भारत अपने पत्रकारों को निडर होकर काम करने का स्वतंत्र तरीका प्रदान करने में बहुत पीछे है…इन दिनों…कुछ को छोड़कर…हर दूसरा पत्रकार वही खबर दे रहा है जो सरकार की प्रशंसा करती है…नए चैनल लोगों को सरकार द्वारा की गई गलती से विचलित करने के लिए विभिन्न विषयों पर अनावश्यक बहस दिखाएंगे…इसके कारण,अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो किसी का ध्यान नहीं जाता हैं…दूसरा कारण यह है कि पत्रकार अपने सिद्धांतों और मूल्यों को खो रहे हैं क्योंकि आज स्थिति ऐसी है कि स्थापना के खिलाफ विषयों पर बोलने या लिखने वाले पत्रकारों को धमकी देना,गाली देना और मारना कई अन्य देशों की तरह भारत में भी एक वास्तविकता बन गई है…देश और दुनिया को डरा दिया है…वहीं,पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों की घटनाओं ने एक बार फिर उन्हें सुर्खियों में ला दिया है…जो पत्रकार देश और उसके आम नागरिकों के लिए लिखे वे मरे या प्रताडि़त हुए सरकारी तंत्रों के द्वारा…!
@ क्या छापें माननीय मुख्यमंत्री जी?
@ क्या छापें स्वास्थ्य मंत्री जी ?
@ क्या छापें आयुक्त सहसंचालक आईपीएस मयंक श्रीवास्तव जी?
@ देश के माननीय प्रधानमंत्री से भी सवाल…क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार के खिलाफ समाचार लिखना है अपराध?
@ क्या भ्रष्टाचार का मामला वहीं होगा दर्ज जहां होगी भाजपा से इतर दल की सरकार?
@ क्या भाजपा के भ्रष्टाचारी नेता इसलिए हैं पाक-साफ क्योंकि वह हैं भाजपा के पदाधिकारी?