लेख@ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग से चुनाव में पारदर्शिता

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हरियाणा के चुनाव पर चुनाव आयोग पर सबाल ख़ासकर आज के समय ठीक नहीं है पहले जब ईवीएम नहीं था तो बूथ को लूटा जाता था जो बैलेट पेपर होता था लेकिन ईवीएम के आने से वोटिंग में पारदर्शिता आई है इलेक्शन के समय वहाँ का रिटर्निंग ऑफिसर सभी बूथों पर चुनाव आयोग से अनुमोदित लिस्ट देता है जो पोलिंग ऑफिसर के पास होता है और मशीन चुनाव से एक दिन पहले पीठाशीन अधिकारी के पास मिलता है जो सील रहता है जिस दिन चुनाव होता है उसदिन मशीन को बूथ पर लाया जाता है जिसमें 3पोलिंग ऑफिसर होता है पहला जो वोटर लिस्ट से वोटर की पहचान करता है दूसरा उसे रजिस्टर में इंटर कर वोटर का सिग्नेचर लेता है और बाद में ईवीएम को ऑन किया जाता है और वह मतदाता गुप्त रूप से बैलेट मशीन पर मतदान कर अपनी पर्ची भी वीवीपैट से देख पाता है और संतुष्ट हो जाता है कि वोट उसी को गया है जिसपर डाला है। उससे पहले इलेक्शन के दिन चुनाव के उम्मीदवार के कुछ इलेक्शन एजेंट आते है जो अपनी अपनी अलग पार्टियों के होते हैं और इलेक्शन से पहले मॉकपोल लिया जाता हैं और वीवीपैट यानि पर्ची निकलने वाले मशीन से मिलान करते हैं और जब सभी इलेक्शन एजेंट देखकर ओके करते हैँ तो ईवीएम को सील कर सभी का सिग्नेचर पीठशीन अधिकारी लेता हैं तभी जब चुनाव में मत देने जो भी लोग आते हैँ उसे पोलिंग ऑफिसर व इलेक्शन एजेंट उसे देखकर रिकॉर्ड रखता है और जब इलेक्शन ख़त्म होता है तो इलेक्शन एजेंट ईवीएम में टोटल एलेक्ट्रोल वोट को टैली कर देखता है कि रजिस्टर पर उतने ही वोट हैँ या नहीं तभी स्विच ऑफ कर अपने अपने इलेक्शन सेंटर जहाँ सभी कागजात को मशीन के साथ जमा करता है इलेक्शन के दौरान एक इलेक्शन से सबंधित फॉर्म होता है जिसमें ई वी एम और अन्य मशीन का नम्बर वोटों की सख्या, कितने वोट डालें गए मॉक पोल आदि की जानकारी होती है जो अपनी अपनी पार्टियों के इलेक्शन एजेंट काउंटिंग के दिन लाते हैं और वेरीफाई कर मशीन को खुलवाने के बाद रिजल्ट को देख कर संतुष्ट हो जाते हैं यदि किसी कारण ईवीएम ख़राब भी हुआ तो वीवीपैट के माध्यम से वोटो की गणना की जाती है इसमें बिलकुल पारदर्शिता है चुनाव में ईवीएम का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है. वैसे तो व्हीव्हीपीएटी हर बार राजनीति का शिकार होती है। सभी आरोपों के बाद भी ईवीएम देश और राज्य को नई सरकार देने में मदद करती है. इसका इस्तेमाल दूसरे चुनावों में भी होता है. ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शुरू कैसे हुआ। ईवीएम ने भारत में बैलेट पेपर के इस्तेमाल को रिप्लेस किया है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर कई बार आरोप लगे हैं, लेकिन आज तक कोई इसे सिद्ध नहीं कर पाया है क्योंकि इसमें रिकॉर्ड आपका मत सुरक्षित रहता है क्योंकि यह जीपीएस से लैस होता है इसके साथ इसमें वीवीपैट लगा होता है मतदाता के विवरण के साथ कागज़ की पर्ची को काँच की खिड़की के पीछे सत्यापन के लिये संक्षेप में प्रदर्शित किया जाता है, जिससे मतदाता को नीचे एक डिब्बे में जाने से पहले 7 सेकंड का समय मिलता है। मतदाताओं को व्हीव्हीपीएटी पर्ची घर ले जाने की अनुमति नहीं होती है क्योंकि इसका उपयोग पाँच यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों में वोटों को सत्यापित करने के लिये किया जाता है। मतदान एजेंट मतदान के वास्तविक संचालन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो पूरी चुनाव प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि मतदान एजेंट सहयोग की भावना से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी और मतदान अधिकारी का काम सुचारू और निर्बाध हो जाएगा। इस उद्देश्य के लिए उन्हें अपने कर्तव्यों के बारे में पूरी तरह से पता होना चाहिए और कानून के तहत समझदारी से उनका पालन करना चाहिए। 2.2 मतदान एजेंटों को ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग करके चुनाव संचालन के लिए निर्धारित नवीनतम नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में पता होता है । उन्हें ईवीएम और वीवीपैट के संचालन से भी परिचित होता है क्योंकि उन्हें ट्रेनिंग दि जाती है । इस उद्देश्य से , मतदान एजेंटों को रिटर्निंग अधिकारी द्वारा व्यवस्थित वीवीपैट और ईवीएम के निर्देश का पालन करती है जो कार्यप्रणाली और संचालन के बारे में बताया ट्रेनिंग के समय बताया जाता है । इस ट्रेनिंग का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाले गए वोटों के भौतिक सत्यापन को सक्षम करते हुए मतदाताओं एवं राजनीतिक दलों दोनों को उनके वोटों की सटीकता के बारे में आश्वस्त करके मतदान प्रक्रिया में विश्वास बढ़ा है। यदि परेशानी होती है तो गूगल में यटूब्ब पर देखकर आप भी अंदाज लगा सकते कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में बिलकुल पारदर्शिता है जनादेश में विश्वास रखना चाहिए। यदि गड़बरी होती तो बीजेपी जम्मू कश्मीर भी जीत जाती और लोकसभा में एन डी ए 400 के पार भी हो जाती।
संजय गोस्वाम
मुंबई,
महाराष्ट्र


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