- अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से सबसे सक्रिय कांग्रेसी हैं सुजीत सोनी
बैकुण्ठपुर,13 सितम्बर 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के पटना ग्राम पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है और इसबार अब पटना में नगर पंचायत का चुनाव होगा जिसमे अध्यक्ष और पार्षद जनता चुनेगी। वैसे तो नगर पंचायत का विरोध भी हो रहा है मंच लगाकर लगातार धरना भी जारी है विरोध में लेकिन यदि नगर वासियों की माने तो विरोध करने वालों में अधिकांश बाहरी लोग हैं जो पटना के निवासी ही नहीं हैं वहीं विरोध करने वालों की संख्या भी इतनी नजर नहीं आई जिससे कहा जाए की बड़ा वर्ग विरोध में है। वैसे विरोध के बीच अलग अलग वर्ग से आने वाले लोग जाति समाज से आने वाले लोग अध्यक्ष पद सहित पार्षद पद के लिए होने वाले आरक्षण को लेकर भी मंथन कर रहे हैं और अपने अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं।
यदि अध्यक्ष का पद अनारक्षित हुआ तो यह माना जा रहा है की दलीय प्रत्याशियों के अलावा बड़ी संख्या में लोग नामांकन दाखिल करेंगे वहीं यदि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पद अध्यक्ष का आरक्षित हुआ तब दो प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए काफी दिक्कतें आने वालीं हैं क्योंकि दोनों ही दलों में अन्य पिछड़ा वर्ग से कोई दमदार प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है जो अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त माना जाए यह बात वरिष्ठ नेताओं के हिसाब से कही जा सकती है क्योंकि वरिष्ठ भाजपाई या कांग्रेसी जो अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से आते हैं वह पार्टी के लिए उतने समर्पित कभी नहीं रहते जितने युवा वर्ग के कार्यकर्ता समर्पित रहते हैं। वैसे भी हाल फिलहाल में राजनीति में युवाओं का दखल ज्यादा ही देखने को मिल रहा है और वह सफल भी हो रहे हैं क्योंकि वह पार्टी के लिए जमीनी मेहनत कर रहे हैं वहीं बड़े वरिष्ठ नेता ज्यादातर व्यवसाय में ही व्यस्त हैं।
तिवारी, शुक्ला, शर्मा के भी सुजीत हैं खास, मिल सकता है इन्हे इसका प्रत्याशी बनने में लाभ
सुजीत सोनी कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं यह कहना गलत नहीं होगा वहीं यदि पटना 84 क्षेत्र के नेताओं के हिसाब से देखा जाए तो सुजीत कांग्रेस के बड़े नेता तिवारी, शुक्ला, शर्मा के खास हैं और इसका उन्हे टिकट के दौरान लाभ मिल सकता है। सुजीत को इन तीनो का साथ मिला और सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो सुजीत ही कांग्रेस के लिए युवा एवम बेहतर विकल्प हैं।
आईए समझते है पिछड़ा वर्ग प्रत्याशी समीकरण को
भाजपा की बात की जाए तो भाजपा में अन्य पिछड़ा वर्ग से युवा कोई ज्यादा प्रभावी प्रत्याशी हो सकता है वह यदि महिला प्रत्याशी हो या पुरुष दोनों ही स्थिति में वरिष्ठ से ज्यादा प्रभाव मतदाताओं पर डाल सकेंगे क्योंकि वरिष्ठ जन व्यवसाय के अलावा कभी सामाजिक गतिविधियों में शामिल नजर नहीं आते न ही उनका कोई योगदान ही ग्राम नगर के लिए कभी देखा गया वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से सुजीत सोनी एक ऐसे कार्यकर्ता पार्टी के हो सकते हैं जिनपर पार्टी दांव खेल सकती है और युवाओं का रूझान अपनी ओर कर सकती है लेकिन सुजीत सोनी अर्थबल से कमजोर साबित हो सकते हैं वहीं यदि एक कार्यकर्ता की हैसियत से उनकी तुलना अन्य से की जाएगी तो शायद ही कोई अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से पटना से उनके मुकाबले पार्टी के लिए समर्पित होगा।
सुजीत को गुटबाजी से खतरा
सुजीत सोनी के साथ एक समस्या और सामने आ सकती है और वह यह की वह कांग्रेस के ही गुटबाजी के भी शिकार हो सकते हैं शेष अब देखना है की यदि अन्य पिछड़ा वर्ग अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण होता है तो दोनों प्रमुख दल किस पर दांव लगाते हैं शुद्ध व्यापारिक मानसिकता के ऐसे लोगों पर जिनका सामाजिक सरोकार शून्य रहा हो या फिर किसी ऐसे युवा पर जो पार्टी के लिए भी समर्पित हो और जो पार्टी के लिए जी जान लगाता हो। पार्टियों के लिए यह चुनाव अपने कर्मठ युवा कार्यकर्ताओं के लिए विश्वास साबित करने का भी चुनाव साबित होने वाला है।