अम्बिकापुर @ कलम बंद का तैंतीसवां दिन @ खुला पत्र @दैनिक घटती-घटना के दफ्तर पर द्वेषपूर्ण कार्यवाही को लेकर आमनागरिक ने प्रधानमंत्री के नाम एमसीबी कलेक्टर के माध्यम से सौंपा ज्ञापन

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एमसीबी 01 अगस्त 2024 (घटती-घटना)। जिले के एक आम नागरिक ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की एक अखबार के संपादक के खिलाफ उसके प्रतिष्ठान के खिलाफ की गई द्वेषपूर्ण कार्यवाही को लेकर कलेक्टर एमसीबी के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और उसने यह मांग की है की प्रदेश के सरगुजा अंचल से प्रकाशित दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र के संपादक के होटल प्रतिष्ठान पर जो प्रशासन द्वारा जमींदोज करने की कार्यवाही की गई है उसको लेकर जांच की जाए एवं उचित कार्यवाही की जाए।
एमसीबी जिले के ग्राम चनवारीडांड निवासी आनंद शर्मा ने यह पत्र लिखा है और उन्होंने यह भी मांग की है की मामले की जांच की जाए कौन कौन अधिकारी इस द्वेषपूर्ण कार्यवाही में शामिल थे कौन मंत्री इसमें शामिल था उसपर भी कार्यवाही की जाए पत्रकारों के खिलाफ प्रदेश में हो रहे उत्पीड़न को आगे से रोका जाए जो इसी तरह जारी हैं वहीं उन्होंने यह आशंका जाहिर की है की दैनिक घटती-घटना के संवाददाताओं सहित उसके संपादक के विरुद्ध कभी भी किसी भी तरह का अपराध पंजीबद्ध किया जा सकता है वहीं उनके साथ कोई भी अनहोनी घट सकती है। एक आम आदमी का यह पत्र यह बतलाता है की वह प्रदेश की सरकार और स्वास्थ्य मंत्री के रवैए से किस कदर सशंकित है। आम आदमी ने यह भी लिखा है की दैनिक घटती-घटना स्वास्थ्य विभाग में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर होने वाली भर्तियों के खिलाफ स्वतंत्र रिपोर्टिंग कर रहा था वहीं जिससे क्षुब्ध होकर उसके सबसे पहले उसका विज्ञापन बंद किया गया वहीं जब विज्ञापन बंद होने बात से दैनिक घटती-घटना ने विरोध प्रदर्शन स्वरूप कलम बंद अभियान चलाया तब संपादक के प्रतिष्ठान पर ही बुलडोजर चलाया गया जिसके लिए उसे समय भी नहीं दिया गया। आम आदमी के पत्र की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की वह यह आशंका जाहिर कर रहा है की संवादाताओं की जान को भी खतरा हो सकता है जब उनके प्रतिष्ठान को ही जमीदोंज किया जा रहा है।
वैसे इस मामले में न्याय अन्याय का भेद इस बात से लगाया जा सकता है की सत्याग्रह की राह पर चल रहा था अखबार और कलम बंद उसका अभियान था वहीं उस सत्याग्रह और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से प्रदेश की विष्णु देव साय सरकार इतनी घबरा गई की उसे संपादक के पितृशोक काल के अवसर का फायदा उठाना पड़ा और जब संपादक शोक संतप्त अवस्था में थे तब वह प्रशासन की सहायता से उसपर वार करती है और उसके प्रतिष्ठान को जमीदोंज करती है। माना जा सकता है की कलम बंद अभियान से प्रदेश सरकार खासकर स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार का खुलासा हो रहा था और कहीं न कहीं प्रदेश के लोगों के बीच यह संदेश जा रहा था की लोगों के स्वास्थ्य के लिए खर्च होने वाली राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है वहीं सरकार और स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्री की फजीहत को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने इस तरह का कायरतापूर्ण निर्णय लिया।


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