एमसीबी,@पिता-पुत्र के नाम पर चर्चित अक्सा राईस मिल हुई अंततः ब्लैक लिस्टेड

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-रवि सिंह-
एमसीबी,29 जून 2024 (घटती-घटना)। अक्सा राइस मिल बेलबहरा द्वारा कलेक्टर के समक्ष आवेदन दिया गया था कि धान उपार्जन केन्द्र कुवांरपुर में धान का स्टॉक उपलब्ध नहीं है। इस शिकायत की जांच हेतु 4 सदस्यीय दल का गठन किया गया था। जिसकी रिपोर्ट के अनुसार 04 मार्च 2024 की स्थिति में उक्त उपार्जन केन्द्र में 775 बोरी धान पाया गया, जबकि खरीदी रिपोर्ट अनुसार उपार्जन केन्द्र में 7511 बोरे धान उपलब्ध होना चाहिए था। इसके पश्चात् 17 मार्च 2024 को उपार्जन केन्द्र में धान भौतिक रूप से उपलब्ध नहीं था, जबकि ऑनलाईन खरीदी रिपोर्ट के अनुसार 3661 बोरी धान उपलब्ध होना चाहिए था। धान पर्याप्त उपलब्ध नहीं होने के बावजूद अक्सा राइस मिल द्वारा 04 मार्च 2024 से 17 मार्च 2024 के मध्य 1196.00 मि्ंटल धान का उठाव ऑनलाइन दिखाया गया है। जो कि विश्वसनीय नहीं है। इसके संबंध में अक्सा राईस मिल बेलबहरा को 28 मार्च 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया जिसका उत्तर इन्होंने 01 अप्रैल 2024 को प्रस्तुत किया। इनका उत्तर संतोषजनक नहीं पाये जाने के कारण छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 की कण्डिका 9 अंतर्गत शास्ति की कार्यवाही करते हुये इस राईस मिल का नाम काली सूची में दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
उल्लेखनीय रहे कि इन सभी राइस मिल संचालकों को मंडियों से धान उठाना पड़ता है कुमारपुर में अक्सा राइस मिल के नाम पर डी ओ काटा गया था, जब राइस मिल संचालक अपनी गाड़ी कुंवरपुर मंडी में भेजो तो पाया कि वहां पर धान नहीं है, जिसकी शिकायत राइस मिल संचालक ने कलेक्टर सहित फूड ऑफिसर को की, वहां से इसे 1200 मि्ंटल धान उठाना था, लेकिन मौके पर स्टॉक जीरो था, क्योंकि सरकार 31 प्रति मि्ंटल के दर से धान खरीदी है और मध्य प्रदेश से 2000 प्रति मि्ंटल धान मिल जाता है, मंडी संचालक किसानों की फर्जी एंट्री कर लेते हैं और लगभग 1100 प्रति मि्ंटल के दर से दलाली कमा लेते हैं यह सिलसिला पूरे प्रदेश में बड़े जोर शोर से चल रहा है जिले में पूर्व में भी ऐसी घटनाएं घटी थी जिसे पूर्व कलेक्टरों ने जिले की बदनामी ना हो इसलिए अपने स्तर में निपटा लेने की बात कही थी, इस बार भी ऐसे ही हुआ अधिकारियों ने निर्देशित किया कि उसे अपने स्तर में निपटा लें मंडी का प्रभारी ने राइस मिल संचालक को 12 से मि्ंटल का पैसा दे दिया और माल उठाने का पावती दे दी, इस भ्रष्टाचार में लगभग 13 लाख रुपए का खेल खेला गया इस बात की जब भनक फूड अफसर को लगी तो वह कुमार पुर मंडी पहुंचकर पुनः स्टॉक रजिस्टर का भौतिक सत्यापन किया तो यह पाया कि चावल अक्स राइस मिल ने पूरा उठा लिया है उन्होंने अपने पत्र में यह लिखा कि एक तरफ आप शिकायत करते हैं कि चावल नहीं मिल रहा है दूसरी तरफ अपने वहां से चावल उठा लिया है आप उसका स्पष्टीकरण देवें राइस मिल संचालक का कोई ठोस जवाब नहीं मिलने के कारण अंतत उसे फूड अफसर में लैक लिस्ट स्टेट करने की कार्रवाई करवा दी।
नीचे महुआ और ऊपर चावल लाद अवैध तरीके से अन्य राज्य में होती है सप्लाई
सूत्रों की माने तो राइस मिल संचालक महुआ का भी क्षेत्र का सबसे बड़ा व्यापारी है यह अपने राइस मिल में एक और कालाबाजारी करता है महुआ में सरकार द्वारा जीएसटी और मंडी कर वसूला जाता है यह व्यापारी यहां से महुआ खरीद कर झारखंड और बिहार पश्चिम बंगाल तक भेजने का काम करता है इसके द्वारा प्रतिदिन कई गाडि़यों में अपने राइस मिल कैंपस के अंदर नीचे महुआ और ऊपर चावल लाद कर भेजने का काम लगातार किया जा रहा है और पूरे ट्रक में जो पर्ची बनाई जाती है वह चावल की बनाई जाती है इस तरह से या राज्य सरकार का प्रतिदिन ट्रक लाखों रुपए का नुकसान कर रहा है,रोजाना कई ट्रक इसके द्वारा दूसरे प्रदेशों में भेजे जा रहे हैं और ना ही मंडी टैक्स कटाया जा रहा है और ना जीएसटी दी जा रही है मिली जानकारी के अनुसार एक बार जीएसटी के अधिकारियों ने कार्यवाही की थी उसके बाद इसके द्वारा उन्हें चांदी के जूते के मार के आगे जीएसटी अधिकारी भी नतमस्तक हो गए और यह अपना खेल बड़े पैमाने में खेल रहा है प्रतिदिन दर्जनों गाड़ी बिल अवैध बिल फर्जी बिल बनाकर झारखंड पश्चिम बंगाल बिहार की तरफ यह रवाना करता है। पैसों का आदान-प्रदान यह हवाला के माध्यम से करता है, मनेद्रगढ़ के दो चर्चित दलाल राइस मिल संचालक इसके गोरख धंधे में पूरा मदद करते हैं, उनका भी पैसा कभी इसके पास आ जाता है और कभी इसका पैसा उनके पास आ जाता है इस तरह से यह लोग कहते और अकाउंट में काम नहीं और सरकार के टैक्स पर डाका डाल रहे हैं ना इस कारोबार का इनके द्वारा मंडी टैक्स पटाया जाता है ना ही जीएसटी पटाया जाता है और ना ही इनकम टैक्स पटाया जाता है संबंधित अधिकारी यदि क्रमशः उनके इस काले कारनामों को छापामार कार्रवाई कर जांच करें तो उनके कई भ्रष्टाचार का और उजागर होने की प्रबल संभावना बनी हुई है।
राइस मिल संचालक का भ्रष्टाचार और हेरा फेरी से पुराना याराना
विशेष सूत्रों की माने तो राइस मिल संचालक का भ्रष्टाचार और हेरा-फेरी का बड़ा पुराना बड़ा पुराना याराना है,संचालक जो कल तक बाजारों में फट्टा लगाकर महुआ डोरी चावल धान खरीदता था आज वह तीन चार राज्यों में अपना पूरा काला कारोबार फैला रखा है छत्तीसगढ़ के अलावा इसने मध्य प्रदेश की सीमा में भी एक राइस मिल संचालन कर रहा है इसने अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल कर एक नई राइस मिल लगाकर वहां से 300० रुपए प्रति मि्ंटल के दर से धान को खरीदना है मध्य प्रदेश का सरकारी खरीदी मूल्य धान का 2300 प्रति मि्ंटल है इसके अतिरिक्त धान में मध्य प्रदेश में मंडी टैक्स नहीं लगता, वहां से चावल का बिल बनाकर छत्तीसगढ़ में खपा रहा है इस तरह से यह अपना षड्यंत्रकारी दिमाग लगाकर एक मि्ंटल चावल में 7 से 8 सौ रूपए ऐसे कमा लेता है। इसका भ्रष्टाचार यही नहीं खत्म होता है इसके द्वारा मंडियों से चावल उठाकर झारखंड और बिहार के औरंगाबाद और आरा के व्यापारियों को लगातार कई गाडि़यों के माध्यम से माल लोड कर रोज भेजा जाता है, जितना धन इसके द्वारा मंडियों से उठाया गया है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी इनके राइस मिल में उतना माल स्टॉक नहीं है पूरा माल औरंगाबाद और आरा भेज दिया गया है और बिहार से पुराना चावल लाकर सोसाइटियों में दिया जा रहा है,इसके द्वारा जिन सोसाइटियों गोदाम में चावल दिया गया है यदि उसकी बारीकी जांच हो तो वास्तविकता का पता लग जाएगा, लेकिन गुणवत्ता चेक करने वाले अधिकारी भी चंद पैसों में बिके हुए हैं पैसे पाते ही गुणवत्ता को दरकिनार कर दिया जाता है और इस तरह से इन जैसे शातिर व्यापारियों के कारण आम जनता को घटिया और पुराना चावल खाने को मिल रहा है, जिसकी शिकायत कई बार संबंधित अधिकारियों को की जाती रही है लेकिन उनके द्वारा किसी भी तक प्रकार की कार्यवाही नहीं किया जाता है।


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