रायपुर/अम्बिकापुर@देश के चौथा स्तंभ को बचाने रायपुर में एकजुट हुए पत्रकार…पर पत्रकारों से मिलना जरूरी नहीं समझे महामहिम राज्यपाल व सीएम

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-विशेष संवाददाता-
रायपुर/अम्बिकापुर,03 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। देश का चौथा स्तंभ कमजोर व लाचार होता जा रहा या कहे तो प्रताडि़त हो रहा है,उसकी वजह भी आगे के दो स्तंभों में आने वाले व्यक्ति ही बना रहे हैं,चौथे स्तंभ को सिर्फ इस समय किसी से उम्मीद रहती है तो पहले स्तंभ से दूसरे व तीसरा स्तंभ तो उन्हें दुश्मन बने बैठा है,क्योंकि चौथा स्तंभ की आलोचना उन्हें पसंद नहीं आती,पसंद उन्हें सिर्फ आती है तो झूठी गुणगान,देश में पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में गिना जाता है,आजादी के बाद से आज भी पत्रकारिता को लोग सहायता व सहयोग की दृष्टि से देखते हैं,जब हर जगह हार जाते हैं तब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता के पास अपनी आवाज उठाने लोग पहुंचते हैं, पर लोगों की आवाज बनने वाला लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी कि पत्रकारिता का ही आवाज दबाना शुरू हो गया है,आजादी से पहले भी पत्रकारिता जगत आजादी में अपनी भूमिका निभाई और यह इसलिए निभाई क्योंकि वह सच्चाई के साथ व देश के साथ खड़े थे, देश के हित में सच्ची पत्रकारिता करना कितना खतरनाक इस समय है इतना खतरनाक शायद पहले नहीं था…चौथे स्तंभ यानी कि पत्रकारिता को करने वाले अपने आप को असुरक्षित समझ बैठे हैं और इस असुरक्षा के बीच भी वह देश हित में सच्ची पत्रकारिता करना अपना गौरव समझते हैं, पर इस गौरव के पूर्ण कार्य में इतने कांटे हैं की पग-पग में चुभने लगे हैं,छाीसगढ़ पत्रकारिता के लिए मुसीबत वाला राज्य लगने लगा है,पत्रकारों को कभी जेल में डालना तो कभी उनके प्रतिष्ठानों पर बुलडोजर चलाना यह छाीसगढ़ की पहचान हो गई है,छाीसगढ़ सरकार के पत्रकार विरोधी रवैया की वजह से जेल में कई बार पत्रकरों डाला गया, एफआईआर के मामले तो पत्रकारों पर हजारों में पहुंच चके है। पत्रकारिता जगत इस समय ऐसी विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है जैसी कल्पना कभी कि नहीं गई होगी, पत्रकारों के हित में कई संगठन बने फिर भी पत्रकार सुरक्षा कानून नहीं बना सकी सरकारे, क्योंकि पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाले उनकी सुरक्षा से घबरा रहे हैं, ऐसा लगता है कि वह सुरक्षित हो गए तो शायद वह सुरक्षित नहीं रहेंगे। क्योंकि उनकी कमियों को निडर होकर पत्रकार दिखाएंगे जो उन्हें नागवारा गुजरेगा जो साा हासिल करने में रोड बनेगा, पर वह इस बात को समझना नहीं चाह रहे की यदि वह पत्रकारों को सुरक्षा देंगे तो भविष्य में साा भी सच्चाई के साथ आएगी और सच्चाई के साथ आने वाली साा कभी डगमग आएगी नहीं झुठ के दम पर साा कब तक मिलेगी और कब तक सुरक्षित रहेगी?

देश के चौथे स्तंभ की सुरक्षा के लिए खुद ही पत्रकारों को आंदोलन करना पड़ रहा है, छाीसगढ़ में पहली बार पत्रकार सुरक्षा कानून लाने के लिए सभी संगठन एकजुट होकर रायपुर पहुचे,संयुक्त पत्रकार महासभा पत्रकारिता संकल्प का आयोजन किया,यह आयोजन 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन किया गया और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच के साथ आंदोलन किया गया,ताकि पत्रकारों की मांग पूरी हो सके,पहली बार ऐसा देखने को मिला जब पूरे प्रदेश भर के पत्रकार वहां एकजुट हुए,ऐसे भीड़ पहले कभी नहीं देखी जैसी इस बार देखने को मिली, इस भीड़ में आक्रोश पत्रकारों का सरकार के विरुद्ध देखा गया क्योंकि सरकार से सताए हुए लोग भी शामिल थे, सरकार चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की सभी ने पत्रकारों को बारी-बारी सताया है, कभी इसकी बारी तो कभी उसकी बारी पत्रकारिता पर संकट गहराया था, कोई पत्रकार तड़ीपार बन गया तो कोई पत्रकार अपना प्रतिष्ठान तुड़वाया तो कोई जेल गया,तो कोई झूठ प्रकरणों में फसाया गया। जिसे लेकर 2 अक्टूबर सुबह 10 से शुरू हुए आंदोलन शाम के 4 तक चले, मंचों पर पीडि़त पत्रकारों को अपनी बात रखने तक का समय नहीं मिला क्योंकि समय कम पड़ गया था, पर पत्रकारों की पीड़ा उनके बातों से झलक रही थी किस कदर वह प्रताडि़त है यह बात सामने आ रही थी पूरे सोशल मीडिया से लेकर मीडिया जगत में पत्रकारों की प्रताड़ना व वर्तमान सरकार की कमियां दिखाई दे रही थी।

पत्रकारों ने दो अक्टूबर का दिन चुना और इस दिन अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को लेकर लाभ बंद हुए अपनी सुरक्षा को लेकर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की ताकि उन्हें अपने ही देश में एक सुरक्षा प्रदान हो सके इसके लिए राज्यपाल को ज्ञापन अपने हाथों से देना चाहते थे पर पत्रकारों का दुर्भाग्य ही समझिए कि राज्यपाल से मुलाकात नहीं हुई बिना मुलाकात पत्रकारों को मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपना पड़ा, अब इस हालत को समझिए कि सरकार कितनी गंभीर है पत्रकारों के लिए। प्रथम दौर में प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञान सौंपा गया। दूसरी बार पैदल कूच करते सभी पत्रकार मुख्यमंत्री निवास कूच करने वाले थे कि मुख्यमंत्री के निवास में नहीं होने की बात बतलाई गई। अपनी आवाजें बुलंद करते नारे लगाते मुख्यमंत्री निवास कूच किए तो बेरिकेटिंग लगा दी गई ताकि पत्रकार अंदर ना आये। कुछ देर में पुलिस के उच्चाधिकारी सहित एसडीएम ने पत्रकारों के बीच आकर ज्ञापन स्वीकार किया। हालांकि पत्रकार संगठन मुख्यमंत्री के नहीं होने के चलते ज्ञापन नहीं सौंप पाने का मलाल दिखा। लेकिन संगठन यह मानता है कि अब वे कदापि हार नहीं मानेंगे। इस ज्ञापन के बाद यदि कोई एक्शन होते नहीं दिखा तो पुनः अनिश्चितकालीन धरने पर भी जा सकते हैं। इसके साथ प्रत्येक पत्रकार अपनी मांग पूरी होते तक शासन प्रशासन की खबरों पर भी अपने कलम को विराम दे सकते हैं।

गॉंधी जयंती दिवस पर रायपुर में आयोजित संयुक्त महासभा जिसमें छाीसगढ़ के सभी संगठनों ने एक साथ ऐतिहासिक आंदोलन साथ मिलकर किया। नव छाीसगढ राज्य बनने के बाद यह पहला मौका था जहां पूरे प्रदेश भर के पत्रकारों ने अपनी एक ही मांग पत्रकार सुरक्षा कानून की मॉंग बुलंद किया। हालांकि पत्रकारों की कई अन्य मांगे है। पिछली सरकार ने चुनाव के वक्त देश में छाीसगढ राज्य को पत्रकार सुरक्षा कानून बना कर प्रदाय कर मॉडल बनाने अपने चुनावी घोषणा पत्र में रखा। लेकिन उनकी सरकार के अंतिम वक्त पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में ड्राफट बनाया जो ड्राफट यह ग्राउंड जीरो में काम कर रहे अंतिम छोर के पत्रकारों के लिए कोई काम का नहीं रहा जहां उनके हित के लिए कोई प्वाईंट नहीं ली गई हो। अलबाा यह पत्रकारों के लिए झुनझुना ही साबित हुआ।

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए छाीसगढ़ विधानसभा में पारित मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून को संशोधित कर तत्काल लागू किया जाना चाहिए। जनहित के लिए काम करने वाले पत्रकारों को वर्तमान व्यवस्था में सुरक्षा का अभाव है। पत्रकारों को लगातार असामाजिक ताकतों, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के हमलों का सामना करना पड़ रहा है। छाीसगढ़ राज्य में भी रेत, पत्थर, शराब और रियल एस्टेट माफिया ने पत्रकारों को धमकाया है। अनेक पत्रकारों की हत्या हुई है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की पत्रकार संघों की अपील को केंद्र और राज्य सरकारें अनसुना कर रही हैं। संयुक्त पत्रकार महासभा केंद्र और राज्य सरकार से पत्रकारों और भीडिया कर्मियों की सुरक्षा के लिए व्यापक कानून बनाने की मांग करती है। पत्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए सकारात्मक विशिष्ट प्रस्तावों के अलावा,सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में यह कानून लागू है तथा हरियाणा, बिहार और अन्य राज्य सरकारों ने इन कानूनों को लाने की इच्छा व्यक्त की है। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार और छाीसगढ़ राज्य सरकार पत्रकारों पर हमले के मामलों में पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने के लिए स्पष्ट प्रावधानों के साथ व्यापक कानून बनाएं।

संयुक्त पत्रकार महासभा,केंद्र/राज्य सरकार से मांग करती है कि वह पत्रकार हित में उचित कानून बनाने और मीडिया में बदलाव और स्थितियों का व्यापक अध्ययन करने के बाद उचित सिफारिशें करने के लिए तत्काल मीडिया आयोग का गठन करें। पिछले तीन दशकों में मीडिया का जैसा हाल हो गया है,उस पर कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के कुछ मीडिया चैनलों पर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत भड़काने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मीडिया संगठनों को ऐसी प्रवृçायों से रोका जाना चाहिए। इस संदर्भ में देश में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और सोशल मीडिया की स्थिति का अध्ययन करने और उचित कानून और दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, जो वर्तमान में केवल प्रिंट मीडिया तक ही सीमित है, को इलेक्ट्रॉनिक, डिजि़टल तथा इंटरनेट मीडिया का समावेश करते हुए ‘मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया में बदलने की आवश्यकता भी राष्ट्रीय पत्रकार संगठनों, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) द्वारा बार-बार बयानों के माध्यम से इंगित की गई है। महासभा की पुरजोर मांग है कि केंद्र में हाल ही में बनी भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और एक मीडिया आयोग का गठन करना चाहिए और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को मीडिया काउंसिल में बदलना चाहिए।

पत्रकारों को पत्रकारिता के दौरान आने वाली समस्याओं को हल करने,पत्रकार कल्याण के लिए और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए गठित समितियों का कामकाज ठीक नहीं चल रहा है। पिछले 5 वर्षों में छाीसगढ़ सरकार ने भी इन समितियों के गठन में लापरवाही बरती। इन समितियों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। पत्रकारों पर हमलों को रोकने के लिए राज्य स्तर पर जनसम्पर्क मंत्री / श्रम मंत्री की अध्यक्षता और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए। महासभा ‘सरकार से यह भी अपील करती है कि पत्रकार संघों के प्रतिनिधियों को, पत्रकारों की सहायता के लिए गठित पत्रकार कल्याण कोष समिति में प्रतिनिधित्व दिया जाए।

समाज हित में काम करने वाले पत्रकारों को पिछले दस सालों में मकान देने का वादा पूरा नहीं हुआ है। सरकार के उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण पत्रकारों का खुद का मकान होने का सपना केवल सपना बनकर रह गया है। पिछले 15 वर्षों से प्रदेश में घर या प्लॉट का इंतजार कर रहे संगठन सदस्यों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त पत्रकार महासभा राज्य सरकार से रायपुर शहर के साथ-साथ जिला और मंडल केंद्रों में काम करने वाले पत्रकारों को घर आवंटित करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की मांग करती है।

विभिन्न मीडिया हाउस के मालिक फील्ड में रात दिन समाचार एकत्र करने में लगे ग्रामीण पत्रकारों को वेतन का भुगतान नहीं करते हैं। जिन नियोक्ताओं द्वारा पत्रकारों को न केवल समाचार एकत्र करने बल्कि विज्ञापन एकत्र करने और प्रसार बढ़ाने की भी जिम्मेदारी दी गयी है, वे पत्रकारों को वेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं। न्यूज़ चैनलों में भी यही स्थिति है। मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा के अनुरूप पत्रकारों को वेतन देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। पत्रकार संगठनों के महासम्मेलन राज्य सरकार से इससे संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग करती है।

राज्य के सभी पत्रकारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए। कोरोना काल से पत्रकारों को पिछले पांच – छह वर्षों से गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। महासभा मांग कर रही है कि सभी पात्र पत्रकारों को स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाए और सभी सरकारी, कॉर्पोरेट और बहु-विशिष्ट अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाए।

मीडिया में लंबे समय तक जनहित और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले पत्रकारों को पेंशन सुविधा प्रदान की जाए। महासभा की पुरजोर मांग है कि लंबे समय से अपर्याप्त वेतन पर, कई दबावों और स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद सामाजिक कल्याण के लिए काम करने वाले पत्रकारों को पेंशन प्रदान करने के लिए नीति निर्धारित की जाए। सभी पत्रकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर की पेंशन योजना शुरू करने का अनुरोध है। इसके साथ ही पत्रकारों के बच्चों को मुफ्त और बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है।


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