अम्बिकापुर @ कलम बंद का छब्बीसवां दिन @ खुला पत्र @5 साल मंत्री बने रहने का कॉन्फिडेंस किसके भरोसे…आरएसएस या फिर तथाकथित भतीजे व विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों के भरोसे?

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-रवि सिंह-
सरगुजा/रायपुर 25 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के विष्णुदेव साय कैबिनेट में यदि कोई सबसे सुर्खियों वाला मंत्री है तो वह स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल हैं वहीं वह किसी अच्छे कामों के लिए प्रसिद्ध नहीं हैं बल्कि अपने खुद के विभाग के कमियों को लेकर भ्रष्टाचारों को लेकर अपने विधानसभा क्षेत्र में अवैध कारोबार को लेकर वह सुर्खियों में हैं। इसके बावजूद इन्हें 5 साल मंत्री बने रहने का जो कॉन्फिडेंस है वह भी कहीं ना कहीं कई सवाल खड़ा करता है। आखिर यह कॉन्फिडेंस किसी महत्वपूर्ण कार्य की वजह से वह रखे हुए हैं। क्या है यह कॉन्फिडेंस एक अखबार को लिखने से रोकने से मिला है या फिर इन मंत्री पर भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री का संरक्षण है? या फिर आरएसएस का इन्हे यह छूट है की कुछ भी करो चाहे वह भ्रष्टाचार ही क्यों न हो। क्या आरएसएस का नाम बदनाम करने की वजह से या फिर अपने तथाकथित भतीजे व अपने आसपास ओएसडी को लेकर या फिर अपने विभाग में ऐसा कौन सा अच्छा काम कर गए हैं जिसे जनता इन्हें दोबारा फिर से मौका देगी या फिर उनकी खुद की ही पार्टी इन्हें 5 साल मंत्री बनाए रखेगी। स्वास्थ्य मंत्री ऐसा कौन सा नजीर पेश कर दिए हैं कि इन्हें कॉन्फिडेंस है कि वह 5 साल स्वास्थ्य मंत्री बने रहेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री भले ही 5 साल बने रहने को लेकर आश्वस्त हैं पर स्थितियां उनके अनुकूल हैं उनके विधानसभा की जनता उनके कार्यों से खुश नहीं है खुद के उनके पार्टी के लोग इनसे खुश नहीं है। भले ही स्वास्थ्य मंत्री पूरे छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय हैं पर अपने विधानसभा में अपनी लोकप्रियता खोते नजर आ रहे हैं इनके सहयोगी से लेकर उनके खास लोग उनकी नईया डुबाने के लिए प्रयासरत है और इनका खुद का विवेक भी इनके लिए समस्या बन रहा है। अभी तक के उनके कार्यकाल पर यदि नजर डाला जाए तो स्वास्थ्य विभाग आज भी पटरी से उतरा हुआ है और पटरी पर चढ़ने की उम्मीद तो ना के बराबर है क्योंकि पुराने लोगों के ही भरोसे वह उन्हें मौका देकर स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था को पटरी पर लाना चाह रहे है जिसे स्वास्थ्य विभाग को भ्रष्टाचार की ओर धकेलने का एक प्रयास माना जा सकता है। खुद के जिले व विधानसभा की स्थिति अच्छी नहीं है। उनके विधानसभा में गुंडाराज आ चुका है। तलवार चल रहे हैं घर के दरवाजे तोड़े जा रहे हैं। अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी दहशत में हैं क्योंकि उन्हे भी काम के दौरान गलिगलौज का समाना करना पड़ रहा है,अवैध कारोबार तेजी से फल फूल रहा है जिस अवैध कारोबार को लेकर भ्रष्टाचार की बारात खुद विपक्ष में रहते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने निकाला था आज खुद उसी भ्रष्टाचार की गाड़ी पर सवार हो गए हैं अब उनके विरुद्ध कौन भ्रष्टाचार की बारात निकलेगा वह भी आने वाला समय में देखने को मिलेगा क्योंकि पूर्व विधायक तो स्वास्थ्य मंत्री के सामने नतमस्तक नजर आ रहे हैं क्योंकि उनका पेशा ही डॉक्टरों वाला है जिसमे स्वास्थ्य मंत्री से पंगा लेना गलत हो सकता है कुल मिलाकर अब स्वास्थ्य मंत्री पूरी तरह यह तय कर चुके हैं
की वह हर जगह हांथ अजमायेगें चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो ।

स्वास्थ्य मंत्री की करनी जो वर्तमान में जारी है को लेकर यह सवाल उठता है की क्या वह अपनी करनी से आरएसएस का भी नाम डुबायेंगे। स्वास्थ्य मंत्री के अब तक के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग वेंटीलेटर पर ही है वहीं उनके अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था का और बुरा हाल है वहीं कानून व्यवस्था सहित अवैध कारोबार भी चरम पर है। घर में घुसकर तलवार चलाए जा रहे हैं और पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज करने से डर रही है जबकि जब दबाव में वह प्राथमिकी दर्ज कर भी रही है तो वह काउंटर प्राथमिकी दर्ज कर रही है जिससे आतंक फैलाने वालों को बचाया जा सके। कुल मिलाकर स्वास्थ्य मंत्री अब कानून व्यवस्था से ऊपर खुद सहित अपने लोगों को रखना चाह रहे हैं जिससे की कहीं न कहीं शासन सहित आरएसएस की ही छवि धूमिल हो रही है। वैसे आरएसएस पूरे मामले में क्यों मौन है यह भी बड़ा सवाल है क्योंकि वह सबकुछ देख सुन रहा है और मौन है और स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में रामराज्य की परिभाषा ही बदल चुकी है।

आम आदमी पार्टी भी स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग को लेकर बड़े आरोप लगा चुकी है। आम आदमी पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है की स्वास्थ्य मंत्री के खुद के क्षेत्र में ही मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा मिल पाना दूभर हो रहा है। नवीन जिले में सीएमएचओ को लेकर अलग ही विवाद है क्योंकि वह अपने घर पर ही इलाज करना पसंद करते हैं और सोनोग्राफी भी खुद करते हैं जबकि वह शायद ही सोनोलॉजिस्ट हैं।अब इस मामले में किसका संरक्षण है यह बड़ा सवाल है। वैसे जब कांग्रेस की सरकार थी तब सीएमएचओ को लेकर बड़ा विरोध हुआ था भाजपाई भी विरोध में आगे आए थे लेकिन सत्ता बदलते ही पुराने ही अपने हो गए यह एक विचित्र संयोग देखने को मिला।

स्वास्थ्य मंत्री के लिए उनके पीए उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी और उनके तथाकथित भतीजा सभी समस्या बन चुके हैं। उनके पीए अलग ही जुगाड में व्यस्त हैं और सूत्रों की माने तो मरवाही तक वह दौड़ लगा रहे हैं वहीं उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी की भी नौकरी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर है और जिसकी शिकायत हुईं है और जिसकी जांच भी नहीं की जा रही है वहीं उनके तथाकथित भतीजे की बात करें तो वह खुद को ही स्वास्थ्य मंत्री बताने से पीछे नहीं हटते। प्रभारी
डीपीएम संविदा पद में कार्य करने के बावजूद वह जिस तरह जिले के कलेक्टर के करीब रहते हैं और सभी निर्णयों में सीएमएचओ से भी ऊपर जाकर निर्णय लेते हैं यह कहना गलत नही होगा की उन्हे खुली छूट है वहीं वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश की वही सर्वे सर्वा हैं और वही स्वास्थ्य मंत्री की जगह निर्णय लेने में सक्षम।कुल मिलाकर यह तीनों समस्या ही हैं।
आखिर भाजपा के किस नेता ने तय कर दिया कि स्वास्थ्य मंत्री 5 साल बने रहने वाले हैं वहीं वह जो करना है करते रहें पार्टी की जितनी छवि खराब करनी है करें? वैसे सवाल यह भी है की स्वास्थ्य मंत्री पूरे पांच साल मंत्री रहने वाले हैं यह उनका दावा है और अब इस दावे के बीच सवाल यह है की उन्हे किस नेता ने यह विश्वास दिलाया है की वह पांच साल बने रहने वाले हैं। पांच साल मंत्री रहकर वह पार्टी की छवि खराब करते रहे किस नेता ने उन्हे यह छूट दी है यह भी एक सवाल है।


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