@ क्या अखबार पर प्रतिबंध लगाकर सुधारेंगे स्वास्थ्य व्यवस्था…मंत्री जी?
@ अब इस खबर में संज्ञान लेने के बजाये खबर छपने वाले पर ले सकते है सज्ञान मंत्री जी…!
@ राजा का मंत्री मंडल सिर्फ स्वार्थ सिद्धि में लगा रहेगा तो राजा को जनता की खबर कैसे मिलेगी?
@ मनेन्द्रगढ़ अस्पताल में फिर बवाल…अस्पताल में कई दिनों से भर्ती मरीज की इलाज के दौरान हुई मौत…
@ क्या लापरवाह डॉक्टरों पर होगी कार्यवाही या होता रहेगा मौत का तांडव?
@ पथरी के इलाज में लापरवाही…हॉस्पिटल में तहसीलदार से नोक झोंक की जानकारी:सूत्र ।
@ तहसीलदार यादवेंद्र कैवर्त के खिलाफ परिजन ने कोतवाली में की शिकायत…
@ नाराज परिजन शव को ऑटो में लेकर घर गए…पीएम नहीं करवाने की कह रहे बात…
@ सीएमएचओ का किया सोनोग्राफी अस्पताल के डॉक्टर नहीं मान रहे वाह… अजब-गजब…कहानी है स्वास्थ्य विभाग की…।
@ स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में बिगड़ी स्वास्थ्य की चाल…ईलाज के दौरान हुई बच्ची की मौत…परिजन आटो से लेकर घर गए शव…
–रवि सिंह-
एमसीबी,मनेद्रगढ़,23 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। राजा का मंत्रिमंडल सिर्फ स्वार्थ सिद्धी में लगा रहेगा तो राजा को जनता की खबर कैसे मिलेगी? इस समय यह बात छत्तीसगढ़ सरकार के लिए कही जा रही है और वह इसलिए कही जा रही है क्योंकि मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में सिर्फ स्वार्थ सिद्धी में लगे हुए लोगों की व्यवस्थाओं के लिए उनका ध्यान नहीं है यह बात इस समय इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि एक बार फिर विष्णुदेव साय कैबिनेट के हिस्सा बने स्वास्थ्य मंत्री के गृह विधानसभा व गृह जिले में इस समय स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में हैं स्वास्थ्य मंत्री वहीं जब वह अपने गृह विधानसभा व जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे तो पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे संभालेंगे? नवीन जिला एमसीबी के मनेंद्रगढ़ शासकीय अस्पताल की स्थिति कांग्रेस सरकार के समय से ही दयनीय है और उसकी सिर्फ एक वजह है वहां के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दोनों पार्टियों के विधायक व मंत्री का संरक्षण जिस वजह से वहां की व्यवस्था बदतर है, कांग्रेस शासन काल में स्थानीय विधायक का संरक्षण था उस समय एक ऐसा ही मामला उस अस्पताल में देखने को मिला जहां पर एक व्यक्ति की जान चली गई और खूब हंगामा हुआ अब वर्तमान भाजपा सरकार में भी एक बार फिर भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री का संरक्षण मिला और एक और बवाल सामने आया एक नाबालिक की मौत पर बवाल हो रहा है और स्वास्थ्य मंत्री की किरकिरी हो रही है राजनीतिक पार्टियों भी खूब स्वास्थ्य मंत्री पर निशाना साध रहे हैं। पर न जाने स्वास्थ्य मंत्री किस घमंड में निश्चिंत है कि उन्हें अपने ही विभाग की हालात दिख नहीं रही? क्या स्वास्थ्य मंत्री अपनी कमियों को छुपाने के लिए सिर्फ अखबार पर दबाव बनाना ही जानते हैं या फिर व्यवस्था सुधारना भी उनकी नियत में है?
यह है पूरा मामला
मिलि जानकारी के अनुसार रितिका सिंह, पिता रामेश कुमार, निवासी मनेद्रगढ़ वार्ड क्रमांक 19, की बेटी रितिका सिंह को 21 जुलाई 2024 को अचानक तबीयत खराब होने पर रात 1ः10 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। पेट दर्द से पीडि़ता रितिका का इलाज डॉ. वासिफ द्वारा किया गया। अगले दिन, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉक्टर टोप्पो द्वारा रितिका का इलाज किया जा रहा था। बीमारी की पहचान के लिए विभाग ने सोनोग्राफी की सलाह दी और इसे प्राइवेट डॉक्टर खान नर्सिंग होम में कराने को कहा। 22 जुलाई 2024 को रितिका के पिता ने शाम 5.30 बजे रितिका की हालत गंभीर बताई। उस समय नर्स और अन्य स्टाफ मौजूद थे। नर्स द्वारा इंजेक्शन लगाने के बाद डॉक्टर ने भी इंजेक्शन लगाया और ब्लड बोतल चढ़ाई हुई थी। रितिका ने आखिरी बार पानी मांगा, लेकिन नर्स ने उसे मना कर दिया क्योंकि बोतल चढ़ी हुई थी। मरीज को समय पर सही इलाज ना मिलने के कारण रितिका की मौत हो गई। परिजनों ने सीसीटीवी कैमरा की जांच की मांग की है ताकि पूरा सच सामने आ सके। मृतक रितिका मौत की वजह जानने के लिए हमने मनेद्रगढ़ स्वास्थ्य विभाग श्री सिंह बीएमओ को फोन लगाकर जानकारी लेनी चाहि वो फोन नहीं उठा रहे हैं।
बवाल से जुड़े सवाल
मनेद्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 17 वर्षीय बालिका की मौत का जिम्मेदार कौन? महिला स्पेशलिस्ट चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्यों नहीं? सोनोग्राफी स्वास्थ्य विभाग में क्यों नहीं? सामान्य परिवार के आम नागरिकों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों? सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेद्रगढ़ में 17 वर्षीय बालिका की तीन दिनों के इलाज के दौरान मौत के मामले की जिम्मेदारी किस पर है, यह सवाल उठ रहा है। यह घटना एक गंभीर स्वास्थ्य सेवा संकट की ओर इशारा करती है। आखिरकार, छत्तीसगढ़ सरकार के शासन में सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा में सुशासन कब आएगा? जिला एमसीबी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तिवारी के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की संचालन प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री इन मुद्दों को सुलझाने में असमर्थ क्यों हैं? मीडिया लगातार स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर कर रहे है, फिर भी शहर के क्षेत्रवासियों और मरीजों की परवाह क्यों नहीं की जा रही? क्या स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि उनकी गलती पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती? इन सवालों के जवाब और सही कार्यवाही की मांग करते हुए, आवश्यक है कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाए।
विडंबना देखिए…सौरभ मिश्रा
जिला कांग्रेस कमेटी एमसीबी प्रवक्ता सौरव मिश्रा ने कहा ईलाज के अभाव में पहले शहर की महिला की मृत्यु हो जाती है फिर अधिकारी महिला के परिजनों एवं राजनीतिक दलों के लोगों के साथ दुर्व्यवहार एवं गाली गलौज करते हैं फिर महिला का शव ऑटो में रखकर ले जाया जाता है यह हृदय विदारक घटना स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल जी के स्वयं के विधानसभा सीट की है..!!दिल को झकझोर के रख देने वाली इस घटना के बीच यह भी याद रखना चाहिए की मनेंद्रगढ़ वही शहर है जहां पिछले 10 दिनों के अंदर तीन हत्याएं हुई हैं कई मारपीट लूट डकैती छेड़छाड़ के अपराध दर्ज हुए उसके बावजूद भाजपा के मंत्री रामविचार नेता जी (मनेंद्रगढ़ जिले के प्रभारी) कहते हैं कि विपक्ष बेबुनियाद आरोप लगाता है भाजपा सरकार चलाने में निरंकुश साबित हो रही है, मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चहिए… !!
कांग्रेस शासनकाल से लेकर भाजपा शासनकाल तक डॉक्टर सुरेश तिवारी का जलवा कायम,क्या हटा पाएंगे स्वास्थ्य मंत्री
डॉक्टर सुरेश तिवारी का जलवा कांग्रेस शासनकाल से ही कायम है जब कांग्रेस का शासन था तब डॉक्टर सुरेश तिवारी केवल बीएमओ थे वहीं उन्हे तब जब नवीन जिले का गठन हुआ तब मनेंद्रगढ़ के तत्कालीन विधायक एवं भरतपुर सोनहत के तत्कालीन विधायक ने सीएमएचओ भी बनाया वहीं तब उनकी मनमानी जमकर देखी भी गई और तब विधायकों की भी उनके प्रति सहृदयता साथ ही उनके हां में हां मिलाने की प्रवृति देखी जाती रही और उनकी मनमानी जारी रही वहीं अब जब सत्ता परिवर्तन हो चुका है वहीं अब मनेंद्रगढ़ विधायक ही स्वास्थ्य मंत्री हैं तब भी डॉक्टर सुरेश तिवारी की मनमानी कम नहीं हो रही और लोग उनके शोषण का शिकार लगातार हो रहे हैं जो इलाज तो शासकीय अस्पताल में कराते हैं लेकिन शुल्क डॉक्टर को पटाते हैं। अब देखना है की क्या स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर सुरेश तिवारी पर अंकुश लगा पाते हैं या फिर वह भी उनके सामने नतमस्तक हो जाते हैं।