- कसूर तो बस अखबार के संपादक व पत्रकार का इतना ही था कि वर्तमान सरकार की कमियों को दिखा रहा था
- अखबार के दफ्तर पर तो कार्यवाही हो गई पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र व फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही से क्यों घबरा रही शासन?
- अखबार के दफ्तर पर कार्यवाही करने से तो शासन नहीं घबराई पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र व फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले संजय व प्रिंस पर कार्यवाही करने से घबराहट क्यों ?
- जिस अखबार को लोग छोटा अखबार मानते हैं आखिर इस अखबार की खबर से बौखलाहट क्यों होती है?
- सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर संदीपान ने प्रतिष्ठान व कार्यालय पर बुलडोजर किसके हुकूम पर चलवाया?
- अखबार तो खबर प्रकाशित कर सरकार को वह कमियां दिख रहा था जिसे दूर करके जनता की हितेषी सरकार बनी…पर क्या वह जनता की हितेषी नहीं बनना चाह रही?
- अखबार के कलम बंद करने से लेकर अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान के टूटने तक की कहानी अपनी जुबानी…


-भूपेन्द्र सिंह-
अम्बिकापुर,06 सित΄बर 2024 (घटती-घटना)। पूरे देश में अपने बुलडोजर कार्यवाही के कई मामले देखे व सुने हो΄गे लगभग सभी मामले ऐसे प्रकरणो΄ मे΄ देखने व सुनने को मिले हो΄गे जो मामले आतंकवादी या हत्यारे या फिर बलात्कारी व भू माफियों से जुड़े होते है, जो काफी क्रूरता पूर्वक किसी अपराध को अ΄जाम देते है इसके प्रति जनता में काफी विरोध होता है और सरकार से न्याय की उम्मीद होती है, ऐसी कार्यवाहियों पर जनता भी सरकार की पीठ थपथपाने का प्रयास करती है, पर इस समय देश के एक छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ की एक बुलडोजर कार्यवाही की बात हो रही है जो अपने आप में एक अजीबो-गरीब कार्यवाही कही΄ जा सकती है, यह कार्यवाही कहे तो लोकत΄त्र के विरुद्ध है कहे तो लोकत΄त्र के चौथे स्त΄भ को दबाने के लिए है या कहे तो पावर वाले व्यक्तियों के लिए है जो सच प्रशासन बर्दाश्त नहीं कर सकते? यह कार्यवाही आतंकवादी हत्यारे व बलात्कारियों के विरुद्ध नहीं हुई यह कार्यवाही हुई तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ व संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत ईमानदारी से खबर प्रकाशित करने वाले अखबार के दफ्तर के विरुद्ध हुई, उसके प्रतिष्ठा के विरुद्ध हुई, जिसमें बिना समय दिए वह अपील के अधिकारों से वंचित करके बुलडोजर कार्यवाही उसे तर्ज पर की गई जिस तर्ज पर आत΄कवादियो΄ बलात्कारियो΄ व हथियारो΄ के घरों पर की जाती है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद बुलडोजर की पहली कार्यवाही काफी सुर्खियों में है और कहे तो काफी विवादों में भी है।
दैनिक घटती-घटना संस्थान परबुलडोजर चलाकर क्या क्रूरतावादी होने का परिचय दिया सरकार ने?
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के दैनिक घटती-घटना अखबार को आखिरकार कलम बंद क्यों करना पड़ा…?
यह सवाल सभी के जेहन मे΄ आ रहा होगा,तो हम आपको बताना चाहे΄गे कि दैनिक घटती-घटना अखबार सदैव ही लोगो΄ के लिए सच्ची खबर प्रकाशित करने का काम करता है, सरकार किसी की भी हो उन्हे΄ कमिया΄ दिखाने का काम करता रहा है,वर्तमान सरकार में कमियों को दिखाने का काम एक बार फिर दैनिक घटती-घटना ने शुरू किया जिसका परिणाम यह मिला की कार्यालय व प्रतिष्ठान को जमींदोज कर दिया। कलेक्टर सरगुजा को वैसे तो काफी ईमानदार छवि का माना जा रहा था जब वह सरगुजा पहुचे थे कलेक्टर बनकर लेकिन जैसे ही उनका नाम प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल से जुड़ा वैसे ही उनकी भी छवि अब पाक-साफ नही΄ रह गई यह माना जा सकता है। एक फर्जी अहर्ता के आधार पर नौकरी करने के आरोपी के साथ उनकी घनिष्ठता उनकी छवि को नुकसान पंहुचा रही है। प्रभारी डीपीएम प्रि΄स की तो आदत में ही छल और भ्रष्टाचार शुमार है वही΄ जैसे ही उसकी शिकायत पर कलेक्टर सरगुजा एक अखबार के विरुद्ध सक्रिय हुए उसे नेस्तनाबूत करने के लिए यह तय हो गया की कलेक्टर सरगुजा खुद के विवेक से चलने की बजाए एक ऐसे व्यक्ति के इशारे पर काम कर रहे है जो फिलहाल जिस नौकरी में है उसके ही जा΄च की मा΄ग हो रही है और उसके अहर्ता के भी फर्जी होने की बात कही जा रही है भ्रष्टाचार के आरोप तो जो है वह है ही।
क्या कसूर मात्र फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र व फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले की खबर प्रकाशित करना था?
क्या सरकार सच देखना नही΄ चाहती या फिर दिख रही कमियो΄ को किसी के दिखाने पर उसे दूर नही΄ करना चाहती? किसी अखबार के दफ्तर पर हुई कार्यवाही को लेकर तरह-तरह के सवाल है΄ और सवाल हो भी तो क्यों΄ ना हो? क्या वर्तमान सरकार भी फर्जी लोगो΄ को ही स΄रक्षण देना चाहती है,वास्तविक दिव्या΄ग सरकार से मिलने वाले लाभ से व΄चित हो रहे है΄ पर वही फर्जी दिव्या΄ग प्रमाण-पत्र पर नौकरी पाकर वास्तविक दिव्या΄गो΄ के हक को मारा जा रहा,जिसे लेकर दैनिक घटती-घटना ने खबर प्रकाशित कर रहा था,जिसमे΄ स΄जय मरकाम जो प्रशासनिक राज्य सेवा के अधिकारी है΄ साथी वर्तमान मे΄ स्वास्थ्य म΄त्री के ओएसडी है΄ अब इनके ऊपर आरोप है कि उनकी दिव्या΄ग प्रमाण-पत्र ही फर्जी है जिसके आधार पर वह डिप्टी कलेटर बने हुए है΄ वही΄ दूसरी ओर स्वास्थ्य म΄त्री के भतीजे कहकर घूमने वाले सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम प्रि΄स जायसवाल जिनकी डिग्री ही फर्जी है,अब इन दोनो΄ के मामले मे΄ खबर प्रकाशित की जा रही थी जिसके विरुद्ध शासन को प्रशासन को स΄ज्ञान लेकर जा΄च करके कार्यवाही करनी थी पर उनके विरुद्ध कार्यवाही करने मे΄ घबराहट हुई,पर वही΄ उनकी कमियो΄ को प्रकाशित करने वाले अखबार के दफ्तर व प्रतिष्ठा पर कार्यवाही बुलडोजर के द्वारा कर के अपने पाक साफ सरकार बताने मे΄ लगे हुए है΄। दोनो΄ ही स्वास्थ्य म΄त्री से जुड़े हुए है΄ पर स्वास्थ्य म΄त्री इन दोनो΄ के मामले मे΄ साफ कह रहे है΄ कि प्रभारी डीपीएम मेरा कोई भतीजा नही΄ है और जा΄च के लिए बात कही गई है,वही΄ उनके ओएसडी के डिग्री फर्जी है यह बात उन्हे΄ पता नही΄ थी पर अब पता है तो भी वह कार्यवाही नही΄ कर पा रहे, आखिर यह दोनो΄ व्यक्ति कितने प्रभावशील व्यक्ति है΄ की स्वास्थ्य म΄त्री भी उनके सामने लाचार है΄? पर वहीं इन सब खबरो΄ को प्रकाशित करने वाला अखबार ही कसूरवार हो गया?
बुलडोजर कार्यवाही से सरकार के चेहरे से हिंदूवादी मुखौटा उतर गया
जिस तरह दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र के विरुद्ध द्वेषवश कार्यवाही सरकार ने की वह कार्यवाही कोई हिंदूवादी सरकार की कार्यवाही नहीं कही जा सकती…? क्योंकि कार्यवाही पीठ पर वार जैसी थी कार्यवाही तब की गई जब समाचार-पत्र के संपादक गमगीन अवस्था में थे यदि कहा जाए सूतक काल में थे। वैसे कार्यवाही के सन्दर्भ में यह भी देखने को मिला की कार्यवाही के लिए सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, यहा तक कि कैबिनेट की बैठक भी उन्हें करनी पड़ी जो यह साबित करने काफी है की सरकार प्रदेश की हिंदूवादी सरकार जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध खुद को एक बेहतर सरकार बतलाती है वह भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए निम्न स्तरीय निर्णय लेने भी मजबूर हुई क्योंकि भ्रष्टाचारी एक तरफ एक मंत्री का भतीजा भी है और वहीउसी मंत्री का एक ओएसडी भी और दोनों ही की नौकरी भी फर्जी है डिग्री फर्जी है एक की नौकरी फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर लगी है।
क्या भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए ही सरकार केवल सही व्यवहार रखती है..?
सरकार की नजर में हमारा कसूर खबरों के मध्यम से कमी दिखाना था,क्या सही में यही वजह थी इसलिए प्रतिष्ठान को नेस्तनाबूत करने का निर्णय लिया गया, क्योंकि वह सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वही΄ सरकार के मंत्रियों के इर्द-गिर्द रहने वाले भ्रष्ट एवं ऐसे अधिकारियों के खिलाफ वह अभियान चला रहा होता है,जिनकी या तो डिग्री फर्जी है या फिर वह फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं यदि कहा जाए की केवल गलत लोगों साथ ही भ्रष्टाचार के रास्ते नौकरी में आए भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियो΄ कर्मचारियो΄ के लिए ही सरकार केवल सही व्यवहार रखती है..? ईमानदार और भ्रष्टाचार विरुद्ध सोच रखने वाले के खिलाफ ही सरकार क्या षड्य΄त्र कर रही है…यह भी एक बड़ा सवाल है।
बुलडोजर कार्यवाही हुई भी तो उसके शिकायत पर…जिसकी खबर छप रही थी…शिकायतकर्ता भी कोरिया से ढूंढ लाए…
दैनिक घटती-घटना अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठा पर कार्यवाही करने के लिए सरगुजा जिला प्रशासन ने कैसे शिकायतकर्ता को ढूंढ कर लाया…वह भी जिसके विरुद्ध लगातार अनियमिताओं खबर छप रही थी…सरगुजा जिले में नहीं मिला…शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ निकाला गया शिकायतकर्ता…ताकि अखबार को आर्थिक नुकसान पहु΄चाया जा सके…और खबर को लेकर दबाव बनाया जा सके। यहा΄ तक कि कलम बंद अभियान को भी बंद किया जा सके।
संविधान विरोधी हुई कार्यवाही पर एक नजर… जिसका न्यायालय में जवाब तो सबको देना होगा
- प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो दैनिक घटती-घटना की खबरों की ही देन है उनसे जुड़ी कमियों को अखबार ने जब दिखाना शुरू किया तो उन्हें यह बात रास नहीं आई।
- स्वास्थ्य मंत्री के विभाग में जो हो रहा था उससे उनकी छवि खराब हो रही थी जिसे बताने का काम दैनिक घटती-घटना ने किया तो यह नहीं पता था कि उन्हें बताना कभी महंगा पड़ेगा।
- कमियां दूर करने के बजाय दैनिक घटती-घटना को दबाने के लिए उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए जून 2024 में शासकीय विज्ञापन पर रोक लगाया गया।
- विज्ञापन रोक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दबाब बनाने के फैसले के विरोध में दैनिक घटती-घटना ने 1 जुलाई 2024 से कलम बंद अभियान की शुरुआत की ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हमेशा ही स्वतंत्रता के साथ काम कर सके।
- दैनिक घटती-घटना अखबार इस अभियान को सिर्फ अपने लिए शुरू नहीं किया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बचाने के लिए इस अभियान को शुरू किया…।
- 3 जुलाई 2024 को टीएल मीटिंग में कलेक्टर साहब ने अपने घनिष्ठा प्रिंस जायसवाल के आवेदन को मंगाया और जांच के लिए आदेशित किया।
- 5 जुलाई 2024 को नमनाकला आरआई ने जांच प्रतिवेदन जांच करके सौंप दिया।
- 10 जुलाई 2024 को आबंटन/व्यवस्थापन समिति के द्वारा हमारे आबंटन/व्यवस्थापन प्रकरण को अपात्र घोषित कर दिया गया।
- 13 जुलाई 2024 को मंत्री जी के प्रतिनिधि मंडल संपादक के कार्यालय पहुंचे बातचीत हुई और चलते बने।
- 19 जुलाई 2024 को कैबिनेट की बैठक रखी गई और पूर्व सरकार के फ्री होल्ड व 152 प्रतिशत वाली योजना को निरस्त कर दिया गया,जिस कारण पुरे प्रदेश के लोगो को नुकसान हुआ जिसका खामियजा नगरी निकाय चुनाव में वर्तमान सरकार भुगतना पड़ सकता है।
- अखबार के कार्यालय को और संपादक के प्रतिष्ठान को तोडऩे के लिए 19 जुलाई 2024 को कैबिनेट की बैठक रखी गई।
- 23 जुलाई 2024 को पूर्व सरकार के 152 परसेंट व फ्री होल्ड योजना को निरस्त कर दिया गया…यह आदेश लोगों की जानकारी में 26 जुलाई 2024 को आया और 26 जुलाई को ही बेदखली का नोटिस 23 जुलाई २०२४ की तिथि पर दिया गया।
- अखबार के संपादक को बेदखली का नोटिस पितृ शोक के दौरान मिला 26 जुलाई 2024 को शाम 6:45 बजे के बाद मिला और 27 जुलाई 2024 का समय दिया गया बेदखली का।
- पितृ शोक में रहने के बावजूद संपादक ने तत्काल ही 26 जुलाई 2024 को संबंधित अधिकारी को बेदखली में खाली करने के लिए समय मांगा गया पर समय न देकर 28 जुलाई 2024 को सुबह 5:00 बजे प्रशासन कई बुलडोजर व सुरक्षा के साथ पहुंच गया।
- कार्यवाही की एक दिन पहले 27 जुलाई 2024 को रात 10:30 बजे स्वास्थ्य मंत्री के प्रतिनिधिमंडल जिसमें उनके ओएसडी संजय मरकाम सहित चार अन्य लोग संपादक के घर बैठे रहे और मामले पर बात करते रहे।
- स्वास्थ्य मंत्री का प्रतिनिधिमंडल 4:00 तक संपादक के घर बैठ रहा और 5:00 बजे कार्रवाही करने पूरा प्रशासनिक अमला पहुंच गया।
- दैनिक घटती-घटना के कलम बंद अभियान को संज्ञान में लेने के बजाय उस अभियान को बंद करने के लिए 28 जुलाई 2024 अखबार के कार्यालय व संपादक के प्रतिष्ठान पर बुलडोजर की कार्यवाही की गई।
- दैनिक घटती-घटना के कलमबंद अभियान के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री और संयुक्त संचालनालय जनसंपर्क के उपसंचालक मयंक श्रीवास्तव से शासकीय विज्ञापन बंद करने को लेकर सवाल पूछा कि आखिर क्या छापे जिससे आपको बुरा ना लगे?
- यह बात भी सरकार को नागवार गुजरी और सरकार ने और बड़ा कदम उठाया ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कुचला जा सके।
- कलमबंद अभियान के तहत 28 दिनों से प्रदेश के जिम्मेदार व प्रदेश की बेहतरी के लिए जिनके हाथों में कमान है उनसे सवाल किया गया पर वह सवाल को भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और 28 में दिन दैनिक घटती घटना के संस्थान पर बुलडोजर चलवा दिया।
- बुलडोजर चलवाना भले ही लोकतंत्र को कुचलने के लिए आसान लगा हो पर बुलडोजर चलने की आवाज भी पूरे देश में गूंज गई।
- पूरे देश में छत्तीसगढ़ सरकार की तानाशाही दिख गई,लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास दिख गया, पर नहीं दिख सकी तो सरकार की संवेदनशीलता सरकार ने यह बता दिया कि उनके अंदर संवेदना बिल्कुल नहीं है।
- जिस समय कार्यवाही की गई वह समय संपादक के घर पर शोक का था पर शोक के समय में सरकार ने कार्यवाही करके हिंदूवादी पार्टी होने के दावे को भी झुठला दिया।
- अखबार जो कमियों को दिखा रहा था वह कमी वाकई में सरकार की छवि को खराब कर रही थी सरकार अखबार की खबरों पर संज्ञान लेकर अपनी छवि को बेहतर कर सकती थी।
- उनके मंत्री अपनी छवि को बेहतर कर सकते थे पर अपनी छवि बेहतर करने के बजाय अपनी छवि को और खराब करने का सरकार का प्रयास सरकार के लिए ही गले की फांस बन गई।