@ पिता ने कांग्रेस शासनकाल में खूब किया गुणवत्ताविहीन काम?
@ काम पिता का तकनीकी सहायक भाई … फिर कैसे रुकेगा… गुणवत्ता विहीन कार्य के बिल का भुगतान?
@ तकनीकी सहायक भाई खुद अपने काम का पिता के नाम पर लेते हैं ठेका… और स्वयं करते हैं काम…
@ पिता ने मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत किया है मरम्मत का काम,यदि सभी कामों की हो जाए जांच…तो गुणवत्ता की खुल जाएगी पोल…
-रवि सिंह-
कोरिया/अम्बिकापुर,11 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम रह चुके वहीं वर्तमान में सूरजपुर डीपीएम के रूप में कार्य कर रहे के पिता एक ठेकेदार हैं…वहीं उनके भाई तकनीकी सहायक हैं वह भी पंचायत विभाग में …जनपद पंचायत बैकुंठपुर में…एक तरफ डीपीएम अपने विभाग में जमकर वारा-न्यारा कर रहे हैं…वहीं उनके भाई अपने विभाग में…वहीं उनके तकनीकी सहायक भाई… अपने पिता के नाम से निर्माण कार्य लेकर निर्माण कार्य संपादित करते हैं और गुणवत्ता विहीन कार्य करते हुए शासन को चूना लगा रहे हैं…वहीं इस तरह वह भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। तकनीकी सहायक भाई पिता के नाम पर काम लेकर करते हैं और उसका बिल भुगतान इसलिए संभव हो जाता है क्योंकि वह खुद तकनीकी सहायक हैं और इस तरह वह खुद ही कार्य का मूल्यांकन कर लेते हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस शासनकाल में भी इन सभी ने जमकर निर्माण कार्य किया और सभी काम गुणवत्ता विहीन किए गए,वहीं अब जबसे भाजपा की सरकार सत्ता में आई है तबसे वह भाजपा शासनकाल में भी सक्रिय हैं और अपना मुख्यालय वह अघोषित रूप से पोड़ी बचरा में बनाकर रखे हैं…जबकि उनका मुख्यालय बैकुंठपुर है…और वह केवल निर्माण कार्य के लिए मुख्यालय अलग बनाए हुए हैं।
बताया यह भी जा रहा है कि कांग्रेस शासनकाल में मुख्यमंत्री जतन योजना अन्तर्गत भी इन्होंने या इन लोगों ने मरम्मत कार्य किया था और जिसकी हर जगह शिकायत हुई है। वित्त मंत्री के द्वारा पुनः मूल्यांकन की बात कही गई है। यदि ऐसा होता है इनका निर्माण पूरी तरह गुणवत्ता विहीन मिलेगा…मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार मिलेगा यह तय है। प्रभारी डीपीएम के पिता और उनके भाई का भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में देखने को मिलना और यह भी तय होना की उनकी कांग्रेस शासनकाल में कितनी पकड़ थी कि वह तब ऐसे काम भी पा सके थे जहां केवल भ्रष्टाचार ही होना था…और जो वर्तमान सरकार के वित्तमंत्री के जारी जांच के निर्देश से भी स्पष्ट है कि यह योजना भ्रष्टाचार की ही योजना थी …और इसमें केवल भ्रष्टाचार ही हुआ है। इस तरह देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग,पंचायत विभाग शिक्षा विभाग सभी में एक परिवार भ्रष्टाचार कर रहा है…और उसे समय-समय पर अलग -अलग सरकार और मंत्रियों विधायकों का साथ मिल रहा है जिसके कारण यह परिवार राज्य के लोगों के मूलभूत आवश्यकताओं में ही सेंध लगा पा रहा है।
प्रभारी डीपीएम के परिवार के पास ऐसा कौन सा जादुई यंत्र है जो हर सरकार में मंत्री विधायक को वश में करके भ्रष्टाचार करने में सफल हो जाता है?
वैसे स्थिति बड़ी विचित्र है कि जिसकी जांच होनी चाहिए…जिसके ऊपर भ्रष्टाचार की कार्यवाही होनी चाहिए…जिसके ऊपर पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप हैं…वह उपकृत किया जा रहा है। अब इस परिवार के बारे में जो पूरी जानकारी समाने आई है उसको जानकर यह समझा जा सकता है कि कैसे यह परिवार आज प्रदेश की जनता से ऊपर है सरकार और उसके मंत्री विधायक के लिए। वैसे इस परिवार के पास ऐसा कौन सा जादुई यंत्र है…जो यह हर सरकार में मंत्री विधायक को वश में करके भ्रष्टाचार करने में सफल हो जाता है…यह सोचने वाली बात है। वैसे सवाल यह भी है कि क्या प्रभारी
डीपीएम सूरजपुर…अपने ही पिता और भाई जो की ठेकेदार और तकनीकी सहायक हैं…के निर्माण कार्यों की जांच के लिए शिकायतकर्ता बनेंगे और उनके भ्रष्टाचार और गुणवत्ता विहीन कार्यों की जांच की मांग करेंगे जबकि वह कई मामलों में शिकायतकर्ता बनकर समाजसेवक बनने का ढोंग कर रहे हैं।
प्रभारी डीपीएम यदि जरा भी समाज हित की भावना मन में रखते होंगे, तो वह जरूर अपने पिता और भाई के निर्माण कार्यों की जांच की मांग करेंगे और उसमे वह मंत्री जी का भतीजा बनकर बचने-बचाने का प्रयास नहीं करेंगे यह भी माना जा रहा है। वैसे प्रभारी डीपीएम मुख्यमंत्री जतन योजना अन्तर्गत स्कूल भवन मरम्मत कार्य में हुए भ्रष्टाचार मामले में शायद ही जांच की मांग करेंगे क्योंकि यदि उसमें उनके पिता और भाई के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई…तो उनके ऊपर एक और दाग लगना तय हो जाएगा…जो स्कूल शिक्षा विभाग में भी भ्रष्टाचार का मामला होगा। वहीं नौनिहालों के जीवन को खतरे में डालने का मामला होगा,क्योंकि स्कूल भवन का मरम्मत नौनिहालों के सिर पर मजबूत छत के लिए होना था, जहां भी भ्रष्ट लोगों ने भ्रष्टाचार कर दिया और नौनिहालों का छत मजबूत करने की बजाए अपने घर में टाइल्स मार्बल का खर्च जुटा ले गए।