अम्बिकापुर @कलम बंद का तैंतालीसवां दिन @ खुला पत्र @आखिर कलम बंद करने के लिए एक अखबार को किसने किया मजबूर…

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-रवि सिंह-
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के दैनिक घटती-घटना अखबार को आखिरकार कलम बंद क्यों करना पड़ा..? यह सवाल सभी के जेहन में आ रहा होगा, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि दैनिक घटती-घटना अखबार सदैव ही लोगों के लिए सच्ची खबर प्रकाशित करने का काम करता है…सरकार किसी की भी हो…उन्हें कमियां दिखाने का काम करता रहा है… पिछली सरकार में भी सच लिखने का काम दैनिक घटती-घटना ने किया था, उस समय भी परेशानियों का सामना संपादक सहित पत्रकारों को अखबार को करना पड़ा था, लेकिन उस समय परेशानियों का सामना मुकदमों से करना पड़ा था। कई मामले कानूनी दर्ज होने के तौर पर करना पड़ा था। वहीं इस बार आर्थिक क्षति के तौर पर अखबार के संपादक को नुकसान झेलना पड़ा है । भारत के लोकतंत्र में चौथा स्थान पत्रकारिता का आता है जिसे निष्पक्षता के साथ करना अत्यंत जरूरी है, ताकि देश में संतुलन बना रहे । जो काम दैनिकघटती-घटना बखूबी करता भी है, सत्ता परिवर्तन हुआ और नई सत्ता आई पर कमियों को दैनिक घटती-घटना ने प्रकाशित करना शुरू किया,जब पुरानी सरकार की कमियों को प्रकाशित किया गया था तब जनता ने नई सरकार चुनने का फैसला लिया और जब आज नई सरकार जनता के हित के लिए चुनी गई तो आज यह सरकार भी जनता के हित के लिए काम नहीं कर रही है। जिन कमियों को दिखाने का काम एक बार फिर दैनिक घटती-घटना ने शुरू किया, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो दैनिक घटती-घटना की खबरों की ही देन है उनसे जुड़ी कमियों को अखबार ने जब दिखाना शुरू किया तो उन्हें यह बात रास नहीं आई और उन्होंने अपनी कमियां दूर करने के बजाय दैनिक घटती-घटना को दबाने के लिए उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए शासकीय विज्ञापन पर रोक लगाया जिसका निर्देश उन्होंने मौखिक दिया गया जो न्यायोचित नहीं था और जो शासन की योजनाएं थी उस विज्ञापन को रोका गया जो पैसा भी शासन का था ना कि किसी मंत्री या अधिकारी के घर का, विज्ञापन रोकने में भी इतनी तत्परता दिखाई गई की नियमों को भी दरकिनार किया गया, इसके बाद भी दैनिक घटती-घटना कमियों की खबर प्रकाशित करता रहा,और लोकतंत्र को दबाया ना जाए इसके लिए दैनिक घटती-घटना ने 1 जुलाई से कलम बंद अभियान की शुरुआत की ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हमेशा ही स्वतंत्रता के साथ काम कर सके। दैनिकघटती-घटना अखबार इस अभियान को सिर्फ अपने लिए शुरू नहीं किया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बचाने के लिए इस अभियान को शुरू किया…ताकि जहां पर प्रेस ऑफ फ्रीडम का स्थान भारत में 169 वां है जो काफी शर्मनाक है और इस और देश के सर्वोच्च न्यायालय व देश के प्रधानमंत्री को सोचना चाहिए,और यह भी सोचना चाहिए कि जिस देश में प्रेस ऑफ फ्रीडम की स्थिति अच्छी है वहां पर उस देश की भी स्थिति अच्छी है। लोकतंत्र पर दबाव बनाने के लिए प्रदेश के अखबार के प्रतिष्ठान पर कार्यवाही सहित शासकीय विज्ञापन की रोक कहीं ना कहीं लोकतंत्र को कुचलना भी लोगों की आवाज को दबाने का ही प्रयास जैसा है,दैनिक घटती -घटना के कलमबंद अभियान के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री और संयुक्त संचालनालय जनसंपर्क के उपसंचालक मयंक श्रीवास्तव से शासकीय विज्ञापन बंद करने को लेकर सवाल पूछा कि आखिर क्या छापें जिससे आपको बुरा ना लगे पर यह बात भी सरकार को नागवार गुजरी और सरकार ने और बड़ा कदम उठाया ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कुचला जा सके। कलमबंद अभियान के तहत 28 दिनों से प्रदेश के जिम्मेदार व प्रदेश की बेहतरी के लिए जिनके हाथों में कमान है उनसे सवाल किया गया पर वह सवाल को भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और 28 में दिन दैनिक घटती-घटना के संस्थान पर बुलडोजर चलवा दिया,बुलडोजर चलवाना भले ही लोकतंत्र को कुचलने के लिए आसान लगा हो पर बुलडोजर चलने की आवाज भी पूरे देश में गूंज गई पूरे देश में छत्तीसगढ़ सरकार की तानाशाही दिख गई लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास दिख गया,पर नहीं दिख सकी तो सरकार की संवेदना सरकार ने यह बता दिया कि उनके अंदर संवेदना बिल्कुल नहीं है क्योंकि जिस समय कार्यवाही की गई वह समय संपादक के घर पर शोक का था पर शोक के समय में सरकार ने कार्यवाही करके हिंदूवादी पार्टी होने के दावे को भी झुठला दिया। अखबार जो कमियों को दिखा रहा था वह कमी वाकई में सरकार की छवि को खराब कर रही थी सरकार अखबार की खबरों पर संज्ञान लेकर अपनी छवि को बेहतर कर सकती थी उनके मंत्री अपनी छवि को बेहतर कर सकते थे पर अपनी छवि बेहतर करने के बजाय अपनी छवि को और खराब करने का सरकार का प्रयास सरकार के लिए ही गले की फांस बन गई। जो स्वास्थ्य मंत्री का विपक्ष में रहते हुए बड़ा नाम था वहीं स्वास्थ्य मंत्री को सत्ता मिलते ही उस नाम को सरे बाजार नीलाम कर लिया और वह भी सिर्फ अपने विवादित कर्मचारी की वजह से यहां तक की संघ को भी उन्होंने नहीं छोड़ा। इस लेख के माध्यम से हम यह भी जानना चाहेंगे की क्या कलम बंद अभियान चलाकर एक अखबार ने गलत किया या फिर पूरे देश के लोकतंत्र को बचाने का प्रयास किया इस पर आपकी क्या राय है यह भी जरूर दें।


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