@ आखिर विवादित अफसरों और स्टॉफ को ही क्यों खास बनाकर रखे हैं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल?
@ क्या खुद के ओएसडी के फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच करा पाएंगे मंत्री जी?
@ लोकतंत्र के चौैथे स्तंभ की आवाज को आप कदापि दबा नहीं सकते स्वास्थ्य मंत्री जी…?
@ कुठाराघात के विरूद्व कलमबंद अभियान का 12 वां दिन…
–रवि सिंह-
रायपुर/अम्बिकापुर,11 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल सत्ता और पद के घमंड में मस्त हैं…विभाग में सुविधाएं दम तोड़ रही हैं…शासकीय चिकित्सालयों में मरीज कराह रहे हैं …मजबूरी है कि गरीबी के कारण निजी चिकित्सालय में जा नहीं सकते। इन सबके बीच लोगों की भावनाओं और हो रही परेशानियों को देखते हुए जब घटती-घटना अखबार ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समस्याओं को मंत्री जी के सामने रखने की कोशिश की तो मंत्री द्वारा लगातार अनदेखी की जाती रही,
सलाहकार ना जाने क्या सलाह देते रहे कि तमाम कमियों को नजरअंदाज करते-करते आज स्वास्थ्य सुविधा प्रदेश भर में वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी हैं। लगातार खबरों का प्रकाशन सिर्फ और सिर्फ इसलिए किया गया कि व्यवस्था में सुधार हो आम जन को लाभ मिल सके,लेकिन यह मंत्री जी को नागवार गुजरा,उन्होंने कमियों को दूर करने का प्रयास तो नहीं किया लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को कुचलने का कुत्सित प्रयास जरूर किया,जिसकी आज सर्वत्र निंदा हो रही है। सत्ता के नशे में चूर में मंत्री जी ने अपनी ओछी मानसिकता का परिचय देते हुए घटती -घटना अखबार को मिलने वाले विभागीय विज्ञापनों पर मौखिक आदेश देते हुए सिर्फ इसलिए रोक लगवा दिया ताकि विभाग की कमियों का प्रकाशन बंद कर दिया जाए…कमियों को छुपाया जाए…जबरन की वाहवाही की जाए… लेकिन नहीं,यह लोकतंत्र में असंभव है…जो दिखेगा …उसे लिखा ही जाएगा…कमियां बताई ही जाएंगी…यह आपकी समझ है कि आप उसे किस रूप में लेते हैं। बहरहाल कुठाराघात के विरूद्व कलम बंद अभियान के तहत घटती -घटना अखबार द्वारा मंत्री से बार -बार सवाल किया जा रहा कि आप खुद ही तय करें कि किन खबरों का प्रकाशन किया जाए लेकिन मंत्री अभी तक खबरों का चयन नही कर पाए हैं।
इसी कड़ी में आगे यह बतलाना जरूरी है कि आखिर स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल द्वारा अपने साथ किस प्रकार एक दागी अफसर को लेकर काम किया जा रहा है,जब साथ में दागी अफसर और स्टॉफ होंगे…तो फिर विभाग की दशा में सुधार कैसे होगा…आखिर कैसे जनता की भलाई के लिए काम होंगे। बात है मंत्री जी के ओएसडी यानि की विशेष सहायक की, इस पद पर मंत्री जी ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम को पदस्थ किया है,संजय मरकाम पर आरोप है कि वे फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं,इस संबंध में सूक्ष्मता से जांच और कार्यवाही भी लंबित है। ओएसडी श्री मरकाम पूर्व में जहां भी पदस्थ रहे,वहां भी वे विवादित ही रहे हैं। फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच और कार्यवाही इसलिए लंबित है कि पिछली सरकार के मुखिया भूपेश बघेल के ओएसडी अरूण मरकाम थे जो कि संजय मरकार के सगे भाई हैं। अब वे वर्तमान में कोरिया में पदस्थ हैं। जब भाई प्रदेश के मुखिया के ओएसडी हों तो भला किस अधिकारी की हिम्मत है कि वे प्रमाण-पत्रों की जांच और कार्यवाही करता इसलिए विभाग में मामला संज्ञान में आने के बाद भी कार्यवाही शून्य है।
ओएसडी के भाई को सूरजपुर जिला चिकित्सालय का सीएस बनाया गया
मंत्री जी अपने ओएसडी के साथ -साथ उनके परिवार का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं,चूंकि ओएसडी संजय मरकाम के एक भाई अजय मरकाम चिकित्सक हैं,वे शिशु रोग विशेषज्ञ हैं,वरिष्ठता के क्रम में काफी नीचे हैं चूंकि स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी सगे भाई हैं इसलिए नियमों को दरकिनार करते हुए वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए अजय मरकाम को ही सूरजपुर जिला चिकित्सालय का सीएस बना दिया गया है। यह हाल है प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का और विभाग क मंत्री जी का कि ओएसडी के परिवार का भी पूरा पूरा ख्याल रख रहे हैं। वो तो भला हो कि एक भाई कोरिया में पदस्थ हैं और भूपेश बघेल के ओएसडी थे,अन्यथा उन्हे भी अपने साथ रखने में तनिक भी देर नहीं करते मंत्री जी।