहे हैं, इनके द्वारा साल में सभी प्लांट से लगभग लाखों रुपए क्यों जारी है? इस वजह से पर्यावरण विभाग के जटिल नियम का पालन नहीं हो रहा है और क्रेसर संचालक बिल्कुल मनमानी पर उतारू हैं, जिन इलाकों में क्रेसर का संचालन किया जा रहा है वहां पर कोई भी क्रेसर सचालक निवास नहीं करता है यही वजह है कि खूब हैवी लास्टिंग कर एवम पर्यावरण विभाग के भ्रष्ट तिवारीयो कारण इसका पूरा खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा हैं।
क्या मिल रहा हैं इन नियम विरुद्ध उत्खनन करने वालो को पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का संरक्षण?
ग्रामीणों के मुताबित क्रेशर संचालकों को पर्यावरण वन एवं राजस्व विभाग का मौन संरक्षण प्राप्त है मिली जानकारी के अनुसार जिसके चलते वे मनमाने ढंग से पत्थरों का अवैध खनन कर रहे हैं. इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों के इशारे पर ही अधिकारी मजदूरों पर अवैध खनन का मामला बनाकर खानापूर्ति भी कर लेते है. कई ऐसे भी ग्रामीण हैं जिन्हें हजार-दो हजार रुपए देकर उनकी जमीन पर उत्खनन कराया जा रहा है. इलाके में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन से वन क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रभावित होने लगा हैं. क्रशर प्लांट से दिनरात उड़ने वाली धूल व शोर से लोगो का स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा हैं. ग्राम घोरगड़ी व भेस्की आसपास के पहाड़ी कोरवा अवैध ब्लास्टिंग होने के कारण अपना घर छोड़ कर भग रहे है .अवैध लास्टिंग होने के कारण घरों में दरारें पड़ने लगी है. धूल से स्वास्थ्य खराब होने लगा है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ठेकेदारों के द्वारा पहाड़ी कोरवा एवं आदिवासियों का जमीन पर कब्जा कर अवैध ब्लास्टिंग व क्रेशर संचालित है. दर्जनों पहाड़ी कोरवा गांव छोड़कर जंगल की ओर जीवन यापन कर रहे हैं. अंबिकापुर स्थित पर्यावरण विभाग के अधिकारी हर माह इन क्रेसरों में पहुंचते हैं और महीना लेकर लौट जाते हैं बिना जांच पड़ताल के बिना किसी मशीन से चिक किए इनके द्वारा जल और वायु सम्मति दिया जा रहा है, एक स्पेक्टर काफी समय से यहां पर जमा हुआ है और इन अवैध केसर संचालन में इसकी भूमिका संदिग्ध है या साल में एक लाख रुपए की डिमांड करता है अंबिकापुर में रह कर करोड़ों के अवैध वसूली की खबर आ रही है,, वही विभाग का अधिकारी भी इस्पेक्टर के इशारों पर मच रहा है वह भी यदि लीज धारी केसर संचालक जल और वायु सम्मति के लिए जाता है तो अपने इस्पेक्टर और अपने ड्राइवर जो पिछले 15 वर्षों से पूरे इलाके में अवैध वसूली का कार्य करने वाले से बात करने के लिए कहता है और लाखों रुपए की वसूली करवाता है.! पूरे संभाग में इनकी वसूली पर गजब की चर्चा है, दो पन्ने के सर्टिफिकेट देने के वचन में पर्यावरण विभाग लाखों वसूलता है जबकि शासन ने आम नागरिकों को राहत देने के लिए इन अधिकारियों की नियुक्ति की है, ताकि उद्योगों से निकलने वाले धुएं धूल एवं शुद्ध पेय जल आम नागरिकों को मिल सके।
अवैध गीट्टी झारखंड,बनारस,उड़ीसा भेजा जा रहा है…
बलरामपुर व सरगुजा जिले में कई क्रेशर दस्तावजो में सील है, मगर फिर भी क्रेशर संचालकों के द्वारा क्रेशर का संचालन जारी हैं, अधिकारी- कर्मचारी मौके पर कभी पहुचते ही नही जिसका फायदा क्रेशर संचालकों को मिल रहा है, मामला यह भी प्रकाश में आ रही है कि कई क्रेशर संचालकों के द्वारा अन्य उद्योग बता कर क्रेशर में बिजली पावर कनेक्शन की सप्लाई ली गई है।
राजपुर क्षेत्र में स्वीकृत लीज 28 व सरगुजा जिले में 52 हैं …
राजपुर क्षेत्र में स्वीकृत लीज 28 व सरगुजा जिले में 52 हैं मगर कई स्वीकृत लीज स्थल पे आज तक क्रेशर संचालकों ने खुदाई तक नही की है, मगर शासन से उन्हें पीट पास हमेशा जारी होते रहे है. कर्मचारी-अधिकारिओं की मिलीभगत से यह कार्य काफी दिनों से संचालित है, इसके साथ कई स्थानों में दूसरे के नाम से भी लीज संचालित है।
जंगल मे भी संचालित हो रहे है क्रेशर
कई क्रेशर ऐसे भी संचालित है जो छोटा झाड़ का जंगल को हल्का पटवारी व तहसीलदार को मिलाकर शासकीय भूमि को अपने नाम नामांतरण करा कर फर्जी तरीके से भूमि का डायवर्शन भी कराकर उस भूमि में क्रेशर संचालित है. आश्चर्य की बात यह भी है कि छोटा झाड़ का भूमि पर डायवर्शन कैसे हुआ आज क्रेशर संचालित हैं।
संचालकों के पास दस्तावेज तक नही
कई क्रेशर संचालको के पास आज तक जमीन की डायवर्शन पीटपास, लीज, पर्यावरण , मेडिसिन, लास्टिंग भंडारण आदि दस्तावेज तक नही है मात्र कागजों में संचालित हो रहा है।
बारूद कहा से आता है…
लास्टिंग के लिए बारूद कहा से आता हैं आज तक किसी को मालूम नही है. इसकी स्टाक रूम कहा है कोई पता नही है. अवैध बारूद से कभी भी बड़ी घटनाएं घट सकती है. क्षेत्र में बेख़ौफ़ ट्रैक्टर लगा कर ड्रिल महीन से सुरंग बना कर अवैध लास्टिंग जोरो से संचालित है।
उड़ने वाले धूल से ग्रामीण बीमार हो रहे है…
राजपुर सहित कोटागहना, घोरगड़ी, डिगनगर, गांगर नदी के उपर, बघिमा, भिलाई, भेस्की, चंगोरी, धौरपुर आदि में दर्जनों क्रेशर संचालित है, लास्टिंग पत्थर व क्रेशर से उड़ने वाले धूल से ग्रामीण परेशान है. आए दिन ग्रामीणों को स्वास्थ्य खराब हो रही है, आदिवासी ग्रामीणों के घर धूल के गुबारे में तब्दील हो जा रही हैं।
रटा-रटाया सरकारी बयान
राजपुर एसडीएम राजीव जेम्स कुजुर ने कहा मामला प्रकाश में आया है पूरे माइनिंग विभाग वाले को बुलाकर जांच कराई जाएगी,जांच उपरांत ग़लत पाए जाने कर क्रेशर सील कर कार्रवाई की जाएगी पर क्या ऐसा हो पाएगा।
इन स्थानों के क्रेशर खदान में नियम कानून की जरुरत नहीं?
विदित हो कि विकासखण्ड के धौरपुर,कोटागहना, बैढी एवं राजपुर क्षेत्र में अवैध खनन करने में दूसरे प्रदेश के लोगो का दबदबा बढ़ता जा रहा है पूरे क्षेत्र में शासकीय व वन भूमि पर दर्जनभर स्थानों से अवैध खनन कर पत्थर निकाले जा रहे हैं, इन पत्थरों को क्रेशर खदान में भेज दिया जाता हैं, अवैध खनन में इलाके के ग्रामीण महिला-पुरुष कार्यरत हैं जो कई बार असुरछित लास्टिंग से दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं क्रेसर संचालक अपनी खदान में गरीब मजदूर जो प्रति दिन कमाने खाने वाले लोगों को लालच दे कर ट्रेक्टर में कंप्रेसर बांधकर भी पत्थरों में होल करवा रहे हैं और होल में अमोनियम नाइट्रेट इडी बत्ती वह अन्य उपकरणों से ब्लास्टिंग करवा रहे हैं सब की ऐसे हैवी ब्लास्टिंग के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति कोई रखा जाता है, जबकि नियमों के तहत माइनिंग सरदार ऐसे कार्यों के लिए होते है जिसके पास ब्लास्टिंग की डिग्री होती है पर सिर्फ और सिर्फ इन मजदूरों का शोषण कर पैसा कमाने की मनसा रखने वाले इन शातिर व्यापारियों ने गरीब मजदूरों से ही इनकी जान जोखिम में डालकर लास्टिंग करवाते हैं, प्रतिदिन प्रातः सैकड़ों की संख्या में इन खदानों में ब्लास्टिंग सुनाई देती है बताया जाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने इस अवैध ब्लास्टिंग के लिए सुबह सुबह का टाइम ही फिक्स किया है ताकि शाम जनता सोती रहे और प्रशासन भी सोता रहे और यह अवैध व्यापारी अपना काम कर ले एक शब्द संचालक में अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हमें प्रशासन के हर एक महकमें को मैनेज करना पड़ता है यदि हम नहीं करते तो हम इतना बड़ा कारोबार कैसे कर पाते अवेध तरीके से अधिक उत्खन करने वाले लोग पत्थरों को ब्लास्ट के जरिए सुबह ही निकालते हैं ताकि अधिकारियों को इसकी भनक न लगे. राजपुर, कोटागहना, बैढी, भेस्की, धौरपुर, भिलाई, चंगोरी, डिगनगर, गागर नदी के आसपास संचालित क्रेशर प्लांट में वाहनों से सैकड़ो ट्रिप भेजे जा रहे हैं, इस गोरखधंधे की आज तक निष्पक्ष जांच नही होने से कारोबार बेखौफ चल रहा है।