कोरिया/पटना@क्या पटना थाना के थाना प्रभारी से ज्यादा उनके निजी ड्राइवर की पटना थाना में चलती है?

Share

  • आखिर पटना थाना प्रभारी की क्या मजबूरी है कि अधिग्रहित पुलिस वाहन को निजी ड्राइवर से चलवाते हैं?
  • पटना पुलिस की कार्यप्रणाली इस समय बना चर्चा का विषय…निजी ड्राइवर कर रहा पुलिस की वसूली:सूत्र
  • चार थाना वाला जिला साथ ही चारों थाना के लिए डीएसपी कानून व्यवस्था सुधारने के लिए है या फिर वसूली के लिए?
  • पटना थाना इस समय वसूली के लिए प्रसिद्ध होता जा रहा है हर छोटे-बड़े मामले में वसूली की बात सामने आ रही है पुलिस अधीक्षक को लेना होगा संज्ञान

-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,08 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। सत्ता शासन बदलने के बाद जनता में एक उम्मीद रहती है कि व्यवस्था सुधरेगी परेशानियां कम होगी चाहे वह किसी भी विभाग की हो, चाहे वह जिला प्रशासन की हो या फिर पुलिस प्रशासन की सभी को लेकर यह उम्मीद सत्ता परिवर्तन के बाद जग जाती है, लेकिन यदि परिवर्तन के बाद भी वर्तमान सरकार उस पर खरा न उतरे या वर्तमान प्रशासन जनता की मंशा के विपरीत चले तो फिर यह भी तय है की सत्ता पाने वाले स्वार्थ में डुबकी लगा रहे हैं और पैसे में गोता खा रहे हैं,यह बात इस समय इसलिए हो रही है क्योंकि पुरानी सरकार के कार्यकाल में पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाएं आम थी,लोगों को परेशानियां भी खूब थी लोगों को लगा कि सत्ता परिवर्तन होने के बाद परेशानियां कम होगी लूट खसोट कम होगा, थानों की दुकानदारी बंद होगी और सिर्फ न्याय की बात होगी पर क्या ऐसा हो पा रहा है? यदि इस सवाल का जवाब वर्तमान में ढूंढने निकलेंगे तो शायद यही सुनने को मिलेगा कि बिल्कुल भी नहीं पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था के पटरी से उतरी हुई है लोगों के लिए परेशानी का सबक बनी हुई है, न्याय की दृष्टि से नहीं दुकान की दृष्टि से थाना चलाए जा रहे हैं, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोरिया जिले के पुलिस विभाग के मुखिया इन सब बातों से अनजान है या फिर उन तक यह बातें सही में नहीं पहुंची है और यदि नहीं पहुंची है तो हम उनसे निवेदन करेंगे की इन बातों पर संज्ञान लें और व्यवस्थाओं पर ध्यान दें, कानून व्यवस्था को लेकर वह संज्ञान लें, इस समय बात हो रही है पटना थाना क्षेत्र की जहां के प्रभारी शायद दो दायित्वों को निभा रहे हैं एक तो साइबर सेल का दायित्व और दूसरा पटना थाना के प्रभारी बने हुए हैं, पर शायद इनसे पटना थाना संभल नहीं पा रहा है या फिर यह थाने को दुकानदारी में तब्दील कर दिए हैं, यह हमारा नहीं है कहना इस समय यह जन चर्चाओं में सुना जा सकता है। पुलिस विभाग में पुलिस की मुखबिरी गोपनीय होती है पर इस समय पुलिस का मुखबिर कोई और नहीं पुलिस के वाहन चलाने वाला एक विभाग से बाहर का व्यक्ति है जिसके ऊपर ना जाने पुलिस को कितना भरोसा है की दुकानदारी उसी के भरोसे चलाई जा रही है अंततः सवाल यह भी है की शासकीय वाहन को निजी व्यक्ति कैसे चल रहा है क्या पुलिस विभाग के पास चालाक नहीं है या फिर चालक से और कोई काम करवाया जा रहा है? ज्ञात हो कि कोरिया जिले का जबसे विभाजन हुआ है तभी से यह देखा जा रहा है की चार पुलिस थानों में सिमट चुके जिले की पुलिसिंग उतनी चुस्त दुरुस्त नहीं है जितनी जिले के हिसाब से उपलब्ध संसाधनों और पुलिस विभाग में पदस्थ जिले के अधिकारियों कर्मचारियों की संख्या के आधार पर होनी चाहिए। जिले में चार पुलिस थानों में से एक महत्वपूर्ण पुलिस थाना पटना का भी है जहां अब कई तरह की अफवाह उड़ रही है और यह अफवाह सुनाई भी दे रही है की जिले के पटना पुलिस थाना के प्रभारी के वाहन चालक जो बाहरी व्यक्ति है विभाग का नहीं है, कहां जाए तो पुलिस की सुविधा के वाहन अधिग्रहित की गई है जिसका ही चालक है वह वहीं अधिग्रहित कर ली गई है और गाड़ी भी जहां पीले नंबर प्लेट वाले होनी थी वहां वह सफेद नंबर प्लेट वाली है, अब पुलिस विभाग में भी जब इस प्रकार की कमियां देखी जाएगी तो फिर पुलिस विभाग जो ऐसे मामलों का फाइन काटा करती है क्या वह भी ऐसे मामलों में संलिप्त है, क्या व्यवसायिक परमिट वाली गाडि़यां छोड़ निजी गाडि़यों को अधिग्रहित किया गया है? सूत्र को तो यह भी कहना है कि एक गाड़ी तो एक पुलिस वाले के नाम पर भी चल रही है। जिम्मेदारी पुलिस विभाग के संबंधित शाखा की है क्योंकि उन्हें इन सब चीजों पर ध्यान देना चाहिए कि कौन सी गाड़ी नियम के साथ लगनी चाहिए और कौन सी गाडि़यां नियम विरुद्ध है जो नहीं लगनी चाहिए, क्या इस मामले में भी लंबा घोटाला हो रहा है या फिर जान कर सभी लोग अनजान बने हुए हैं या इसलिए यह कार्रवाई नहीं हो रही क्योंकि यह पुलिस विभाग का मामला है घोटाले पर कार्रवाई करने वाली पुलिस भी क्या घोटाले में शामिल है?
मादक पदार्थों पर कार्यवाही करना तो सही है पर कार्यवाही के नाम पर वसूली करना भी क्या सही?
सूत्रों की माने तो कई मामलों में मादक पदार्थो के धर पकड़ मामले में धर पकड़ हुई,माल भी बरामद हुआ लेकिन कार्यवाही के पहले मामला बीच में ही निपटा लिया गया। बताया जा रहा है और सूत्रों का कहना है की इन मामलों में कार्यवाही का भय दिखाया गया और बड़ी वसूली की गई। वैसे यह बात कितनी सच है इसकी पुष्टि घटती घटना नहीं करता। सभी मामले में थाना प्रभारी का वाहन चालक सामने आता है यह भी सूत्रों का कहना है और वही मामले में मध्यस्थ भी बनता है और वही मामले में पहले वाहन लेकर पहुंचता भी है। जब वह पहुंचता है पहले कार्यवाही के लिए कुछ दिखावा होता है फिर वह पुनः जाता है या संबंधित को बुलाया जाता है और वही चालक उनसे वसूली करता है।
वाहन चालक की वसूली को लेकर पटना क्षेत्र में चर्चा हुई आम
पटना के थाना प्रभारी का वाहन चालक उनके लिए वसूली करता है यह सूत्रों का दावा है। अब यह कितनी सच है बात इसकी पुष्टि हम नहीं करते लेकिन बता दें की आम जनचर्चा है की थाना प्रभारी पटना के लिए उनका चालक ही वसूली करता है और जिसे वह यह बोल देता है की वह बरी है मामले से वह बरी हो जाता है वहीं जिसे वह क्लीन चिट नहीं देता वह बच नहीं पाता है। अब वाहन चालक के साथ इस जुगलबंदी का राज कोई नहीं बता पा रहा है लेकिन बताया जा रहा है की वाहन चालक बाहरी है और उसके माध्यम से थाना प्रभारी काफी आसान महसूस कर रहे हैं इसलिए उसे ही अपने लिए अन्य कार्य के लिए मौखिक आदेश दे रखें हैं।
बाहर के व्यक्ति से वाहन चलवाना कानून के खिलाफ नहीं
पुलिस विभाग में पटना पुलिस की गाड़ी का चालक विभाग का नहीं है। अब सवाल यह उठता है की क्या यह नियमानुसार सही है? पुलिस विभाग में खासकर पुलिस थानों में भी अधिग्रहित की गई गाडियां चल रही हैं और इन वाहनों में कहां कहां विभाग के बाहर के चालक काम कर रहे हैं यह तो पूरी जानकारी उपलध नहीं है लेकिन पटना थाना प्रभारी के वाहन चालक को विभाग के बाहर का चालक पसंद आ रहा है उसी से वह वाहन चलवा रहे हैं साथ ही वह उसी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं यह बताया जा रहा है। बताया यह भी जा रहा है की थाना प्रभारी को आज की स्थिति में सबसे ज्यादा विश्वास उसी पर है। अपने ही थाने के कर्मचारियों पर उन्हे विश्वास नहीं है?
क्या वर्तमान थाना प्रभारी के काफी खास है वाहन चालक ?
पटना पुलिस थाना के प्रभारी के वाहन चालक को उनका खास बताया जाता है। वाहन चालक थाना प्रभारी का सबसे विश्वस्त है।। अपने ही पुलिस थाने के लोगों पर कर्मचारियों पर जितना थाना प्रभारी को भरोसा नहीं उससे ज्यादा भरोसा उन्हे अपने विभाग से बाहर के वाहन चालक पर है। वैसे पुलिस विभाग में गोपनीयता का भी काफी महत्व है लेकिन पटना पुलिस थाना इस मामले में अलग ही राह पर है और वह बाहर के व्यक्ति पर ही आश्रित है और वही थाना प्रभारी के लिए एक सूचना ग्रहण करने वाला है और देने वाला है उनकी तरफ से एक माध्यम है


Share

Check Also

रायपुर,@ निगम-मंडल और स्वशासी संस्थाओं को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओं पर लगी रोक

Share @ वित्त विभाग ने जारी किया आदेश…रायपुर,26 अक्टूबर 2024 (ए)। वित्त विभाग ने तमाम …

Leave a Reply