बाल@ कहानी सबक

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यशु सुबह उठा। दौड़ते हुए बाथरूम गया। वापस आया। देखा, मम्मी किचन में व्यस्त है। गरम-गरम रोटियाँ सेंक रही है। उसका मन ललचा गया। बोला- मम्मी ! मुझे बड़ी जोर से भूख लगी है। तभी उसकी नजर पतीली की चाय पर पड़ी। वह भी गरम। मस्त भाप निकल रहा था। इलाइची की खुशबू थी।
मम्मी बोली- ब्रश कर लिया है ?
हाँ मम्मी। हो गया मेरा ब्रश। यशु तपाक से बोला।
तू झूठ तो नहीं बोल रहा है ? इतना जल्दी तेरा ब्रश हो गया ?
हाँ। कर लिया ओ। यशु ने फिर आज भी रोज की तरह झूठ बोल दिया।
मम्मी ने यशु की बात मान ली- ठीक है। चलो बैठो चटाई पर। यशु फिर मम्मी को आज बुद्धू बना कर खुश था।
स्कूल का समय हुआ। घर से स्कूल पहुँचा। दोस्तों के साथ अपनी जगह पर बैठा। दो पीरियड हो गये। तभी एक मंजीत नाम के लड़के ने कहा-यशु, तुम मेरे पास मत बैठो यार।
यशु बोला- क्यों नहीं बैठूँगा ? ये तो मेरी जगह है। तुम्हें मेरे पास नहीं बैठना है तो,मत बैठो। मैं अपनी जगह पर बैठूँगा ही। दोनों में कहा-सुनी होने लगी। फिर हाथापाई पर उतर आये।
तभी अध्यापक को पता चला कि पाँचवी कक्षा के दो बच्चे झगड़ रहे हैं। कक्षा में आये। झगड़ने की वजह पूछते हुए कहा- क्या हुआ रे ? क्यों झगड़ रहे हो आपस में ?
यशु बोला- सर, मुझे अपनी जगह पर बैठने नहीं देता मंजीत।
क्यों रे मंजीत ? ऐसा क्यों करता है ? अध्यापक बोले।
मंजीत के चुप्पी पर उसे अध्यापक ने झिड़की लगाई-क्या बात है ? बताओ ना।
सर, यशु के पास बैठो तो,उसके मुँह से बदबू आती है। मंजीत झिझकते हुए बोला।
अध्यापक ने अपनी हँसी को दबाते हुए कहा-कैसे जी यशु,ब्रश-व्रश करता है कि नहीं ?
अध्यापक की बातें सुन यशु को अच्छा नहीं लगा। कुछ नहीं बोला।
क्यों यशु, मेरी बात सुनाई नहीं दी ? अध्यापक बोले।
करता हूँ सर जी,पर रोज नहीं करता। कहते हुए चुप हो गया। सर झुका लिया।
पहले अध्यापक ने मंजीत को समझाते हुए कहा कि छोटी-छोटी बात पर इस तरह नहीं झगड़ते। लड़ना-झगड़ना अच्छा नहीं होता। फिर यशु की पीठ पर हाथ फेरते हुए बोले-यशु ! अब तुम रोज सुबह सबसे पहले ब्रश करना। मुँह, हाथ-पैर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर की साफ-सफाई बहुत जरूरी है। चलो, अपनी जगह पर बैठो।
यशु को आज की घटना से सबक मिला। उसे अपमानित महसूस हुआ। स्कूल की छुट्टी हुई। घर गया। अपनी मम्मी को पूरी बात बताई। मम्मी ने भी साफ-सफाई के बारे में समझाया।
दूसरे दिन यशु सुबह उठते ही ब्रश व टंग क्लीनर लेकर बाथरूम गया। यह देख मम्मी मुस्कुरा रही थी।
टीकेश्वर सिन्हा गब्दीवाला
घोटिया-बालोद छत्तीसगढ़


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