@ अपने भवन को खाली कराने मालिक को लेना पड़ड़ा न्यायालय का सहारा…
@ ना पटा रहीं किराया… और ना ही कर रहीं भवन खाली…इतनी दादागिरी आखिर किसके बल पर…?
@ नियम विरूद्व संचालित नर्सिंग कॉलेज पर कार्यवाही करे कौन…कलेक्टर हैं प्रभारी डीपीएम के करीबी और चाचा स्वास्थ्य मंत्री….
@ स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे प्रभारी डीपीएम के विरूद्व हुई शिकायत पर नहीं होगी जांच…लेकिन प्रभारी डीपीएम की शिकायत पर होगी जांच… और कार्यवाही क्योंकि चाचा है मंत्री…?
@ क्या सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम के सामने मंत्री विधायक से लेकर पूरा विभाग है नतमस्तक… खुद दावा करता-फिरता है प्रभारी डीपीएम…?
@ घटती-घटना समाचार-पत्र को दबाने का पुरजोर प्रयास स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल द्वारा अभी भी है जारी…
–रवि सिंह-
अम्बिकापुर,10 जुलाई 2024 (घटती-घटना)। दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र द्वारा प्रदेश भर में वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी स्वास्थ्य सुविधा एवं इस विभाग के मंत्री के साथ चल रहे विवादित अफसर और स्टॉफ के बारे में लगातार खबर का प्रकाशन किया जा रहा था। खबर से तिलमिलाए स्वास्थ्य मंत्री ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज दबाने का नया पैतरा अपना लिया। उन्होंने निचले स्तर की राजनीति करते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा घटती-घटना को दिए जाने वाले शासकीय विज्ञापन पर ही रोक लगा दिया जिसके बाद से अखबार…मंत्री से यह पूछना चाहता है…कि उसे क्या प्रकाशन करना है…आप खुद ही बतलायें… हालांकि मंत्री अभी तक यह नहीं बतला पा रहे हैं कि अखबार को क्या प्रकाशन करना चाहिए… और हम तब तक उनसे सवाल करेंगे …जब तक वे प्रकाशित किये जाने वाले खबरों का चिन्हांकन नही कर लेते। अब सवाल उठता है…कि क्या मंत्री ने अपने रिश्तेदारों को हर गलत कार्य करने का खुला छूट दे रखा है उनके तथाकथित भतीजे जो कि कांग्रेस सरकार में खुद को कांग्रेसी बतलाते फिरते थे,अब भाजपा की सरकार आ गई और चाचा स्वास्थ्य विभाग के ही मुखिया बन गए तो फिर प्रभारी डीपीएम भतीजा, तो मानो सत्ता के नशे में चूर ही हो गया। आज प्रभारी डीपीएम भतीजा प्रिंस जायसवाल भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाने के लिए तरह-तरह की शिकायतें चाचा की शह पर करते फिर रहा है। उसकी कोशिश है कि घटती-घटना अखबार पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो जाए लेकिन भतीजे को इसके लिए अभी यह संभव नहीं है। आगे चलते हैं और बतलाते हैं आखिर किस प्रकार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को अपना चाचा बतलाकर विभागीय अधिकारियों समेत प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने वाले सूरजपुर जिला के प्रभारी डीपीएम प्रिंस जायसवाल की पत्नी द्वारा बैकुंठपुर में एक निजी भवन में किस प्रकार अवैध रूप से नर्सिंग कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। आरोप है कि प्रभारी डीपीएम की पत्नी द्वारा बैकुंठपुर शहर में नर्सिंग कॉलेज का संचालन किया जा रहा है वह भी नियम विरूद्व है…संचालक द्वारा खुलेआम दादागिरी की जा रही है, भवन मालिक भवन खाली कराने के लिए कई बार बोल चुके हैं,भवन का किराया भी नहीं दिया जा रहा है इससे विवश होकर भवन मालिक ने अब न्यायालय का सहारा लिया है जैसा सूत्रों का कहना है।
कमियां मिली लेकिन कार्यवाही शून्य
बैकुंठपुर के निजी भवन में संचालित नर्सिंग कॉलेज में समस्याओं का अंबार है।शिकायत हुई…जांच भी हुई …कमियां पाई गई लेकिन कार्यवाही आज तक शून्य है। बतलाया जाता है कि चूंकि कॉलेज संचालक के चाचा ससुर ही विभाग के मंत्री हैं इसलिए कार्यवाही करना तो दूर उस दिशा में सोचा भी नहीं जा रहा है।
प्रभारी डीपीएम की शिकायत…फिर भी मिला तोहफा
वर्तमान में सूरजपुर के प्रभारी डीपीएम पूर्व में कोरिया जिले में कार्यरत थे, जिन्होंने स्वास्थ्य विभाग को तरीके से बर्बाद कर रखा था। उनकी कारस्तानी से पूरा विभाग त्रस्त था…शिकायत भी हुई कई बार …लेकिन चूंकि चाचा मंत्री हैं और कोरिया कलेक्टर उनके करीबी …इसलिए यहां भी कार्यवाही नहीं हुई। अब उसी का फायदा उठाकर प्रभारी डीपीएम द्वारा दूसरे जिले में भी अपना पांव पसारा जा रहा है। यहां इतनी शिकायत थी कि कार्यवाही करने के बजाए उल्टे चाचा ने उन्हें तोहफा देकर सूरजपुर का प्रभारी डीपीएम बना दिया। हालांकि अभी सत्ता का नशा है…पद का घमंड है …लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक।
विवाद से पुराना नाता है प्रभारी डीपीएम का
प्रभारी डीपीएम द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर नर्सिंग कॉलेज का संचालन अब दादागिरी के साथ स्वास्थ्य मंत्री चाचा की शह पर किया जा रहा है,भवन मालिक के ना चाहने पर भी वह अवैध रूप से कब्जा कर बिना किराया पटाये कॉलेज का संचालन कर रहे हैं,जब कभी भी खबर का प्रकाशन किया गया तो आवाज दबाने उल्टा मनगढंत आरोप लगाकर दबाने की कोशिश की गई लेकिन लोकतंत्र की चौथी आवाज को दबाना असान नहीं है…प्रभारी डीपीएम को यह मालूम होना चाहिए। हालांकि प्रभारी डीपीएम और विवाद एक सिक्के के दो पहलू हैं विवादों में रहना उनकी आदत…और जिस थाली में खाए उसी में छेद करना उनकी फितरत। चूंकि चाचा स्वास्थ्य मंत्री हैं इसलिए अब प्रभारी डीपीएम को उनके द्वारा पूरा संरक्षण देकर दादागिरी कराई जा रही है जो कि सर्वथा गलत है। आम जन और हमारे पाठकों की नजर इस कलम बंद पर बनी हुई है और आने वाले समय पर इसका जवाब आपको खुद मिलेगा क्योंकि सत्ता और पद स्थायी नहीं है माननीय मंत्री जी।

