@शिकायत करने चरचा थाने में डटे रहे वन कर्मी…घंटो तक नही ली गई शिकायत…क्या जिलाध्यक्ष के प्रभाव में थे थाना प्रभारी?
@भाजयुमो का जिला महामंत्री है भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र की करतूत।
@ आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी महिला कर्मी के साथ हुज्जत बाजी और जातिगत टिप्पणी,क्या होगी कार्यवाही या फिर मामले को दबाया जायेगा?
–रवि सिंह-
बैकुंठपुर,30 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। भाजपा जिलाध्यक्ष कोरिया के पुत्र की गुंडागर्दी सामने आई है। मामला महिला वनकर्मी से अभद्रता की है उसे धमकी देने से जुड़ा है वहीं शासकीय वन डिपो से जहां जलाऊ लकड़ी निस्तार हेतु विक्रय किया जाता है वहां से जबरन 2500 कीमत की जलाऊ लकड़ी ले जाने का है। मामले में पीडि़त महिला वनकर्मी जो आदिवासी समुदाय से है वह पुलिस थाना चरचा में पूरे वन अमले के साथ पहुंची है लेकिन खबर लिखे जाने तक उसकी शिकायत न तो पुलिस ने ली है न ही भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के खिलाफ प्राथमिकी ही दर्ज हुई है। घटना के संबंध में सर्किल ऑफिसर फॉरेस्ट एवं डिपो प्रभारी छिंदडांड उषा भगत ने चरचा पुलिस थाना प्रभारी के लिए लिखित शिकायत लिख कर रखी है और वह अपने सहयोगी वनकर्मी साथियों के साथ पुलिस थाना चरचा इसलिए पहुंची हैं जिससे की भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज वह करा सकें साथ ही अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार साथ ही शासन की संपत्ति 2500 मूल्य की लकड़ी की लूट की वह वारदात को पुलिस के संज्ञान में ला सकें जो भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के द्वारा जबरन लुटकर ले जाई गई है।
मामले के संबंध में जैसा की लिखित आवेदन महिला वनकर्मी ने लिखकर पुलिस को देने का प्रयास किया है उसके अनुसार एक युवक निस्तार डिपो लकड़ी लेने पहुंचता है और वह लकड़ी मुफ्त मिल जाए इस हेतु अपने फोन से भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र से महिला वनकर्मी की बात कराता है वहीं जब भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र को महिला वनकर्मी फोन पर ही मुफ्त लकड़ी प्रदान करने से मना कर देती हैं तब भाजपा जिलाध्यक्ष का पुत्र थार गाड़ी से डिपो पहुंचता है और जबरन ट्रेक्टर से 2500 की लकड़ी उठा ले जाता है। भाजपा जिलाध्यक्ष का पुत्र महिला वनकर्मी से फोन पर अभद्र बात भी करता है और उसे फिंकवा देने की बात करते हुए गाली देता है।
महिला वनकर्मी ने खुद को भयभीत
इस संबंध में महिला वनकर्मी ने खुद को भयभीत बताया है वहीं घंटों वह अपने सहकर्मियों के साथ पुलिस थाना चरचा में खड़ी रहती हैं भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती न ही आवेदन ही लिया जाता है। वैसे प्रदेश के आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी महिला वनकर्मी के साथ हुई यह अभद्रता की घटना साथ ही ऐसी घटना जो भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र ने ही कारित की हो निंदनीय ही कही जाएगी और कहीं न कहीं आदिवासी महिला कर्मचारियों के लिए प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है यह भी कहा जा सकता है। आदिवासी महिला वनकर्मी काफी भयभीत है और वह मामले को लेकर डरी-सहमी है यह भी बात सामने आई है।
प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार के लिए यह बड़ी परीक्षा की घड़ी है
मामले में फॉरेस्ट डिपो के गेट की तस्वीर भी सामने आई है जिसे भी भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र सहित उसके साथियों ने नुकसान पहुंचाया है। अब देखना यह है की मामले में क्या पुलिस भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के विरुद्ध कार्यवाही करती है या फिर उसे इसलिए अभयदान देती है क्योंकि वह भाजपा जिलाध्यक्ष का पुत्र है। वैसे प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार के लिए यह बड़ी परीक्षा की घड़ी है क्योंकि एक तरफ भाजपा के जिलाध्यक्ष का पुत्र है वहीं दूसरी तरफ शासकीय कर्मचारी एक आदिवासी शासकीय महिला कर्मचारी की सुरक्षा का विषय है। इन दोनों विषय में प्रदेश की कानून व्यवस्था भी चुनौती में है क्योंकि जब वनकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम आदमी कैसे सुरक्षित रह सकेगा यह सोचने वाली बात है।
भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र के विरुद्ध शिकायत लेने से बचती रही पुलिस
खबर लिखे जाने तक महिला वनकर्मी की शिकायत कोरिया जिले की चरचा पुलिस ने स्वीकार नहीं की थी और न ही उन्होंने प्राथमिकी ही दर्ज की थी जबकि महिला एम वनकर्मी लिखित शिकायत के साथ पहुंची थी और उसके साथ अन्य उसके सहकर्मी वन विभाग के कर्मचारी भी थे।महिला वनकर्मी की लिखित शिकायत को लेकर घंटो वह पुलिस थाने के सामने खड़ी रही और अन्य वनकर्मी भी खड़े रहे जिससे शिकायत दर्ज हो सके लेकिन पुलिस मामले में बचती रही जिससे उसे कार्यवाही करने से बचना आसान हो क्योंकि मामला भाजपा जिलाध्यक्ष से जुड़ा हुआ था। पुलिस किस तरह पूरे मामले में एक महिला वनकर्मी के न्याय में बाधक बनती रही यह बात इसी बात से समझा जा सकता है की महिला वनकर्मी घंटो केवल शिकायत दर्ज कराने पुलिस थाने में खड़ी रही।
क्या भाजपा जिलाध्यक्ष का पुत्र होना कानून तोड़ने की देता है इजाजत?
मामले में यह भी सवाल उठता है की क्या भाजपा जिलाध्यक्ष का पुत्र होना कानून तोड़ने की इजाजत देता है। महिला कर्मचारी के साथ अभद्रता साथ ही गाली गलौज की इजाजत देता है,शासकीय संपत्ति लूटने की इजाजत देता है। जिस तरह भाजपा जिलाध्यक्ष के पुत्र ने शासकीय संपत्ति विक्रय हेतु रखी गई लड़की लूटी और शासकीय संपत्ति को फॉरेस्ट के लोहे के गेट को तोड़कर जबरन गाड़ी बाहर निकाला यह कहना गलत नहीं होगा की जिलाध्यक्ष का पुत्र होना उसके लिए कानून से ऊपर होना हो गया है। बता दें की यह गुंडागर्दी की पराकाष्ठा है क्योंकि मामला शासकीय संपत्ति के लूट की तो है की साथ ही महिला वनकर्मी जो आदिवासी समुदाय से है उसके साथ भी अभ्रदता गाली गलौज साथ ही उसे धमकी देने से जुड़ा है।