@ समाचार-पत्र पर दबाव बनाने क्या शासकीय विज्ञापन पर लगाई गई रोक?
@ प्रदेश जनसंपर्क अधिकारी ने किसके कहने पर शासकीय विज्ञापन पर लगाई रोक?
@ क्या शासकीय विज्ञापन पर रोक लगाने से अखबार में सरकार की कमियों की खबर नही छपेगी?
@ क्या शासकीय विज्ञापन पाने के लिए अखबार को करना होगा झूठी महिमा का गान?
अम्बिकापुर,01 जुलाई 2024 (घटती-घटना)।छत्तीसगढ़ की नई भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर प्रकाशित की जा रही खबरों पर बेहतर संज्ञान लिया है और अब सरकार का अंदरूनी गोपनीय निर्णय लागू भी हो गया है जिसके अंतर्गत अब भ्रष्टाचार आधारित खबरों के प्रकाशन पर समाचार पत्रों का दाना-पानी बंद कर दिया जायेगा जो की शासकीय विज्ञापन स्वरूप किसी समाचार-पत्र को प्राप्त होता है। केवल महिमा मंडन वाली खबरों पर ही सरकार का रुख समाचार-पत्रों के प्रति सकारात्मक होगा यह भी सरकार की तरफ से लगभग तय कर दिया गया है और उसका सबसे पहला पालन भी कर दिया गया है जिसके अंतर्गत निष्पक्ष होकर समाचार का प्रकाशन करना भ्रष्टाचार के संदर्भ में समाचार का प्रकाशन करना दैनिक घटती-घटना के लिए दंडनीय अपराध की तरह माना गया है सरकार की तरफ से और अब इसकी सजा बतौर दैनिक घटती घटना समाचार-पत्र का शासकीय विज्ञापन बंद कर दिया गया है और जिसका पालन भी किया जाना शुरू हो गया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर आयुक्त सह संचालक आईपीएस मयंक श्रीवास्तव के द्वारा मौखिक आदेश जारी कर दिया गया है जिसके तहत अब दैनिक घटती-घटना को विज्ञापन शासकीय प्राप्त नहीं होंगे वह भी तब तक जब तक स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्री के पक्ष में सकारात्मक समाचार का प्रकाशन दैनिक घटती-घटना समाचार-पत्र नहीं करना आरंभ करता। लोकतांत्रिक देश में ऐसे प्रधानमंत्री के रहते हुए जो भ्रष्टाचार के खिलाफ हों और लगातार जिनके निशाने पर भ्रष्टाचारी हों उनके ही दल की प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करना यदि किसी समाचार-पत्र समूह के लिए दंडनीय अपराध साबित किया जायेगा तो फिर यह तय माना जायेगा की या तो देश में वहीं भ्रष्टाचार की खबरें स्वीकार होंगी जहां भाजपा की सरकार राज्य में नहीं है वहीं जहां जहां भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकार है वहां वहां भ्रष्टाचार की खबरें सिरे से खारिज की जाएंगी।
बता दें की दैनिक घटती-घटना समाचार पत्र छत्तीसगढ़ प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करने में अपनी भूमिका निर्वहन कर रहा था और वह लगातार समाचार का प्रकाशन कर स्वास्थ्य विभाग में जारी शासकीय राशि के बंदरबांट को समाने ला रहा था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम सहित सीएमएचओ की तरफ से किए गए मनमानी और भ्रष्टाचार को लेकर खबरों का एक लगातार क्रम जारी था जिसमे प्रदेश के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री तब नाराज हो गए जब उनकी मंशा के विपरीत खबर का प्रकाशन नहीं रोका गया। बता दें की कांग्रेस सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भी खबरों का प्रकाशन जारी था और उस दौरान के भ्रष्टाचार को लेकर सतत् एक क्रम समाचार का जारी था जिसके अंतर्गत भ्रष्ट लोगों की करनी भी समाने लाई जा रही थी लगातार। स्वास्थ्य मंत्री के यहां संलग्न विशेष सलाहकार साथ ही विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के भी विषय में भी खबर प्रकाशित किए गए जिसमे एक अधिकारी के फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर भी सवाल उठाए गए जिसको लेकर साक्ष्य भी उपलब्ध होने की बात समाचार में बताई गई।