अम्बिकापुर @ कलम बंद का अड़तीसवां दिन @ खुला पत्र @ओएसडी के फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच कब कराएंगे स्वास्थ्य मंत्री…

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-रवि सिंह-
रायपुर/अंबिकापुर,06 अगस्त 2024 (घटती-घटना)।
इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने जिस ओएसडी यानि कि विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी को अपने साथ रखा हो उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र ही फर्जी हो। मंत्री के ओएसडी ने फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर राज्य प्रशासनिक सेवा की नौकरी पाई है,दिव्यांग सेवा संघ ने सूची जारी कर भी बताया है कि उक्त अधिकारी का प्रमाण-पत्र फर्जी है उसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अभी तक ओएसडी बनाकर रखा जाना इस बात का प्रमाण है कि स्वास्थ्य मंत्री को ऐसे ही विवादित अफसर और स्टॉफ पसंद है। प्रदेश में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर विभिन्न पदों पर नौकरी कर रहे अधिकारियों की सूची जारी करने के बाद उनकी बर्खास्तगी को लेकर दिव्यांग संघ द्वारा अब आगामी 21 अगस्त को राजधानी रायपुर में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।

दिव्यांग सेवा संघ द्वारा 21 अगस्त को राजधानी रायपुर में दिव्यांगजन स्वाभिमान मार्च का आयोजन किया गया है, जिसमें फर्जी दिव्यांग शासकीय कर्मियों को बर्खास्त करने की मांग भी की जा रही है। संघ द्वारा मैरीन ड्राईव से घड़ी चैक होते हुए मुख्यमंत्री निवास तक पैदल मार्च किया जाएगा। आश्चर्यजनक है कि दिव्यांग संघ द्वारा जानकारी दिये जाने के बाद भी संजय मरकाम को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा ओएसडी बनाकर रखा गया है। प्रदेश का दिव्यांग संघ मंत्री से सवाल कर रहा है कि ऐसे अफसर को हटाकर कार्यवाही कब की जाएगी।

दैनिक घटती-घटना अखबार द्वारा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए हर समय सच प्रकाशित किया जाता है,सत्ता पर बैठे लोगो को व्याप्त बुराईयो को भी दिखलाने की भरपूर कोशिश की जाती है और इसी के तहत पिछले कुछ समय से अखबार द्वारा स्वास्थ्य विभाग की दुर्दशा से लेकर अन्य कमियों को प्रकाशित किया जा रहा था जो कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को स्वीकार नही था, उन्होने सच लिखने से रोकने की भरपूर कोशिश की। समझ से परे है कि जिस मीडिया ने आपको शिखर पर पहुचाने में मुख्य भूमिका निभाई उसे ही आपने जमीदोज करने का बीड़ा उठा लिया, मंत्री जी सनद रहे द्वेषपूर्वक ईमारत गिराई जा सकती है लेकिन कलम की ताकत नही रोकी जा सकती।

स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी संजय मरकाम राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं उन्होने दिव्यांग कोटे से नौकरी हासिल की है। जांच में पाया गया था कि उनका प्रमाण-पत्र फर्जी तरीके से बनाया गया है वे दिव्यांग नही है। श्रवण बाधित होने का प्रमाण पत्र उन्होने फर्जी तरीके से प्राप्त किया है जबकि काफी कम ध्वनि की आवाज को सुनने में भी वे पूरी तरीके से सक्षम हैं। ओएसडी का प्रमाण फर्जी है और उसके दस्तावेज भी अखबार के पास मौजूद हैं। उसी आधार पर अखबार द्वारा लगातार खबरों का प्रकाशन किया जा रहा है। जाहिर सी बात है आज नही तो कल ओएसडी को नौकरी से बर्खास्त करना पड़ेगा अखबार में छप रही खबरें ओएसडी की राह में रोड़ा बन रही थी संभवतः स्वास्थ्य मंत्री द्वारा उसे बचाने के लिए ही आधी रात को शोक संतप्त संपादक के घर दबाव डालने भेजा गया था।

बीते दिन घटती-घटना अखबार के संपादक के व्यावसायिक परिसर पर कार्यवाही के पूर्व ओएसडी को संपादक के घर भेजा गया था,मानवता को तार तार कर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कार्यवाही कराया जाना इस बात का प्रमाण है कि उन्होने द्वेष पूर्वक कार्यवाही कराई। ओएसडी ने अपने साथ विश्व हिंदू परिषद के नेता अमित श्रीवास्तव को भी साथ लाया था। सूत्रो का कहना है कि हिदुत्व का चोला ओढकर विहिप नेता अमित श्रीवास्तव द्वारा अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है। विहिप नेता द्वारा स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई आदि का काम ओएसडी के साथ सेटिंग करके किया जा रहा है इसलिए उसे बचाने साठगांठ कर विहिप नेता द्वारा बचाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे नेताओं के कारनामों के कारण ही परिषद की साख गिर रही है,इस बारे में प्रदेश के नेताओं को भी संज्ञान लेने की जरूरत है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी के रूप में कार्यरत डिप्टी कलेक्टर संजय मरकाम की पहचान भी एक विवादित अफसर के रूप में है। पहले जहां भी उनकी पदस्थापना रही वहां उन्होने भर्राशाही मचाकर रखी थी। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाकर उन्होने वास्तविक दिव्यांगो का हक मारा है। इसकी शिकायत काफी पहले से की जा रही है जांच भी हुई। यह प्रमाणित भी हुआ कि प्रमाण पत्र फर्जी है,ओएसडी ने दिव्यांग ना होते हुए भी प्रमाण पत्र हासिल किया है। ओएसडी के एक भाई अरूण मरकाम जो कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी थे पहले उन्होने बचाव किया अब सरकार बदलने के बाद खुद स्वास्थ्य मंत्री ने अपने साथ रखा है इसलिए अब उनके द्वारा कवच बनकर बचाव किया जा रहा है,इससे प्रदेश के दिव्यांग जन भी काफी आहत हैं।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री शुद्व रूप से व्यापारिक व्यक्ति हैं, राईस मिल का उनका पुराना व्यवसाय है। व्यवसाय उनकी आदत में शुमार है इसलिए प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का भी व्यवसायीकरण नजर आता है। अखबार द्वारा सच लिखना स्वास्थ्य मंत्री को लगातार खटक रहा था,विभाग की कमियो के प्रकाशन से वे क्षुब्ध थे। वाहवाही पसंद मंत्री ने सच प्रकाशित होने से रोकने के लिए अखबार का विज्ञापन बंद कराने जैसी गंदी राजनीति का परिचय दिया इसके बाद भी मन नही भरा तो इस संपादक के व्यावसायिक परिसर सह प्रेस कार्यालय भवन पर बुलडोजर चलवा दिया। शोक संतप्त संपादक को हिंदू मान्यताओं को तोड़ने पर मजबूर कर स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात का परिचय दिया कि वे सत्ता के नशे में मस्त हैं और जो चाहे वो करके अखबार की आवाज को दबा लेंगे लेकिन उनकी यह गलतफहमी है। मंत्री जी काश आप आग बबूला होने की बजाए धैर्यपूर्वक खबरों पर संज्ञान लेकर विभाग की दुर्दशा,भर्राशाही को दूर करने की कोशिश करते।


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