अम्बिकापुर @ कलम बंद का सैंतालीसवां दिन @ खुला पत्र @यह कैसी स्वतंत्रता…जब सच लिखकर अपना ही घर कार्यालय तुड़वाना पड़े…?

Share


मंत्री ने पत्रकारों को संरक्षण देने की बात कही…पर छप रही कमियों से छुपकर… अखबार के प्रतिष्ठान को जमीदोज करा दिया…फिर उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का मुख्य अतिथि बनाया गया है…?


रवि सिंह-
अंबिकापुर,16 अगस्त 2024 (घटती-घटना)।
भारत को आजाद हुए 77 वर्ष हो गए…हम क्या…पूरा देश इस बात को मानता है…कि हमारे देश में जितनी स्वतंत्रता है…उतनी कहीं नहीं है…लेकिन आज के समय व परिवेश में यदि स्वतंत्रता की बात की जाए अभिव्यक्ति की आजादी की बात की जाए तो क्या…जितनी स्वतंत्रता एक व्यक्ति को आजादी के पूर्व में थी…क्या आज उतनी है…या उससे ज्यादा है…? क्या पत्रकारिता को इतनी आजादी है जो पूर्व में थी। आज यह सब सवाल इसलिए उत्पन्न होते हैं क्योंकि ऐसे कई उदाहरण है जो प्रेस की स्वतंत्रता व्यक्तिगत स्वतंत्रता व अभिव्यक्ति की आजादी पर यह सवाल उठाते हैं कि क्या आज सही मायने में स्वतंत्रता है…लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी यदि पत्रकारिता की व्यवस्था की बात की जाए तो आज के समय में चाटुकारता ही स्वतंत्रता है… सच्चाई की स्वतंत्रता पर प्राणघातक हमला है। यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ जिसे पत्रकारिता कहा जाता है वह काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ की नई नवेली सरकार ने सच लिखने वाले एक दैनिक अखबार घटती-घटना के संस्थान को इसलिए बुलडोजर चलाकर नेस्तनाबूत कर दिया क्योंकि वह सच के साथ सरकार को व उनके लोगों को कमियां दिखा रहा था जो बर्दाश्त नहीं कर पाए,सत्ताधारी लोग और नेस्तनाबूत करने के लिए मैदान में उतर गए फिर यह सवाल आता है कि क्या देशभक्ति 15 अगस्त व 26 जनवरी को ही दिखती है उसके बाद जो चाहे वह करो क्या ऐसी ही स्थिति हमारे देश में उत्पन्न हो रही है? 15 अगस्त 26 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यक्रम के तौर पर देखा जाता है नेता मुख्य अतिथि बन कर बड़े-बड़े भाषण व वादे करते हैं…पर क्या उस बड़े-बड़े भाषण में बोले गए शब्दों को दोबारा याद करते हैं या फिर भूल कर कुचलने का प्रयास करते हैं…? छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने पत्रकारों को संरक्षण देने की बात की थी इस मंत्री ने अपनी छप रही कमियों से छुपकर एक अखबार के प्रतिष्ठान को जमींदोज करा दिया। एक बार फिर उन्हें स्वतंत्रता दिवस का ध्वजारोहण का मुख्य अतिथि बनाया गया है अब वहां पर जाकर वह देश को क्या जवाब देंगे यह भी उनके मन में होना चाहिए…क्या उनके मन में इस बात का मलाल है कि उन्होंने गलत किया…या फिर वह सत्ता के घमंड में रावण बन बैठे…?
वैसे स्वास्थ्य विभाग को आज वह व्यापारिक केंद्र परिवारिक केंद्र बना रहे हैं जहां अब निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं की बोली लगने की स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को लेकर बोली लग ही रही है। भ्रष्टतम लोग जिन्हें पूर्व की सरकार ने भ्रष्टाचार की वजह से स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से पृथक कर दिया था, उन्हे मंत्री जी पुनः जिम्मेदारी प्रदान कर रहे हैं जिससे उनके भ्रष्टाचार के अनुभवों का वह फायदा उठा सकें जैसे उदाहरण बतौर अपने ही गृह जिले के बगल के जिले में जो उनका प्रभार जिला भी है में उन्होंने पूर्व सरकार के कार्यकाल के सबसे भ्रष्ट कार्यकाल वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान कर दी है वहीं अपने जिले के बगल के जिले में उन्होंने जिला चिकित्सालय में परिवार रिश्तेदार को सिविल सर्जन बना दिया है जिसके ऊपर कई आरोप भी हैं वहीं वह विशेषज्ञ चिकित्सकों से भी कनिष्ठ है साथ ही केवल चिकित्सा अधिकारी है। अब यह भी पता चल रहा है की कोरिया जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का भी पद सेटिंग से नए व्यक्ति को दिया जाना तय हो चुका है जो शायद चिकित्सक भी नही है जिसे यह पद मिल सकता है।। दिला जाए तो भ्रष्टाचार के लिए हर संभव प्रयास स्वास्थ्य विभाग में जारी हैं वहीं इसको लेकर खबर बनाने वाले के लिए बुलडोजर तैयार है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को नई जिम्मेदारी दिए जाने की भी बात सामने आई है जो जिम्मेदारी एनजीओ के पास थी उसे लेकर उसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को दिए जाने की बात तय हुई है और बताया जा रहा है कि यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि यह मंत्री जी के भतीजे का सुझाव है मंत्री जी को जो फर्जी डिग्री के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में ही संविदा अधिकारी है जो कोरोना काल में जब लोग काल-कलवित हो रहे थे तब उनके स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर अपना घर परिवार मजबूर कर रहा था और लोगों को जीवन बचाने के नाम पर मिलने वाली निःशुल्क सुविधा से अपने घर के बाल बच्चों के लिए सुविधा जुटा रहा था और अब उसी ने यह सुझाव दे डाला है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को खुला छूट दिया जाए जिससे वह भ्रष्टाचार को बढ़ा सके और फिर खुद के बाल बच्चों सहित अन्य के लिए भी संसाधन भ्रष्ट व्यवस्था से जुटा सके जो ऐसे लोगों का हक मारकर मिल सकेगा जो जरूरत मंद हैं मजबूर हैं। इतनी स्वतंत्रता ही मिली है आम लोगों को की वह देख सुन सकें और अपने हिस्से की सुविधाएं बंदरबाट होते वह देखते रहें।


Share

Check Also

गुना@ अपनी प्रेमिका को पाने के लिए मुसलमान लड़का बना हिन्दू

Share गुना,27 अक्टूबर 2024 (ए)। मध्य प्रदेश के गुना जिले में प्रेम प्रसंग का एक …

Leave a Reply