एमसीबी/रायपुर@स्वास्थ्य मंत्री का छः महीने का कार्यकाल रहा निराशाजनक क्या बचा पाएंगे मंत्री पद?

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-रवि सिंह-
एमसीबी/रायपुर 26 जून 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यकाल प्रदेश सरकार की ही तरह छः माह का हो गया और यदि कार्यकाल की उपलब्धियों की बात की जाए तो कार्यकाल निराशाजनक ही रहा यह कहना गलत नहीं होगा। अपने छः माह के कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री ने जो कुछ उदाहरण प्रस्तुत किया उसे देखते हुए यह भी सवाल अब खड़ा हो रहा है की क्या वह अपना मंत्री पद बचा पाएंगे? क्योंकि कहीं न कहीं प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो चली है वहीं सरगुजा संभाग सहित कोरिया एवम एमसीबी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटीलेटर पर जा पहुंची है जो हम नहीं खुद भाजपा के ही बैकुंठपुर विधायक सहित भाजपा नेता मान रहे हैं और व्यवस्था सुधारने खुद अस्पताल हफ्ते में एक बार जाने की बात कर रहे हैं। सरकार और उसके मुख्यमंत्री और मंत्रियों का जब चयन होता है किसी सरकार में तो यह माना जाता है की जिस विभाग का जो विधायक मंत्री बनेगा वह कम कम उस विभाग के मामले में अपने क्षेत्र को अलर्ट मोड पर रखेगा और उसके विभाग के मामले में उसका क्षेत्र हर दम सुविधा प्रदाता होगा बेहतर सुविधा प्रदाता होगा जो माना जाता है। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के मामले में यदि वर्तमान मंत्री का कार्यकाल देखा जाए तो उनके अपने ही क्षेत्र और जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटीलेटर पर है और बेपटरी हो चुकी है। कोरिया एमसीबी जिले में तो स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार के भी कीर्तिमान लिख रहा है पहले जहां पूर्व की सरकार के कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार चरम पर था कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी जहां भ्रष्टाचार जारी था वह अब भी जारी है वहीं अब इसका असर सूरजपुर जिले तक भी पहुंच गया है और वहां भी हाल बुरा हो चला है। कुल मिलाकर अब जहां आम लोग शासकीय अस्पतालों की तरफ कम रुख कर रहे हैं गंभीर मामलों में वह सीधे निजी अस्पताल जा रहे हैं वहीं खुद विधायक और नेता अपनी ही सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बयान दे रहे हैं उसे खराब बता रहे हैं।
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी नहीं करा पाए स्वास्थ्य मंत्री वहीं कार्यवाही भी नहीं तय कर पाए किसी पर
पूरवर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हुआ वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में तो आपदा को अवसर मानकर काम किया गया और खरीदी में जहां भ्रष्टाचार हुआ वहीं भर्ती में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ। कोरिया जिले में तो जिसके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा वह खुद को वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा ही बताने लगा और कांग्रेस शासनकाल के अपने भ्रष्टाचार से बच निकला, विडंबना कहें या पहुंच भ्रष्टाचारी व्यक्ति की जिसे भ्रष्टाचार का आरोपी होना था वह बन गया अन्य जिले का पुनः प्रभारी और वहां भी वह वही करने लगा जो कोरिया जिले में करता था कांग्रेस शासनकाल में। भ्रष्टाचार मामले में वह भी पूर्वर्ती कांग्रेस शासनकाल के स्वास्थ्य मंत्री कुछ नहीं कर पाए वहीं वह न तो किसी मामले की जांच ही करा पाए। देखा जाए तो उन्होंने मामले को जाने दिया और वह भूल बैठे की कोई भ्रष्टाचार हुआ भी था। वैसे भ्रष्टाचार हुआ है और जांच होगी कार्यवाही होगी यह भाजपा नेताओं का ही बयान था जिसे भूल गए स्वास्थ्य मंत्री जी।
एमसीबी जिले के सीएमएचओ कोरिया जिले के सीएमएचओ की कार्यप्रणाली पर मनमानी पर भी नहीं लगा सके छः माह में अंकुश
सरकार और उसके मंत्री यदि अपने ही विभाग के मामले में वह भी अपने ही जिले में के मामले में अधिकारियों कर्मचारियों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगा सके तो यह माना जाएगा की मंत्री जी की या तो अधिकारी कर्मचारी सुनते नहीं या उनका ही सह प्राप्त है अधिकारियों कर्मचारियों को। स्वास्थ्य विभाग की ही बात करें तो एमसीबी जिला और कोरिया जिला के सीएमएचओ जमकर मनमानी करते हैं वहीं उनकी कार्यप्रणाली ऐसी है जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था जिले की वेंटीलेटर पर जा पहुंची है। स्वास्थ्य मंत्री अपने ही जिले के मामले में काफी असफल साबित हो रहे हैं अपने ही विभाग की कार्यप्रणाली सुधार पाने में। छः माह का कार्यकाल और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा यह बतलाता है की मंत्री जी स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सम्हाल पाने में असमर्थ साबित हो चुके हैं। एमसीबी कोरिया जिले में विधायक और भाजपा नेता ही अब स्वास्थ्य व्यवस्था का कारनामा सामने ला रहे हैं डॉक्टरों को चेतवानी दे रहे हैं क्योंकि उन्हे मंत्री जी का भय ही नहीं।।
क्या स्वास्थ्य मंत्री की कुर्सी रहने वाली है सलामत?
जैसा की विश्वस्त सूत्रों का दावा है की प्रदेश में मंत्रीमंडल का जो विस्तार होने वाला है उसमे एक अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के ही विधायक का नंबर लगना तय है और जिसके नाम का अंदरूनी ऐलान मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे दौरान ही कर दिया गया है वहीं वहां यह भी तय किया गया है की कुल तीन नए मंत्री बनाए जाएंगे जिनमें एक वर्तमान मंत्री को परफॉर्मेंस के आधार पर हटाया भी जायेगा वह भी जिसे हटाया जाएगा वह अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से ही हटने वाला मंत्री होगा जिसकी जगह नए विधायक को जो अन्य पिछड़ा वर्ग से होगा को मंत्री बनाया जायेगा। बताया यह भी जा रहा है की एक मंत्री सामान्य वर्ग से भी होगा साथ ही एक मंत्री सतनामी समाज से भी होगा।। इस हिसाब से पूरी तरह जातीय समीकरण बैठा कर मंत्रीमंडल का विस्तार होगा।। अन्य पिछड़ा वर्ग से नया मंत्री कौन होगा यह तय हो गया है यह भी बताया जा रहा है और कौन हटेगा यह अब परफॉर्मेंस देखकर तय किया जाना है। फारफोर्मेंस का आधार यह माना जा रहा है की या लोकसभा चुनाव के परिणाम होंगे या फिर विभागीय सफलता असफलता,वैसे दोनों ही स्थितियों में सबसे खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्री स्वास्थ्य मंत्री ही हैं जिनका विभागीय परफॉर्मेंस भी अच्छा नही है भाजपा नेता ही प्रदेश के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रश्न उठा रहे हैं वहीं लोकसभा चुनाव में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं माना गया और पार्टी प्रत्याशी को वह अपने ही विधानसभा से जीत नही दिला सके।
पूर्व मुख्यमंत्री से मिल रहे हैं लगातार,मंत्री पद बचाने की कवायद है जारी
स्वास्थ्य मंत्री फिलहाल अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं ऐसा समझ में आने लगा है। वह लगातार पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात कर रहे हैं और कहीं न कहीं इसीलिए वह विभाग को लेकर भी उदासीन बने हुए हैं और विभाग का बंटाधार जारी है। मंत्री जी लगातार दावा तो कर रहे हैं की स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो जायेगी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है और वह जहां भी जा रहे हैं जायजा लेने सभी जगह उन्हे व्यवस्था का बुरा हाल ही नजर आ रहा है।
बैकुंठपुर विधायक ने भी इस बात की स्वीकारोक्ति प्रदान करते हुए खुलासा कर दिया
स्वास्थ्य मंत्री का विधानसभा और जिला जो की नवीन गठित हुआ है के मरीजों के लिए आज भी जिला अस्पताल की सुविधा कोरिया जिला अस्पताल से ही मिल रही है क्योंकि अभी नए जिले में व्यवस्था नहीं हो सकी है वहीं कोरिया जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी स्थिति में है। पिछले दिनों भाजपा के जिला पदाधिकारी ने सोशल मिडिया पर इसको लेकर चिंता जताई थी और हाल ही में बैकुंठपुर विधायक ने भी इस बात की स्वीकारोक्ति प्रदान करते हुए खुलासा कर दिया की जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था खासकर जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद चिंताजनक स्थिति में है और जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। प्रदेश की नई भाजपा सरकार में मनेंद्रगढ़ विधायक को ऊर्जावान मानकर स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन जैसा कि सूत्रों का कहना है वह खुद राइस मिलरों से ही व्यस्त रहते हैं घिरे रहते हैं वहीं कुछ दागदार अधिकारी कर्मचारी भी उनकी आड़ में स्वास्थ्य विभाग की साख को बट्टा लगा रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री खुद या तो अनभिज्ञ हैं या फिर वह जानकर अनजान बनने का अभिनय कर रहे हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल पूरे पांच साल बुरा रहा
प्रदेश में पिछली कांग्रेस सरकार के मंत्री ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे किए थे मुफ्त चिकित्सा की बात कही थी लेकिन तब देखा गया था की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल पूरे पांच साल बुरा ही बना रहा वहीं कोरोना महामारी में भी विभाग में भ्रष्टाचार हुए जो यह बताने के लिए काफी है की कफन से भी पैसे कमाई का जरिया ढूंढा गया था। वहीं तब विपक्ष में बैठी भाजपा और उसके नेता लगातार सरकार बनते ही भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात करते थे वहीं जब सरकार बनी और जांच और कार्यवाही की बारी आई कई भ्रष्टाचारी नेता मंत्री के रिश्तेदार और भतीजे निकल गए जिन्हे कार्यवाही तो नहीं झेलनी पड़ी न उनके भ्रष्टाचार की जांच ही हुई बशर्ते उन्हे उपकृत कर दिया गया पुरस्कार प्रदान कर दिया गया।
छः माह में ही लोकप्रियता निचले स्तर पर पहुंच गई
स्वास्थ्य मंत्री का छः माह वाला कार्यकाल कैसा रहा यह इसी बात से समझा जा सकता है की उनकी ही लोकप्रियता इतनी निचले स्तर पर इन छः माह में पहुंच गई की उनके नेतृत्व में भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी को उनके क्षेत्र से जहां करारी हार मिली वहीं आसपास के भी विधानसभाओं से बड़ी हार मिली। कोरिया एमसीबी में पार्टी प्रत्याशी के लिए सबसे जिम्मेदार व्यक्ति थे मंत्री जी लेकिन जो परिणाम आया उसने बता दिया की कहीं न कहीं जनता उनसे छः माह में ही ऊब गई। अब मंत्रीमंडल विस्तार में मंत्री जी क्या अपनी कुर्सी बचा पाते हैं विभाग बचा पाते हैं या कुर्सी ही जाती है या विभाग जाता है यह देखने वाली बात होगी जो चर्चा भी लोग कर रहे हैं।वैसे लोगों का मानना है की स्वास्थ्य मंत्री को स्वास्थ्य मंत्री पद का जिम्मा देने की बजाए खाद्य एवं उद्योग विभाग का जिम्मा दे देना चाहिए क्योंकि उनके पास हर समय उठने बैठने वाले राइस मिलर ही हैं और जिनसे मंत्री जी पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं वहीं ऐसे राइस मिलर उनके नाम पर अपनी मनमानी भी कर रहे हैं।
दागदार अधिकारियों से याराना निभाना कहीं महंगा न पड़ जाए मंत्री जी को
स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न या उनके जिले में कार्यरत अधिकारियों की बात करें तो यह देखने में आयेगा की दागदार अधिकारियों का उनके साथ याराना जैसा है और वह उसे ही निभाने में लगे हुए हैं और कहीं इसके चक्कर में वह मंत्री पद ही न खो दें। उनके सलाहकार, ओएसडी,उनके जिले के सीएमएचओ सहित जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी जो कहीं न कहीं किसी मामले में दागदार रहे हैं वह मंत्री जी के खास हैं। उनके साथ संलग्न एक अधिकारी तो फर्जी प्रमाण पत्र वाले हैं जिनके मामले में यदि जांच हुई तो उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है। कुल मिलाकर स्वास्थ्य मंत्री का ही पलड़ा परफॉर्मेंस वाला सबसे नीचे है और कहीं यही न अपनी विकेट मंत्रीमंडल विस्तार में गवां दें।


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