- कोरिया का पटना मजाक बन गया है…ग्राम पंचायत कार्यालय मिटाकर नगर पंचायत कार्यालय लिखो…फिर नगर पंचायत कार्यालय मिटाकर ग्राम पंचायत कार्यालय लिखो…क्या प्रतियोगिता चल रही है?
- पटना में कार्यालय का नाम मिटाना लिखना चल रहा है
- आनन फानन में सीएमओ बैठाया गया…फिर आनन फानन में हटाया गया
- बैंक भी दुविधा में ग्राम पंचायत का खाता चलाएं या नगर पंचायत का?
- ३ महीने के लिए फिर से नगर पंचायत से ग्राम पंचायत हुआ ३ महीने वर्तमान सरपंच को और मिले कार्यकाल पूरा करने के लिए
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,02 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। कभी ग्राम पंचायत कभी नगर पंचायत, पटना की अंतिम तस्वीर क्या होगी अब इसको लेकर भले नगर पंचायत के चाहने वाले नगर पंचायत होना बता रहे हैं और ग्राम पंचायत के चाहने वाले ग्राम पंचायत होना बता रहे हैं लेकिन इस बीच लिपाई लिखाई पोताई मिटाई का काम जारी है, कभी नगर पंचायत लिखा देखा गया ग्राम पंचायत की जगह, अब पुनः ग्राम पंचायत का ही नाम पुनः मिटाकर लिखा गया है जो तीन महीनों तक अब कम से कम लिखा रहेगा यह तय है बता रहे हैं जो ग्राम पंचायत चाहते हैं।
बता दें की इस बीच बैंक भी असमंजस में है बताया जा रहा है क्योंकि जमा राशि जो पंचायत खाते की है उसको लेकर दोनों ही दावा कर रहे हैं एक तरफ नगर पंचायत के सीएमओ एक तरफ ग्राम पंचायत की टीम। असमंजस बना हुआ था बैंक का किसे वह हकदार माने क्या वह दूर हुआ इसको लेकर तो जानकारी अपुष्ट है लेकिन बताया जा रहा है और दिख रहा है की नाम लिखने मिटाने का सिलसिला जारी है। नगर पंचायत होने की और ग्राम पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति की अधिसूचना कलेक्टर कोरिया ने जारी की यह ग्राम पंचायत के पक्षधर मानते हैं, वहीं यदि जिस आधार पर पुनः तीन माह के लिए माननीय उच्च न्यायालय के एक आदेश के तहत पुनः ग्राम पंचायत लिखे जाने की और बचे कार्यकाल को पूर्ण करने के विषय को देखा जाए तो बता दें की आदेश में स्पष्ट है की याचिका अमान्य की गई और और याचिका पुनः तब करने की छूट प्रदान की गई है जब याचिकाकर्ता को यह आभास हो की उसका अधिकार जो उसे एक अवधि विशेष के लिए मिला है वह छीना जा रहा है जो नहीं छीना जा रहा है यह उच्च न्यायालय ने भी आदेश में उल्लेखित किया है ऐसा अमान्य याचिका को पढ़ने वाले ने बताया। खैर उच्च न्यायालय के आदेश के कोई स्पष्ट उल्लेख की पुष्टि दैनिक घटती घटना नहीं करती लेकिन बता दें की आदेश में तीन माह का ही जिक्र है या बचे पंचायत कार्यकाल जो निर्वाचन अवधि पांच वर्ष वाले के आधार पर ही राहत मिली है जो स्पष्ट है। बताया यह भी जा रहा है की नगर पंचायत अब पटना बना ही रहेगा और अब नगरीय चुनाव ही आगामी होंगे वहां वहीं प्रदेश स्तर पर प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा जरूर था जैसा बताया जा रहा है, लेकिन अब चिडि़या चुग गई खेत वाली बात हो गई है और ग्राम पंचायत बचाओ संघर्ष समिति का संघर्ष भी शायद इसे रोक पाने में असफल साबित होगा जो जानकर बता रहे हैं। वैसे पूरे मामले में दो लोगों को बड़ा नुकसान होने वाला है उनके साथ के लोगों को नुकसान होने वाला है यदि नगर पंचायत बना रहा तब वर्तमान सरपंच और उनके साथ के वह नुकसान में होंगे जो चुनाव लडने के इक्षुक हैं क्योंकि वह सरपंच के साथ दो तरफा पारी खेल रहे हैं जिसमे दोनो दलों के लोग हैं वहीं यदि ग्राम पंचायत ही यदि रहा पटना तब उन्हे नुकसान है जो यह चाहते हैं की अनारक्षित हो सीट और अंततः उन्हे लड़ने का मौका मिले।
क्या धुरंधरों का पहला नगर पंचायत पटना का नगर अध्यक्ष बनने का सपना होगा पूरा?
पटना नगर पंचायत बनने के बाद पहला चुनाव होगा और नगर पंचायत के इतिहास के पहले अध्यक्ष के सूची में शामिल होने की भी होड़ लगी रहेगी, क्योंकि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि नगर पंचायत का पहला अध्यक्ष बनाना भी अपने आप में एक इतिहास होगा, जिसे लेकर जोर आजमाइश जारी है कोई चाह रहा है कि आरक्षण में नगर अध्यक्ष पद ओबीसी हो जाए, तो कोई चाह रहा है कि जनरल रहे, पर वही कुछ लोगों का यह भी राय है कि पहला चुनाव अनरक्षित ही हो तो ज्यादा अच्छा है, क्योंकि पहले चुनाव में सभी को मौका मिलना चाहिए और सभी को अपना भाग आजमाना चाहिए जिसके भाग्य में अध्यक्ष बनना होगा वह बनेगा, जिस प्रत्याशी का जनाधार व व्यक्तित्व अच्छा होगा वही पटना का नगर अध्यक्ष होगा।
सामान्य व पिछड़ा वर्ग के लोग ठोक रहे ताल
सामान्य व पिछड़ा वर्ग के लोग नगर अध्यक्ष को लेकर ज्यादा ताल ठोक रहे हैं उनमे अध्यक्ष बनने की लालसा कुछ ज्यादा ही समाई हुई है और प्रयास भी जारी यहां तक की सोशल मीडिया पर लड़ाई भी जारी हो चुकी है अभी से ही अध्यक्ष के दावेदारी से हटाने का प्रयास शुरू है, अब चुनाव को लेकर प्रत्याशीयों की उम्मीद आरक्षण रोस्टर पर ही टिकी है।
आरक्षण रोस्टर का हो रहा इंतजार
आरक्षण रोस्टर में नगर अध्यक्ष किस वर्ग का होगा इसे लेकर लोगों का इंतजार हो रहा है और आरक्षण रोस्टर पर ही लोगों का ध्यान है आरक्षण रोस्टर से ही अब प्रत्याशी के भाग का फैसला होना ऐसे में जनरल ओबीसी सभी वर्ग के प्रत्याशी आरक्षण रोस्टर आने का इंतजार कर रहे हैं।
जातिगत समीकरण अभी से ही बैठाया जाने लगा
नगर अध्यक्ष बनने के लिए जातिगत समीकरण शुरू हो गया है अपने-अपने हिसाब से लोग जाति समीकरण को सेट कर रहे हैं यहां तक की, मतदाताओं का गणना भी जारी हो गया है और किस समाज के मतदाता कितने हैं इसे लेकर अभी से ही समीकरण बैठाया जाने लगा, अब देखना यह है की ऊँट किस करवट बैठेगा और आरक्षण रोस्टर किसकी तरफ होगा।