बैकुण्ठपुर@सरकार कैसे आपके राजस्व अधिकारियों पर करें भरोसा की वह ईमानदारी से करेंगे काम?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,20 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)। राजस्व मामले को लेकर सरकार का गंभीर ना होना राजस्व अधिकारियों को मनमानी की छूट देता है, ऐसा कोई एक बार नहीं कई बार हो चुका है, राजस्व अधिकारी अपने आप को न्यायालय में बैठकर किसी उच्च न्यायालय व जिला न्यायालय के जज से कम नहीं समझते जो मनमानी बनती है वह करते जाते हैं स्थिति तो यह है कि अच्छे-अच्छे अधिवक्ता भी इनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं क्योंकि इनसे वह बहस नहीं कर पाएंगे इनके सामने वह कितना भी तथ्य प्रस्तुत कर दें यह करेंगे अपने मन का ही,यही वजह है कि कई बार राजस्व न्यायालय में अधिवक्ताओं की भी झड़प हो चुकी है ऐसे कई उदाहरण पहले भी देखे जा चुके हैं फिर भी राजस्व न्यायालय की स्थिति सुधारने का नाम नहीं ले रही है, राजस्व के अधिकारी ईमानदारी से काम करना नहीं चाह रहे, ईमानदारी से लगता है कि वह काम करने के लिए कुर्सी पर बैठे ही नहीं हैं? यही वजह है कि राजस्व न्यायालय की स्थिति प्रकरण के मामले में गंभीर है और आरोपों के अंबार हैं कई बार तो राजस्व अधिकारियों के ऊपर विभागीय जांच भी बैठी पर जांच भी वह अपने प्रभाव से प्रभावित करने में सफल रहे इसके पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी बैकुंठपुर की एक तहसीलदार ने काफी हंगामा मचाया था, एक बार फिर एक और शिकायत सामने आई है जिसमें आरोप तत्कालीन एसडीएम पर लगाया गया है जिस तत्कालीन एसडीएम पर आरोप लगाया गया है उनकी कार्य प्रणाली भी पूर्व सरकार से ही ठीक नहीं रही और वर्तमान में भी ठीक नहीं है, यहां तक की नहर के मुआवजा घोटाला में भी नाम सामने आ रहा था पर उसके बाद उन्हें हटा दिया गया था। अभी जो तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान अपर कलेक्टर पद पर आसीन हैं उनके ऊपर आरोप लगा है की 5 लाख रूपए लेकर उन्होंने नहर की जमीन का ही डायवर्सन कर दिया है, ये आरोप कोरिया अपर कलेक्टर अंकिता सोम पर लगा है और इसकी शिकायत सीकंदर खान नाम के एक शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से की है, वहीं कलेक्टर ने भी शिकायत और इस मामले में जांच के बाद रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने की बात कही है।
यह है पुरा मामला
बता दें कि ये पूरा मामला कोरिया के कंचनपुर के स्थित भूमि जिसका खसरा नंबर 331/2 है, वहीं शिकायतकर्ता का दावा है कि इसका गेज परियोजना मुआवजा किसान ने 1993 में ले लिया है, जिसके बाद ये जमीन शासकीय हुई,शिकायतकर्ता ने कोरिया कलेक्टर से इस पूरे मामले में जांच कर कार्यवाही करने की मांग की है, सूत्रों ने दावा किया है कि जिस जगह का डायवर्सन किया गया है वहां अब निर्माण शुरू हो गया है, लेकिन उसे अवैध बताकर उसके पिल्लर को तोड़ा गया और उसे नोटिस भी जारी की गई, जो शिकायत पत्र है वो 17 सितंबर 2024 को हुई शिकायत का है, जबकि अपर कलेक्टर के मुताबिक इस मामले की शिकायत चंद महीनों पहले भी हो चुकी है और इस मामले में जांच कमेटी भी गठित हुई थी, लेकिन सवाल ये है कि यदि जांच कमेटी गठित हुई तो अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई हुई और उक्त टीम ने इस मामले में वर्तमान अपर कलेक्टर अंकिता सोम से उनका पक्ष क्यों नहीं लिया? इस मामले में जल संसाधन विभाग ने भी मीडिया से बातचीत में नहर की जमीन में अधिग्रहण करने की पुष्टी की है और विभाग ने कजा करने वाले लोगों को नोटिस भी जारी की है और इस मामले की पूरी जानकारी कलेक्टर को देने की बात कही है।
17 को शिकायत 18 को मिली अतिरिक्त जिम्मेदारी
कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी/अपर कलेक्टर/डिप्टी कलेक्टर के मध्य पूर्व में जारी कार्य विभाजन आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए,अंकिता सोम,अपर कलेक्टर कोरिया को उन्हें पूर्व में आवंटित कार्यों के अतिरिक्त नोडल अधिकारी,नगरीय प्रशासन विभाग (नगर पालिका बैकुण्ठपुर/शिवपुर चरचा/नगर पंचायत पटना),मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना/प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना तथा पूर्व आदेश द्वारा जिला रोजगार अधिकारी को लाइवलीहुड कालेज में संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के नोडल अधिकारी नामांकित किया गया है। इसके अलावा हितग्राहियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के साथ समन्वय करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम सुचारू रूप से सम्पन्न कराने हेतु प्रभारी अधिकारी नामांकित किया गया था, में आंशिक संशोधन करते हुए जिला रोजगार अधिकारी को सहायक नोडल अधिकारी नामांकित किया गया है। सहायक नोडल अधिकारी,अपर कलेक्टर के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में अब कार्यों का सम्पादन करेंगे।
शासकीय भूमि के डायवर्सन करने से इंकार
इस मामले में अपर कलेक्टर अंकिता सोम एक रिपोर्टर को बताया की मामले में पहले भी किसी ने शिकायत की थी,जिसके बाद जांच कमेटी गठित हुई थी,लेकिन अब तक इस मामले में कलेक्टर द्वारा गठित टीम ने उनका पक्ष नहीं लिया है और उन्होंने किसी भी शासकीय भूमि के डायवर्सन करने से इंकार किया है उन्होंने 5 लाख रूपए लेने जैसे आरोपों को भी नकारा है।
तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में की थी काफी मनमानी
पूर्व एसडीएम बैकुंठपुर और वर्तमान में अपर कलेक्टर कोरिया अंकिता सोम का नाम पूर्व की कांग्रेस सरकार और पूर्व के कलेक्टर के कार्यकाल में काफी सुर्खियों में था। अपनी मनमानी के लिए वह तब काफी प्रसिद्ध थीं वहीं नई सरकार ने इन्हे एसडीएम के पद से तो हटा दिया लेकिन अभी यह जिले में ही पदस्थ हैं और अपर कलेक्टर का जिम्मा सम्हाल रही हैं। वैसे यह महिला बाल विकास मंत्री के यहां भी संलन्न होने का प्रयास कर चुकी हैं जहां यह असफल रहीं वहीं अब यह जिले में ही कार्यरत हैं।
कार्यप्रणाली अच्छी नहीं और बनना चाहती हैं कमिश्नर व जिला पंचायत सीईओ
विभागीय जानकारों की माने तो फिलहाल अपर कलेक्टर का प्रभार देख रही अंकिता सोम का कार्यकाल कैसा रहा है एक एसडीएम बतौर यह बात किसी को बताने की जरूरत नहीं लेकिन जबसे इन्हे एसडीएम बैकुंठपुर के पद से हटाया गया है तभी से यह कमिश्नर या जिला पंचायत सीईओ बनने का ख्वाब देख रही हैं। वैसे बता दें वर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल में इनकी मंशा शायद ही पूरी हो क्योंकि वर्तमान कलेक्टर प्रशासनिक कसावट को लेकर सक्रिय नजर आ रही हैं और वह भ्रष्टाचार को लेकर भी मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करती नजर आ रही हैं। सूत्रों का दावा है की सरगुजा कमिश्नर या जिला पंचायत सीईओ बना चा रही है जिसके लिए वह प्रयासरत है।
क्या चौहद्दी देने वाले ने भी जानकारी छुपाई?
जमीन नहर की है क्या इस आशय की जानकारी चौहद्दी देने वाले ने भी छिपाई यह भी एक सवाल है। शिकायतकर्ता यदि शिकायत प्रस्तुत किया है तो कोई न कोई तथ्य उसके पास है जरूर वैसे चौहद्दी में इस बात का उल्लेख क्यों नहीं है यदि जमीन नहर की है यह बड़ा सवाल है।
क्या शिकायत के आधार पर होगी निष्पक्ष जांच या फिर होगा बचाने का प्रयास?
नहर की जमीन का डायवर्सन हुआ और लाखों का लेनदेन हुआ यह शिकायत कलेक्टर से हुई है। अब देखना है की क्या इस मामले में जांच निष्पक्ष होती है या राजस्व अधिकारी अपने विभाग की छवि बचाने शिकायत को दबा ले जाते हैं। कुल मिलाकर अब मामला कलेक्टर के ऊपर निर्भर है और जिस हिसाब से जिले की कलेक्टर का कामकाज है लगता है की जांच भी होगी और निष्पक्ष जांच होगी।
कमिश्नर व जिला पंचायत सीईओ बनने के लिए पैरवी जारी
सरगुजा कमिश्नर और जिला पंचायत सीईओ बनने के लिए इनकी जोर आजमाइश जारी है और पैरवी भी अंदरूनी जारी है यह सूत्रों का दावा है। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो वही जाने लेकिन चर्चा का बाजार गर्म है।
क्या जल संसाधन विभाग से भी मांगी जाएगी जानकारी
यदि नहर की जमीन है तो क्या जल संसाधन विभाग से भी इसकी जानकारी मांगी जाएगी? यदि नहर की जमीन का डायवर्सन हुआ है तो जल संसाधन विभाग ही सही जानकारी दे सकता है ऐसे में जल संसाधन विभाग से भी जानकारी लेनी चाहिए ताकि सत्यता का पता चल सके।
क्या शिकायत की सही जांच कर प्रशासन करेगा पूरे मामले का खुलासा?
शिकायत की जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि जिस अधिकारी पर आरोप लगे हैं यदि वह सही है तो फिर प्रशासन को भी इसकी जांच करके अपने अधिकारी की जानकारी साझा करना चाहिए और बताना चाहिए की जांच निष्पक्ष तरीके से हुई है और अधिकारी की कोई भी गलती नहीं है और यदि गलती पाई जाती है तो कार्रवाई भी तत्काल करनी चाहिए।
शिकायतकर्ता को भले ही खोज ना पाए पर शिकायत सही हो सकती है यदि जांच हो तो
शिकायतकर्ता का आवेदन में जिस प्रकार से नाम व पता पूरा नहीं है उसे देखकर ऐसा लगता है कि भले ही शिकायत करता अपना नाम छुपाना चाह रहा हो पर शिकायत के साथ जो दस्तावेज लगे हैं वह कहीं ना कहीं सही माने जा रहे हैं यदि शिकायत की जांच सही तरीके से हो जाए वह दस्तावेजों को सही तरीके से देखा जाए तो सही गलत का पता चल सकता है।


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