अम्बिकापुर @ कलम बंद का बत्तीसवां दिन @ खुला पत्र @स्वास्थ्य मंत्री ने घटती-घटना संपादक के घर…देर रात विशेष कर्तव्यस्थअधिकारी संजय मरकाम एवं विहिप नेता अमित श्रीवास्तव को आखिर क्यों भेजा…?

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रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर, 31 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।
प्रदेश की विष्णु सरकार ने नारा दिया है, विष्णु का सुशासन, लेकिन घटती-घटना अखबार के संपादक के व्यावसायिक परिसर को गिराकर इस सरकार ने सुशासन का अनुपम उदाहरण पेश किया है, ऐसा उदाहरण जो सदियों तक याद रखा जाएगा और जिसकी सर्वत्र निंदा ही हो रही है। इससे पहले कि संपादक के व्यवसायिक परिसर को गिराया जाता स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम और विश्व हिंदु परिषद के नाम पर हिंदुत्व का ढिंढोरा पीटने वाले बैकुंठपुर निवासी अमित श्रीवास्तव को संपादक अविनाश सिंह के घर देर रात भेजा तमाम बातें हुई,कई तरीके से दबाव बनाने का प्रयास किया गया। उक्त अधिकारी और विहिप नेता पूरी रात एक षडयंत्र के तहत संपादक के घर पर बैठे रहे,पूरी रात शोक संतप्त संपादक को सोने नहीं दिया गया उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने की भरपूर कोशिश की गई किसी भी तरह से घटती-घटना का कलम बंद अभियान बंद हो जाए इसके लिए पूरी रात दबाव डाला गया,जब संपादक ने उनकी बातों पर हामी नही भरी तो उनके जाने के एक घंटे बाद ही प्रशासनिक टीम वहां पहुंच गई और कार्यवाही को अंजाम दिया गया।

घटती-घटना अखबार के संपादक अविनाश सिंह ने इस बारे में अपने सोशल मीडिया पर भी इस आशय का पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है कि खुला पत्र-सरकार बरसात में सब आदेश 23 जुलाई 2024 को नोटिस मिला 26 जुलाई 2024 को देर
शाम 6ः48 पर..मोहलत व अपना पक्ष के लिए निवेदन दिये 26 जुलाई 2024 की देश शाम 6ः50 पर…बेदखल करने अमला पहुंचा 28 जुलाई 2024 के प्रातः 5 बजे..हद है स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ श्यामबिहारी जायसवाल जी…आपने-अपने प्रतिनिधि दल को पिता के निधन से शोक ग्रस्त संपादक के घर 27 जुलाई 2024 को रात लगभग 10ः15 बजे से भोर लगभग 4 बजे तक कलम बंद आंदोलन को रोकने गुजारिश करवाये…और पीछे से छुरा घोप दिये…आखिर डीपीएम प्रिंस जायसवाल व ओएसडी संजय मरकाम कौन सा नब्ज दबा दिये जो ब्यूरोक्रे सी से आनन-फानन में अत्याचार करवाना पड़ा…आखिर पहले हुए सभी जांच नशे में किये क्या…अधिकारी कर्मचारी..? जवाब की प्रतिक्षा…

जैसा कि अखबार के संपादक अविनाश सिंह का कहना है स्वास्थ्य मंत्री के इशारे पर विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम, विश्व हिंदु परिषद के नेता अमित श्रीवास्तव और बैकुंठपुर निवासी दिव्य वैद्य सहित अन्य रात 10ः15 से अल सुबह 4 बजे तक उनके घर पर बैठे रहे, रात पर तरह तरह से दबाव बनाने की कोशिश की गई, संजय मरकाम ने मंत्री के कई संदेशो को उन तक बतलाया। साथ में विहिप नेता के द्वारा भी कलम बंद अभियान खत्म करने की बात कही जाती रही। शोक संतप्त पुत्र को पिता के जाने का गम अभी ताजा था और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी तथा विश्व हिंदु परिषद के नेता ने रात भर उन पर दबाव डालने का कृत्य किया। संपादक को रात भर जानबूझकर सोने नही दिया गया। संपादक ने निडरता और निष्पक्षता का परिचय देते हुए उनके दबाव को नजरअंदाज किया और कहा कि यह अभियान जारी रहेगा।

बैकुंठपुर निवासी विश्व हिंदु परिषद के नेता अमित श्रीवास्तव द्वारा हिंदुत्व का चोला पहनकर हिंदु रक्षा करने का ढिंढोरा पीटा जाता है, दावा किया जाता है कि हिंदुत्व के लिए ही उनके लिए काम किया जाता है। लेकिन अगली सुबह होने वाली कार्यवाही की जानकारी होने के बावजूद षडयंत्र में वे शामिल रहे सवाल उठता है कि आखिर क्या यही विहिप नेता का असली चेहरा है।

सूत्रों का कहना है कि विहिप नेता अमित श्रीवास्तव के द्वारा इन दिनों स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कई कार्य किये जा रहे हैं, विहिप के नाम पर अधिकारियों पर दबाव डाला जाता है। विहिप नेता का संपादक के घर पहुंचना कई सवालों को जन्म देता है। क्या संगठन को विहिप नेता के उक्त कृत्य की जानकारी थी,क्या विहिप नेता को सुबह की कार्यवाही की जानकारी थी। सवाल अभी कई हैं जो क्रमशःपूछे जाएंगे। और ऐसे नेताओं का असली चेहरा उजागर किया जाएगा।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के इशारे पर विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम और विहिप नेता रात भर संपादक के घर बैठे रहे यह जानते हुए कि वर्तमान में संपादक के घर शोक का माहौल है। पितृशोक में ज्येष्ठ पुत्र की क्या हालत होती है यह एक साधारण आदमी भी अच्छे से समझता है,लेकिन अधिकारी और विहिप नेता ने इन सबसे अलग होकर दूसरा रास्ता अपनाया है। रात भर एक शोक संतप्त पुत्र को सोने नही दिया यह समझा जा सकता है कि उन्हे मानसिक रूप से परेशान करने की भरपूर कोशिश रात भर की गई। जब बात नहीं बनी तो भोर में 4 बजे वे दोनो संपादक के घर से रवाना हुए, अंधेरे में उनका संपादक के घर जाना सवाल खड़े करता है। संभावना पूरी है कि इन्हे अगली सुबह होने वाली कार्यवाही की जानकारी अच्छे से थी, इसलिए वे सुबह होने से पहले ही वहां से निकल पड़े। इनके जाने के 1 घंटे बाद ही प्रशासनिक टीम का यहां पहुंचना एक षडयंत्र की ओर ही इशारा करता है।

स्वास्थ्य मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम जो कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी
कर रहे हैं हाल ही में प्रदेश दिव्यांग संघ ने भी सूची जारी किया है और जिसमें फर्जी दिव्यंाग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे शासकीय सेवकों का नाम अंकित किया गया है इस सूची में संजय मरकाम का नाम भी शामिल है और उनकी नौकरी पर खतरे का बादल मंडरा रहा है। संपादक के घर देर रात तक विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बैठे हुए थे संपादक पर तरह-तरह से दबाव डालने की कोशिश में यह देखने को मिला कि संजय मरकाम घबराये हुए हैं खुद के खिलाफ प्रकाशित हो रही सत्य खबर से आने वाले समय में उनके लिए खतरा पैदा हो सकता है इस बात का भय उनके चेहरे पर साफ दिखलाई दे रहा था। उनके द्वारा यहां तक कहा गया कि मुझे छोड़ दीजिए। जाहिर है फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी हासिल कर उनके द्वारा दूसरे वास्तविक दिव्यांग का हक मारा गया है इसलिए अखबार द्वारा उनकी सच्चाई सामने लाई जा रही थी।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने एक प्रकार से संपादक को डराने-धमकाने के लिए ही अपने प्रतिनिधि बतौर संजय मरकाम और अमित श्रीवास्तव को संपादक के घर भेजा था, यदि उनका उद्वेश्य वास्तव में डराना-धमकाना नहीं बल्कि सुलह करना था…तो देर रात भेजना ही जरूरी था…क्या यह सवाल उठना लाजमी है…। अंधेरे में संपादक के घर आना…और सुबह होने से पहले ही निकल जाना… कई प्रकार के संदेहो को जन्म देता है। हो सकता है संपादक के साथ रात में कोई अप्रिय घटना भी घटित हो सकती थी।

इतना तो तय है कि विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम,विहिप नेता अमित श्रीवास्तव और दिव्य वैद्य नामक युवक स्वास्थ्य मंत्री के षडयंत्र के तहत ही रात के अंधेरे में वहां पहुंचे थे। खबर है कि सीएम हाउस को भी इसमें विश्वास में लिया गया था,लेकिन क्या सीएम हाउस और खुद मुखिया विष्णुदेव को पूरी सच्चाई से अवगत कराया गया था,क्या उन्हे यह बतलाया गया कि अखबार द्वारा कलम बंद अभियान आखिर क्यों शुरू किया गया है। कई तरह के प्रश्न अब खड़े हो रहे हैं। बतलाया जाता है कि मंत्री के ओएसडी आशुतोष पांडेय ने भी इस कार्यवाही के लिए पूरी प्लानिंग की थी उन्होने ही सीएम हाउस के अधिकारियों को पूरी तरह से दिग्भ्रमित कर इस कार्यवाही को अंजाम दिलाया है। हालाकि अभी पूरी सेवा उन्हें इसी छत्तीसगढ़ में देनी है,अभी तो कई उतार चढाव देखने को मिलेंगे। घटती-घटना अखबार के शोक संतप्त संपादक पर आपने जो गलत समय पर कार्यवाही का रास्ता अपनाया है उसे भविष्य में जरूर याद दिलाया जाएगा,वक्त का इंतजार कीजिए।


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