@क्या छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश के लिए बन गए हैं पनौती…कहीं डायरिया का प्रकोप…तो कहीं मलेरिया का प्रकोप…अब आया स्वाइन फ्लू का प्रकोप…कैसे सम्हालेंगे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था…?
@ ऐसे में कैसे चलेगा स्वास्थ्य मंत्री जी विभाग… ट्रांसफर-पोस्टिंग छोडि़ए, व्यवस्था सुधारिए…
@ स्वास्थ्य मंत्री के विभाग में बजट को लेकर आपस में भिड़े अफसर…
@ एनएचएम संचालक को मिलता है स्वास्थ्य मंत्री का भरपूर सहयोग…इसलिए अन्य अफसर को तवज्जो नहीं देते संचालक…
@ स्वास्थ्य मंत्री बनते ही… श्याम बिहारी जायसवाल के छवि में आई गरावट… व्यवस्था बनी परेशानी…
-रवि सिंह-
रायपुर,01 सितम्बर 2024(घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश का मनेन्द्रगढ़ विधानसभा दो नंबर विधानसभा कहलाता है। यहां के विधायक हैं…भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल…जो दूसरी बार के विधायक हैं जिन्हें सत्ता वापसी के दौरान प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया…पर स्वास्थ्य मंत्री बनते ही…प्रदेश के लिए पनौती साबित हो रहे हैं स्वास्थ्य मंत्री जी…वह जब से स्वास्थ्य मंत्री बने हैं…तब से उनकी छवि में भी गिरावट आई है…उनके स्वास्थ्य मंत्री बनने से लेकर अभी तक की स्थिति पर यदि नजर डाला जाए…तो प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरी तो नहीं…पर व्यवस्था का ग्राफ जरूर गिरा है…। यह हम नहीं कह रहे यह अब उनके जिले से लेकर प्रदेश की जनता भी कहने लगी है। सारे अखबार व चैनल भी कहने लगे हैं क्योंकि उनके व्यवस्थाओं को लेकर सबसे ज्यादा यदि कमियां है…जिस वजह से आज खबरों की भी भरमार है…श्याम बिहारी जायसवाल जब जीत कर भाजपा के विधायक बने तो उन्हें भी इस बात का अंदाजा नही था कि मंत्रिमंडल में उन्हें जगह मिलेगा। जब उन्हें मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री की जगह मिली और साथ ही सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विभाग मिला तो लोगों को लगा कि शायद कुछ बेहतर करेंगे और स्वास्थ्य के लिए अच्छा काम होगा पर सिर्फ लोगों का यह सपना ही रहा…सारी चीज इसकी उलट रही…जैसे ही उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया वह पहले तो अपने ओबेसिटी और अपने पास रखने वाले कर्मचारियों को लेकर सुर्खियों में आए… काफी जल्दी तत्परता दिखाई सबसे पहले अपने कर्मचारियों व ओएसडी की नियुक्ति करने वाले कैबिनेट मंत्री वही रहे उसके बाद भाजपा विरोधियों को अपने साथ रखा। फर्जी प्रमाण-पत्र वालों को अपने करीब रखा,अब उनके प्रदेश में उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते ही प्रदेश को भी पनौती लग गई है…ऐसा माना जा रहा है क्योंकि इनका मंत्री बनने की अवधि 8 से 9 महीने की है…पर इस 8 से 9 महीने में प्रदेश कभी डायरिया से तो कभी मलेरिया से और अब तो स्वाइन फ्लू जैसे संक्रमण के कब्जे में है। ऐसे में प्रदेश विश्वास व्यवस्था लाचार हो गई है। डॉक्टर ज्वाइन नहीं कर रहे और उनके विभाग के अफसर आपस में ही भिड़ रहे हैं…इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग इस समय प्रदेश के लिए सिर्फ दिखावा तक ही रह गया है। प्रदेश में 9 मंत्री है…पर स्वास्थ्य विभाग का ही एक ऐसा विभाग है…जो इस समय सुर्खियों में है…। एक और नया मामला आपके सामने आ गया जहां टीके की वजह से पांच बच्चों की जान चली गई…और मामले में अभी तक संज्ञान नहीं लिया…और ना हीं परिजनों तक पहुंचे…ऐसे में कैसे चलेगा स्वास्थ्य मंत्री जी…आपका विभाग?
एनएचएम की कार्यकारिणी समिति की बैठक में बजट को लेकर हुआ था विवाद…
एनएचएम की कार्यकारणी समिति की बैठक में दो अफसरों का विवाद हुआ था यह बात प्रदेश में काफी सुर्खियां बटोर गई थी क्योंकि मामला स्वास्थ्य विभाग के बजट से जुड़ा था जहां बजट के लिए दो अधिकारी लड़ गए थे बैठक में और बाद में जब बात बाहर निकली दोनों की सफाई सामने आई थी। बताया जाता है कि एन एचएम के लिए मंत्री जी का काफी मोह है और यही वजह है कि बजट के लिए अधिकारी आपस में भिड़ गए थे जिनमे एक अधिकारी एनएचएम के थे।
वर्तमान से पहले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे… टीके से होने वाले बच्चों की मौत मामले में…
वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री से पहले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री वहां पहले पहुंच गए जहां टीकाकरण पश्चात बच्चों की मौत हुई है। बिलासपुर के कोटा से यह मामला सामने आया जहां पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव पहुंचे और उन्होंने टीके की बैच को सील करने की हिदायत स्वास्थ्य विभाग को दे डाली। बता दें कि…अभी तक वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री वहां नहीं पहुंचे हैं…और वह मामले में कोई सक्रियता भी नहीं दिखाए हैं…और न ही उन्होंने इस मामले में कोई निर्देश जारी किया है।
स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार जिले में डायरिया पीडि़तों की बाढ़…
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार जिला बलौदा बाजार आजकल डायरिया प्रभावित जिला बन गया है। उनके प्रभार जिले में डायरिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्वास्थ्य विभाग मरीजों की संख्या घटा पाने में असमर्थ साबित हो रहा है और यह कहा जा सकता है की जब प्रभार जिले का हाल बेहाल है तो पूरे प्रदेश का हाल समझा जा सकता है।
डायरिया व मलेरिया के संक्रमण के बाद अब स्वाइन फ्लू की दस्तक…
प्रदेश में डायरिया साथ ही मलेरिया का संक्रमण जहां पांव पसार रहा है…वहीं अब स्वाइन फ्लू से भी प्रदेश में जाने जा रही हैं। स्वाइन फ्लू से लगातार मरीज संक्रमित हो रहे हैं और उनकी जाने जा रही हैं। बता दें कि जो मलेरिया कई वर्षों से विलुप्त बीमारी हो चुकी थी…वह फिर से फैल रही है या जन्म ले चुकी है…वरना कई वर्षों से लोग मलेरिया नाम की बीमारी भूल चुके थे। वैसे वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री का कार्यकाल प्रदेश में स्वास्थ्य मामले में पनौती वाला ही साबित हो रहा है….और यह कहना गलत नही होगा कि जिस हिसाब से वह या उनके नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है प्रदेश बीमार ही हो रहा है स्वस्थ होने की बजाए…।