प्रतापपुर@दवनकरा सहकारी समिति में फर्जी हस्ताक्षर से लाखों की ठगी

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किसान ने की शिकायत,प्रबंधक पर गंभीर आरोप
प्रतापपुर,27 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)। जिले के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दवनकरा जो आये दिन सुर्खियों में रहता है। प्रतापपुर के ग्राम दवनकरा से एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। जनजाति समाज के किसान की फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक खाते से लाखों रुपए आहरण कर गमन करने का मामला सामने आया है। किसान को जैसे ही ठगी होने का एहसास हुआ वह तत्काल बैंक स्टेटमेंट निकालकर थाना प्रभारी चंदौरा को नामजद शिकायत दर्ज करा उचित कार्यवाही करने की मांग की है।
मिली जानकारी के अनुसार हमेशा विवादों के घेरे में रहने वाले आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दवनकरा के समिति प्रबंधक संतोष नाविक का एक और हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है। किसान के खाते से 154500 एक लाख चौवन हजार पाँच सौ रू0 फर्जी हस्ताक्षर कर राशि आहरण कर लिया गया है। जिसकी लिखित शिकायत चंदौरा थाना की गई है। शिकायत के बाद क्षेत्र के किसानों में हड़कंप मचा हुआ है। शिकायत पत्र में ग्राम पंचायत सेमरा खुर्द निवासी राजाराम पिता वृजमोहन, जाति कोडाकू, उम्र 54 वर्ष ने बताया है कि मैं आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्या0 दवनकरा पं0क0 1027 में विगत कई वर्षों से धान विक्रय नियमित रूप से करते आ रहा हूँ। साथ ही खाद, बीज एवं ऋण का भी नियमित रूप से लेन देन करता रहता हूँ। सन् 2023-24 में मैं खरीफ सीजन में 22199. 00 (बाइस हजार एक सौ निनयानवे रू0) का कर्ज लिया था। सन् 2023-24 में दिनाँक 24/01/2024 को मैने 56. 80 मि्ं0 धान बेचा था, जिसमें कर्ज कटने के बाद मेरे खाते में 101795.40 (एक लाख एक हजार सात सौ पनचानवे रू0 चालिस पैसे) प्राप्त हुआ था। धान की अंतर बोनस राशि दिनाँक 12/03/2024 को 52085.60 (बावन हजार पचासी रू साठ पैसे) प्राप्त हुआ था। धान बेचने से पूर्व मेरे खाते में 1663.90 (सोलह सौ तिरसठ रू) शेष था। मैंने बचत खाता में कुल राशि 155544.90 (एक लाख पचपन हजार पाँच सौ चौवालिस रू0 नबे पैसे) होना चाहिए था। धान बेचने के बाद उसी दिन समिति प्रबंधक संतोष नाविक द्वारा मेरे से बैंक पासबुक तथा आधार कार्ड को खाता में त्रुटि सुधार करने के नाम से ले लिया गया। कुछ दिनों के बाद जब मेरे द्वारा उनसे पासबुक मांगा गया तो उनके द्वारा वार-बार टाल मटोल किया गया। पासबुक मिलने के बाद जब मैं धान की राशि आहरण करने सहकारी बैंक प्रतापपुर गया तब बैंक के कर्मचारियों द्वारा कहा गया की आपके खाते में 1300.00 (तेरह सौ रू0) है। मेरे द्वारा समिति में समिति प्रबंधक से पूछा गया तो उनके द्वारा कहा गया की आपका पैसा कुछ दिनों में आपके खाते में आ जायेगा। कुछ दिनों बाद मैं पुनः बैंक जाकर बैंक स्टेटमेंट लिया तब मुझे जानकारी हुआ की मेरे खाते से पहले ही धान खरीदी एवं बोनस की राशि-

  1. दिनाँक 06/02/2024 को 20000.00 (बीस हजार रू0), 2. दिनाँक 07/02/2024 को 20000.00 (बीस हजार रू0), 3. दिनाँक 09/02/2024 को 20000.00 (बीस हजार रू0), 4. दिनाँक 27/02/2024 को 38000.00 (बीस हजार रू0), (बीस हजार रू0), 5. दिनाँक 03/04/2024 को 49000.00 6. दिनाँक 03/05/2024 को 7500.00 (बीस हजार रू0). कुल 154500.00 (एक लाख चौवन हजार पाँच सौ रू0) मेरे बिना हस्ताक्षर के फर्जी तरिके से आहरण हो चुका है। जिसकी किसी भी दिन के लेद देन की कोई भी जानकरी मुझे नहीं है। मैं एक आदिवासी गरीब किसान हूँ। मेरा मुख्य आय का स्त्रोत धान ही है। मेरा जीवनयापन इसी से चलता है। मैं उधार पर दुकानों से धान बीज, कीटनाशक इत्यादि लिया हूँ। उनका कर्ज चुकाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं है। मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उन्होंने थाना प्रभारी से खाते से आहरण हुए राशि की जाँच कराकर रूपये वापस कराते हुए दोषियों के ऊपर उचित कार्यकाही करने की मांग की है।
    विवादों से पूर्व से नाता रहा है प्रबंधक का
    विदित हो की आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दवनकरा के विवादित समिति प्रबंधक संतोष नाविक लंबे समय से विवाद के घेरे में है। इससे पूर्व अपने नाम 119 किवंटल धान घोटाला, खाद घोटाला तथा शासकीय भूमि में कजा करने के मामले में पूर्व से लेकर अभी तक तीन बार निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है। तथा कई गमन का आरोप लगा हुआ है। इसके बावजूद भी रिश्वतखोरी एवं राजनैतिक ऊंची पकड़ होने के कारण अधिकारी और नेताओं के संरक्षण प्राप्त है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी ग्रामीणों के साथ में इस तरह का मामला कोई नया नहीं है। यदि सही तरीके से जांच कार्यवाही की गई तो कई तरह की मामला सामने और आ सकती है। तथा शुरू से विवादों के घेरे में रहने वाले समिति प्रबंधक के ऊपर में अनियमित सहित कई शिकायत थाना में दर्ज है। इसके बावजूद भी आज तक समिति प्रबंधन को बर्खास्त नहीं कर पाना शासन प्रशासन के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है। जो गरीबों का पैसा को आहरण कर अपने जेब भरने में लगे हुए हैं। और अधिकारी और नेता के संरक्षण में भ्रष्टाचार एवं गमन कर इनके हौसले बुलंद है। अगर इनकी जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। अब देखने वाली बात है कि भ्रष्ट समिति प्रबंधक के ऊपर कार्रवाई होती है या पहले जैसा ही मामला रफादफा कर दिया जाता है। इस विषय में चंदैरा थाना प्रभारी प्रदीप सीदार ने कहा कि इससे पूर्व भी कई तरह की शिकायत दर्ज है। तथा कल मामले की लिखित शिकायत सामने आई है। जांच कर विधि सामंत कार्यवाही की जाएगी। जांच प्रारंभ कर दी गई है। समिति प्रबंधक की धर पकड़ जारी है।

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