अम्बिकापुर @ कलम बंद का 51 वां दिन खुला पत्र @बदले की भावना से किसी व्यक्ति पर कार्यवाही अनुचित…

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विशेष संवाददाता-
अम्बिकापुर,21अगस्त 2024(घटती-घटना)।
खबरों के प्रतिशोध में जहां मौजूदा सरकार ने नियम को ही निरस्त कर दिया और शासन-प्रशासन को खुली छूट दे दी…एक अखबार के प्रतिष्ठा को नेस्तनाबूत करने की…और ऐसा लगा कि उन्होंने कोई जंग जीत ली हो…लेकिन अखबार के प्रतिष्ठान टूटने से सरकार की छवि कितनी धूमिल होगी इस बात का अंदाजा शायद उन्हें भी नहीं था,लेकिन कार्यवाही तो उन्होंने कर दी पर इस कार्यवाही से सरकार की थू-थू वाली स्थिति हो गई है,मौजूदा सरकार व प्रशासन में बैठे लोगों को तो सिर्फ प्रतिशोध निकालना था वहीं शासन में बैठे मंत्रियों की बात मानी और एक अखबार के मालिक के प्रतिष्ठान को जमीदोज करके सिर्फ अपना प्रतिशोध निकाला,प्रतिशोध को पूरा करने के लिए प्रतिष्ठान को नेस्तनाबूत करने की प्रक्रिया रची गई थी जिसका हिस्सा बने थे वह लोग जो अखबार की खबरों से कुंठित व जेल जाने का डर समा चुका था, जिस मामले में भले ही लोगों को लग रहा था कि मामला शांत है पर इस शांत मामले में विपक्ष के एक बड़े नेता का बयान आना सरकार को भी कचोटेगा।
दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र के संपादक के प्रेस कार्यालय सहित उनके प्रतिष्ठान पर बुलडोजर कार्यवाही के उपरांत पहली बार किसी बड़े विपक्षी नेता का बयान सामने आया है जो पूर्व उपमुख्यमंत्री का बयान है जिसमे उन्होंने यह कहा है कि कार्यवाही कहीं न कहीं द्वेषपूर्ण है और अनुचित है। पूर्व उपमुख्यमंत्री का एक बयान सामाने आया है जिसमे उन्होंने यह माना है कि जो कार्यवाही अंबिकापुर में दैनिक घटती -घटना संपादक के विरुद्ध हुई उसे कुछ समय के लिए टाला भी जा सकता था और चूंकि संपादक पित्रशोक में थे उन्हें समय कम से कम 13 दिवस का दिया जा सकता था जो नहीं दिया गया यह एक विद्वेष माना जा सकता है प्रशासन-शासन का…पूर्व उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा की जहां कार्यवाही हुई या जिस शहर में कार्यवाही हुई वहां वह एकमात्र ऐसा मामला होता अतिक्रमण का समझ में आती कार्यवाही की अन्य पर भी हुई कार्यवाही लेकिन ऐसा नहीं देखने-सुनने को मिला एकमात्र कार्यवाही हुई पूरे प्रदेश में जो द्वेष ही मानी जायेगी। उन्होंने यह भी कहा की 152 प्रतिशत जमा कर शासकीय भूमि पर वर्षों का कब्जा बहाल किया जाना पूर्व सरकार का एक महत्वपूर्ण निर्णय था जिसे वर्तमान सरकार ने कैबिनेट में निरस्त किया लेकिन जब निरस्त ही किया तो क्या एकमात्र व्यक्ति के लिए निरस्त किया…यह एक बड़ा प्रश्न है जो जवाब मांग रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जिस दिन कार्यवाही हुई उस दिन उन्हें भी संपादक का फोन आया लेकिन जब तक कुछ बात समझ में आती तबतक प्रशासन कार्यवाही कर चुका था। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संपादक कहीं भागने वाले तो थे नहीं कि उन्हे समय नहीं दिया गया उन्हे अवसर नहीं दिया गया जबकि उनके यहां बड़ा दुख पड़ा हुआ था पिता की मृत्यु हुई थी उनके और वह अंतिम क्रियाकर्म के कार्यक्रम को निपटा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा की कांग्रेस की बनाई गई मामले के लिए जांच दल की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि जो कुछ हुआ उसे प्रशासन ने जल्दबाजी में अंजाम दिया और कहीं न कहीं यह गलत हुआ और द्वेषवश किया गया।


वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री हैं बलौदा बाजार के प्रभारी मंत्री,प्रभार जिले में कलेक्टोरेट में आगजनी मामले में हुई है विधायक की गिरफ्तारी,घटती- घटना अखबार के कलम बंद अभियान का मुद्दा पिछले दिनों विधायक देवेंद्र यादव ने विधानसभा में जोरशोर से उठाया था,मुद्दा उठाने के वक्त प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल काफी लाल दिखलाई दे रहे थे। अब बलौदा बाजार जिले में पिछले महीने हुई आगजनी की घटना को लेकर विधायक देवेंद्र यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है,आशंका जताई जा रही है कि जिस प्रकार प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री के द्वेष के कारण घटती-घटना अखबार के संपादक के व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर कार्यवाही की थी,उसी प्रकार विधानसभा में मुद्दा उठाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने विधायक देवेंद्र यादव से भी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने की कोशिश की है। चूंकि स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल बलौदा बाजार जिले के प्रभारी मंत्री हैं,और उनके प्रभार जिले में कलेक्टोरेट में आगजनी की बड़ी घटना हुई थी,उसी मामले में विधायक देवेंद्र यादव को गिरफ्तार करने की बात सामने आई है लेकिन सूत्रों का दावा है कि इस मामले में भी स्वास्थ्य मंत्री ने द्वेषपूर्वक कार्यवाही कराकर विधायक को गिरफ्तार कराने में अहम भूमिका निभाई है।


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