अंबिकापुर@कलम बंद अभियान के हुए 60 दिन बुलडोजर की कार्यवाही से हुए पुरस्कृत

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अंबिकापुर,30 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। विरोध शब्द काफी क्रांतिकारी शब्द है इस शब्द का उपयोग हमेशा आदमी अपने अधिकार से वंचित होने पर करता है यानी कि जब उसके अधिकार को कुछ छिनता है तो कोई भी व्यक्ति उसका विरोध करता है और यह विरोध का अधिकार किसी और ने नहीं देश की आजादी के बाद हमें संविधान ने दिया है, पर विरोध के दौरान सुरक्षा शायद संविधान में नहीं है क्योंकि संविधान का पालन करने वाले ही सुरक्षा देने में असमर्थ हैं या कहे तो शायद सुरक्षा देने से उनके अधिकार छीन जाएंगे,कुछ ऐसा ही विरोध कई बार पक्ष-विपक्ष सभी के द्वारा देखने को मिलता है क्योंकि संविधान में यह अधिकार दिया है। संविधान ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी अनुच्छेद 19 के तरह कुछ अधिकार दिए पर उस अधिकार को भी इमानदारी से पालन करने में कठिनाइयां काफी है ऐसे ही एक कहानी है भारत के एक छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ के सरगुजा आदिवासी अंचल से प्रकाशित होने वाले एक अखबार की जिसने हमेशा सच्चाई के साथ खबर प्रकाशन करना ही अपना कर्तव्य समझा…बिना लांग-लपेट के शासन-प्रशासन की कमियों को दिखाने का प्रयास किया 2० वर्षों से प्रकाशित होने वाले इस अखबार में काफी संघर्ष के साथ अपने पाठकों को सच्ची खबरें परोसी.. सहयोग के आवाज बने…विकास पर नजर पड़े…इसके लिए प्रशासन की तीखी नजरों को भी देखा,जनप्रतिनिधियों से भी टकराया…सिर्फ लोगों की आवाज बनने के लिए। लोगों की समस्याओं को पहुंचाने के लिए सीधे सरकार से टकराया वर्तमान सरकार से भी एक ऐसे ही बड़ी टकराहट देखने को मिली…कमियों को दिखाने पर शासकीय विज्ञापन पर रोक लगा उसके लिए अखबार ने विरोध के स्वर स्वर उठाएं और कलम बंद अभियान की शुरुआत की यह अभियान अखबार ने अपने लिए नहीं हर अखबार व मीडिया संस्थानों के लिए उठाया ताकि किसी के साथ भी दबाव सरकार ना बनाएं…निष्पक्ष खबरें प्रकाशित करने का अधिकार दें उस अखबार के कलम बंद अभियान से सरकार को भले ही पीड़ा हुई पर सरकार को भी इस बात की समझ होनी चाहिए कि लोकतंत्र में जो अधिकार मिले हैं वह छीनने के लिए आप नहीं बैठे हैं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ही आप सरकार में चुने हुए हैं पर शायद कलम बंद अभियान ने भी सरकार को कचोट दिया,जिस वजह से उन्होंने कलम बंद अभियान के 28 वें दिन अखबार को बुलडोजर कार्यवाही से पुरस्कृत कर दिया,प्रदेश नहीं पूरे देश में अखबार की प्रतिष्ठा का कद बढ़ा दिया, और यह बता दिया कि सरकार चाहे तो किसी पर भी जुल्म ढा सकती है सरकार के खिलाफ जो बोलेगा उस पर सीधे बुलडोजर ही चलेगा,इसके बाद भी अखबार ने अपने दफ्तर व प्रतिष्ठान के टूटने के बावजूद कलम बंद अभियान को जारी रखा,जिसके साथ 60 दिन पूरे हुए और आगे यह कितने दिन चलेगा यह सिर्फ अब सरकार को ही तय करना है,अब सरकार इसे खत्म करने के लिए या तो संपादक पर बुलडोजर चलाएगी या फिर पत्रकार पर या फिर अपने सौम्य व सरल होने का परिचय देते हुए बातचीत से इस मसले को सुलझाएगी जो देखनेवाली बात होगी।


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