अंबिकापुर@नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में लगी रही श्रद्धालुओं की भीड़

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अंबिकापुर,03 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। नवरात्रि के प्रथम दिवस माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की गई। शैलपुत्री का अर्थ पहाड़ों वाली माता होता है। माता के इस स्वरूप की पूजा से भक्तों की मुरादें पूरी होतीं हैं। काफी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने मां के इस रूप की पूजा कर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं पहले दिन मां का खास श्रंृगार किया गया। इसके बाद शुभ मुहूर्त में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए। महामाया मंदिर, समलाया मंदिर, मां दुर्गा शक्तिपीठ गांधी चौक, संत हरकेवल मंदिर, काली मंदिर, रघुनाथपुर मंदिर, शीतला मंदिर सहित शहर के सभी देवी मंदिरों में माता की आराधना करने श्रद्धालु पहुंचे। मंदिरों में देवी भागवत कथा, दुर्गा पाठ व भजन-कीर्तन किया जा रहा है। मां के दर्शन के लिए सुबह से ही महामाया मंदिर सहित दुर्गा मंदिर, गौरी मंदिर व अन्य मंदिरों में श्रद्धालओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थी। सुबह से नवरात्रि के प्रथम दिवस हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। दोपहर में माता के मंदिर में मुख्य कलश स्थापित करने के बाद मंत्रोच्चारण के साथ ही विधिवत पूजन हुआ। इसके बाद सैकड़ों ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए। माता के दरबार में ज्योत जलाकर भक्त मनौती पूरी होने की कामना करते नजर आए। सरगुजा रियासत व मां महामाया मंदिर के पुरोहित ने मंदिर में घट स्थापना कर अंबिकापुर कीं आराध्य मां महामाया की पूजा की। इस दौरान आम लोगों के लिए मंदिर का द्वार बंद कर दिया गया। लगभग 1 घंटे बाद माता का दरबार खुला और लोगों ने दर्शन किए। इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए। शारदीय नवरात्रि के अवसर पर देवी मंदिरों के अलावा लोगों ने अपने-अपने घरों में भी देवी पाठ किया। कई घरों में पूरे नौ दिनों तक दुर्गा पाठ व पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं कई भक्त पूरे नौ दिनों तक उपवास रख कर नवरात्रि का व्रत रखते हंै। नौवें दिन पूर्णाहुति के बाद अपना व्रत तोड़ेंगे। शहर के विभिन्न समितियों द्वारा नौ दिनों तक मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। प्रथम दिवस जयस्तंभ चौक, ब्रम्ह रोड, सदर रोड, दर्रीपारा, सांड़बार बैरियर, कुंज विहार हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी सरगवां, मायापुर, चांदनी चौक, विभिन्न जगहों पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मंत्रोच्चारण के साथ माता की प्रतिमा स्थापित की गई।


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