@क्या पत्रकार व संपादक कलाम की जगह तोप व मिसाइल रखे थे की 200-300 लोगों को लेकर आना पड़ा…
-विशेष-संवाददाता-
अम्बिकापुर,31 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। सरगुजा अंचल से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार घटती-घटना के कार्यालय पर हुई कार्यवाही को लेकर एक बात और सामने आ रही है पहली बार ऐसी कार्यवाही देखने को मिली है…जहां पर बेदखली के लिए बिना समय दिए ही भवन को जमींदोज करने की कार्यवाही की गई है…ऐसा लगा कि किसी अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठान पर नहीं…किसी आतंकवादी के अड्डे को नेस्तेनाबूत करने गए हुए थे…क्या दफ्तर व प्रतिष्ठान में तोप व बंदूक रखे हुए थे…जिससे पत्रकार हमला कर देते…? जिस वजह से 200-३०० लोगों का लेकर पहुंचा था प्रशासन? दलबल के साथ प्रशासन के लोग। यही वजह न मानी जाए तो क्या मानी जाए क्योंकि प्रतिष्ठान को खाली करने के लिए दिया गया समय क्या पर्याप्त था वह भी उस समय जब एक पुत्र पितृशोक में लोटा छुरी लेकर बैठा हुआ था…सभी को यह बात मालूम थी कि अखबार के संपादक के पिता का निधन हो गया है और संपादक ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते मुखाग्नि दिए थे जिस वजह से वह लोटा-छुरी लेकर होने वाले क्रियाकर्म में व्यस्त हैं। अखबार के दफ्तर की कार्यवाही किसी आतंकवादी के अड्डे पर भी कार्यवाही जैसी ही देखी जा रही है 200-३०० से अधिक लोग को लेकर प्रशासन पहुंचा था ऐसा लगा कि अखबार वाले वहां पर गोली-बंदूक चलाएंगे जबकि अखबार के मालिक ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रशासन को कार्यवाही करने दिया।
कार्यवाही हुई तो उसके शिकायत पर जिसकी खबर छप रही थी,सरगुजा से नहीं मिला शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ लाए…
दैनिक घटती-घटना अखबार के कार्यालय व प्रतिष्ठान पर कार्यवाही करने के लिए सरगुजा जिला प्रशासन ने कैसे शिकायतकर्ता को ढूंढ कर लाया,वह भी जिसके विरुद्ध लगातार अनियमिताओं खबर छप रही थी,सरगुजा जिले में नहीं मिला शिकायतकर्ता तो कोरिया से ढूंढ निकाला गया शिकायतकर्ता,ताकि अखबार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा सके और खबर को लेकर दबाव बनाया जा सके। यहां तक की कलम बंद अभियान को भी बंद किया जा सके।
वर्ष 2000 से वर्ष 2024 तक 16 कलेक्टर बदले किसी को भी जमीन कीमती नहीं दिखी,कीमती लगी भी तो सरगुजा के 52 वें कलेक्टर साहब को
सरगुजा जिला के पहले कलेक्टर की पदस्थापन 1 जनवरी 1948 को हुई थी वह कलेक्टर का नाम है जेडी केरवाला,तब के बाद से विलास भास्कर संदीपन 52 नंबर के कलेक्टर है, जिस जमीन से बेदखली की गई उसे पर कब्जा लगभग 1980 से था, 1980 से यदि देखे तो 26 कलेक्टर आए व गए किसी को भी उस जमीन की लालसा नहीं दिखाई दी। जमीन पर दैनिक घटती घटना का कार्यालय स्थापित है उसे जमीन पर कब्जा लगभग 40 वर्ष पुराना है यहां तक की कार्यालय का भी २०-२१ वर्ष लगभग होने को है पर इतने वर्षों में भी किसी भी कलेक्टर को वह जमीन बेस कीमती नहीं लगी, अचानक जब सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार आई और कुछ छोटी सोच के मंत्री आए तब उसे जमीन की कीमत बेस कीमती कलेक्टर साहब को लगने लगी,पर सवाल यह है कि पूरे सरगुजा के अंबिकापुर शहर में 60 प्रतिशत आबादी की जमीन पर कब्जा है क्या वह सब जमीन कीमती नहीं लगी सिर्फ कीमती लगी तो उसे अखबार के कार्यालय की जमीन जो अखबार लगातार सरकार को उनकी कमियों को आइना की तरह दिखा रहा था।