कोरिया,@वाह! विधायक जी…आपने तो निज सहायक को ही बना दिया शाला विकास समिति का अध्यक्ष…क्या आपके पास नही है और कोई कार्यकर्ता?

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-रवि सिंह-
कोरिया,29 जून 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश के पूर्व मंत्री और बैकुंठपुर के विधायक भईयालाल राजवाड़े के द्वारा क्षेत्र के आत्मानंद स्कूलों के लिए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है,नियुक्ति ऐसी कि उनके द्वारा अपने एक निज सहायक को ही शाला विकास समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है,स्वाभाविक है ऐसी नियुक्तियों से अन्य कार्यकर्ताओं के मन में नाराजगी उठती है और इसका असर चुनाव आने पर देखने को मिलता है, सवाल उठता है कि क्या आखिर विधायक के पास निज सहायक के अलावा अन्य कोई कार्यकर्ता इस लायक है या पार्टी के पास ऐसा कोई नहीं है जिनकी नियुक्ति शाला विकास समिति अध्यक्ष के रूप में की जा सके। हलाकि लोगो का कहना है कि उक्त निज सहायक विधायक के इर्द गिर्द रहते हैं और लोगो के खिलाफ विधायक की कान भरते हैं ह हर किसी को बुरा बतलाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं उक्त निज सहायक के द्वारा कई कार्यो में हस्तक्षेप किये जाने की जानकारी भी सूत्रों से मिल रही है।
निज सहायक का हस्तक्षेप बढ़ा
बतलाया जाता है कि विधायक भईयालाल राजवाड़े द्वारा रमेश राजवाड़े समेत तीन अन्य लोगों को निज सहायक के रूप में नियुक्त किया गया है लेकिन इनमें से रमेश राजवाड़े के द्वारा हर कार्यो में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप किया जाता है। निज सहायक के द्वारा अन्य सहयोगियों को नीचा दिखाने का काम कर खुद को सुपर साबित करने की कोशिश की जाती है।
शाला प्रवेश उत्सव के दिन पटना आत्मानंद विद्यालय में नियुक्त किए गए अध्यक्ष हुए नाराज,नहीं बुलाया गया उन्हे विद्यालयःसूत्र
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शाला प्रबंध समिति का अध्यक्ष बनने ऐसी होड़ है की कोई किसी को भी पछाड़ने तैयार है वह भी यह सभी वह लोग हैं जो पूर्व के कार्यकाल में भी कई पदों पर महत्वपूर्ण रह चुके हैं और अब उन्हे ही पुनः मौका दिया जा रहा है कर्मठ और जमीनी कार्यकर्ता को फिर किनारे ही किया जा रहा है।अध्यक्ष बनाए गए पटना के भाजपा नेता को धरना प्रदर्शन और पार्टी की अन्य गतिविधियों में कम ही देखा जाता है और वह अधिकांश समय अपने व्यापार को ही देते हैं। सामाजिक रूप से जिस समाज से वह आते हैं उसका वोट बैंक है मजबूत लेकिन उस समाज से कई को लाभ पार्टी से मिलता रहता है। सूत्रों का जैसा कहना है की पटना के विद्यालय के लिए अध्यक्ष बनाए गए ग्राम के व्यापारी को शाला प्रवेश उत्सव के दिन विद्यालय से न्यौता नहीं मिला उस दिन भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता को बुलाया गया जिससे वह नाराज हो गए हैं और अब वह नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। वैसे विद्यालय परिवार ने उन्हे क्यों नहीं बुलाया यह वह जाने लेकिन जैसा बताया जा रहा है उस अनुसार वह नाराज हैं। वैसे भाजपा के नेता जिन्हे शाला समिति का अध्यक्ष बनाया गया है वह भाजपा नेताओं को उन्हे छोड़कर बुलाए जाने से खासे खफा हैं।
ऐसे मनमाफिक नियुक्तियों से बढता है आक्रोश
किसी भी सरकार में पद में बैठे विधायक और मंत्री द्वारा मनमाफिक नियुक्तियां शुरू कर दी जाती हैं उनके द्वारा वरिष्ठों और अन्य समर्थकों को तवज्जो ना दिये जाने से ही चुनाव में परेशानी उठानी पड़ती है। नेता आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं जिससे कि आक्रोश दिखलाई देने लगता है। देखा जाए तो पूरी नियुक्तियों में पार्टी के वह कार्यकर्ता नाराज हो गए हैं जो कहीं न कहीं जमीनी कार्यकर्ता होते हैं।
चुनाव में हर कार्यकर्ता ने दिया साथ फिर एक ही कार्यकर्ता को पद क्यों?
विधायक भईयालाल राजवाड़े 2018 का चुनाव खुद की कमियों से हार गए थे उनके द्वारा भी मंत्री कार्यकाल में भाजपाईयों से ज्यादा कांग्रेसियों को महत्व दिया जा रहा था,कार्यकर्ता निराश थे और उन्होने साथ नही दिया था जिससे कि चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। बीते विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कार्यकर्ता एकजुट हुए और पूरी ईमानदारी के साथ उन्होने साथ दिया तब जाकर चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली। अब देखने मे मिल रहा है कि कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं को ही विधायक द्वारा महत्व दिया जा रहा है। वहीं निज सहायक बनाया गया कार्यकर्ता रमेश राजवाड़े कुछ ज्यादा ही भारी दिखलाइे दे रहा है इसके पीछे क्या कारण है यह तो समझ से परे है लेकिन यह पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताआंे के गले नही उतर रहा है। वैसे एक अन्य स्कूल में भी ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है जो विधायक के ही एक खास के भाई हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो नियुक्तियों में कार्यकर्ताओं की मेहनत से ज्यादा यह ध्यान दिया गया है की कौन कितना प्रभावशाली है और कौन धनाढ्य है।
दूसरों के खिलाफ बरगलाने में माहिर है निज सहायक
सूत्रों का कहना है कि रमेश राजवाड़े विधायक भैयालाल राजवाड़े के साथ काफी समय से लगा हुआ है और इस कारण मुंह लग गया है,किसी के खिलाफ भी जबरन भड़काना,अपना उल्लू सीधा करना और दूसरों की कमियां गिनाने का काम रमेश राजवाड़े द्वारा किया जाता है। उसके द्वारा विधायक समर्थक कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी पीठ पीछे षडयंत्र किया जाता है, अपना काम निकालने के लिए हाथ पैर जोड़ा जाता है और काम निकल जाने के बाद पीठ पीछे षडयंत्र करना आदत में शामिल है। बतलाया जाता है कि निज सहायक के रूप में नियुक्ति के बाद सत्ता का नशा भी सर चढकर बोल रहा है। एक तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि बीते दिनों निज सहायक रमेश राजवाड़े द्वारा नालंदा परिसर भ्रमण के वक्त विधायक के बगल में बैठकर मर्यादाओं को तार-तार करते हुए खुद को सुपर बतलाने की कोशिश की जा रही है। विधायक भैयालाल राजवाड़े को ऐसे स्वार्थी और खुद का लाभ चाहने वाले कार्यकर्ताओं से दूर रहना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं को भी बुलाया प्राचार्य पटना ने,नाराजगी का एक कारण यह भी मनोनित अध्यक्षःसूत्र
मनोनित अध्यक्ष के नाराजगी का एक कारण यह भी बताया जा रहा है की पटना में शाला प्रवेश उत्सव के दौरान प्राचार्य द्वारा कांग्रेस नेताओं को भी बुलाया गया था। कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति मनोनित अध्यक्ष को पसंद नहीं आई और वह इसके लिए भी नाराज हैं। भाजपा के नेताओं की उपस्थिति को लेकर भी उनकी नाराजगी है क्योंकि उन्हे नहीं बुलाया गया अन्य को बुलाया गया। वैसे अध्यक्ष के परिवार के बच्चे किसी शासकीय स्कूल नहीं जाते यह बात महत्वपूर्ण है।
आत्मानंद स्कूलों में की गई है नियुक्ति
कोरिया जिले में 6 आत्मानंद विघालय संचालित हैं जिनमें शाला प्रबंधन एवं विकास समिति का गठन किया जाना है,इस आशय का पत्र विधायक भईयालाल राजवाड़े ने पिछले दिनों कलेक्टर को अनुशंसा सहित प्रेषित किया है। पत्र के अनुसार आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय खरवत में रमेश राजवाड़े,स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय बैकुंठपुर मे भानूपाल,स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय महलपारा बैकुंठपुर में शैलेन्द्र शर्मा,स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय पटना में राजेश सोनी,स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम बुढार में कामतानाथ तिवारी एवं स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय चरचा में राजेश सिंह की नियुक्ति की गई है। ज्ञात हो कि इनमें से रमेश राजवाड़े को पूर्व में विधायक भईयालाल राजवाड़े द्वारा निज सहायक भी नियुक्त किया गया है जबकि भानूपाल नगरपालिका बैकुंठपुर में एवं राजेश सिंह नगरपालिका शिवपुर चरचा में पार्षद हैं।
क्या निज सहायक को अध्यक्ष बनाना जरूरी था?
विधायक द्वारा निज सहायक को अध्यक्ष बनाये जाने के बाद से तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं पार्टी से ही जुड़े लोगो का कहना है कि आखिर क्या मजबूरी है कि निज सहायक को ही शाला विकास समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है जबकि विधायक के मंत्री कार्यकाल में प्रतिनिधी रहे रेवा यादव जैसे कर्मठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया है। बताया जा रहा है की रमेश राजवाड़े की नियुक्ति से भाजपा के कार्यकर्ता भी नाराज हैं और खुद को वह उपेक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि रमेश राजवाड़े निज सहायक भी हैं और वह अब एक और पद पर कब्जा कर लिए।
कई कार्यकर्ता हुए नाराज
उक्त नियुक्तियों के बाद विधायक एवं पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है,कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिसे निज सहायक बनाया गया है उसे ही शाला विकास समिति का अध्यक्ष बनाया जाना समझ से परे है। विधायक द्वारा ऐसा करके अन्य कार्यकर्ताओं की भावना को ठेस पहुंचाया गया है। ज्ञात हो कि जिस खरवत क्षेत्र में स्थित आत्मानंद विद्यालय में निज सहायक रमेश राजवाड़े को शाला विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया है वह विधायक भईयालाल राजवाड़े का गृह क्षेत्र है एवं इस क्षेत्र में कई योग्य कार्यकर्ता हैं जिन्हे शाला विकास समिति का अध्यक्ष बनाया जा सकता था।
बड़े पदाधिकारी हो रहे नजरअंदाज,छुटभैये का जलवा
विधायक भईयालाल राजवाड़े द्वारा शाला विकास समिति के अध्यक्ष के मनोनयन में जिस प्रकार की मनमर्जी की गई है वह उचित नही लगता। ऐसे नियुक्ति्यों के समय पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से भी सलाह लिया जा सकता है लेकिन उन्हे दरकिनार कर छुटभैये कार्यकर्ता को निज सहायक और उसके बाद शाला विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। शाला विकास समिति के अध्यक्ष जैसे पद के लिए वैसे तो वरिष्ठ और अनुभवी को ही मौका दिया जाना चाहिए लेकिन निज सहायक को ही नियुक्त किये जाने से आक्रोश दिखलाइे दे रहा है।
जिनकी हुई नियुक्ति किसी का शासकीय स्कूलों से नही है सरोकार
बैकुंठपुर विधानसभा में 6 आत्मानंद विद्यालय संचालित हैं जहां शाला विकास समिति के अध्यक्ष मनोनीत किये गए हैं,सबसे मजेदार बात यह है कि जिन 6 लोगो की नियुक्ति की गई है उनमें से किसी के बच्चे शासकीय स्कूलों में पढाई नही करते। जिनका शासकीय स्कूलों से सरोकार ही ना हो उन्हे नियुक्त किया जाना हास्यप्रद है। वैसे बताया जाता है की शासकीय शाला में या निजी विद्यालय में शाला समिति का अध्यक्ष या संरक्षक उसे ही बनाया जाता है जिनके बच्चे वहां पढ़ते हों क्योंकि गुणवाा के हिसाब से ऐसा किया जाना सही माना जाता है और ऐसे में पालक जो अध्यक्ष और सदस्य बनता है वह बेहतर नजर गतिविधियों पर बनाए रखता है।


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