एमसीबी/रायपुर@कम सुनने वाले विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी अपने स्वास्थ्य मंत्री की बात कैसे सुनते होंगे?

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-रवि सिंह-
एमसीबी/रायपुर 25 जुन 2024(घटती-घटना)। प्रदेश में जहां एक तरफ भाजपा की वर्तमान विष्णुदेव साय सरकार फर्जी दिव्यांगता प्रमाण -पत्र के आधार पर शासकीय विभागों में नौकरी कर रहे लोगों को बर्खास्त कर रही है, वहीं दूसरी तरफ राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी जो वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री के यहां विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बतौर संलग्न हैं पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है जिनकी नौकरी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर लगी है और जो श्रवण बाधित न होते हुए भी श्रवण बाधित बने हुए हैं और किसी न किसी एक दिव्यांग का हक मार रहे हैं। छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार मे आदि कोई सबसे ज्यादा सुर्खियों में है तो वह है प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल अपने साथ दागदार और किसी ना किसी मामले मे घिरे अधिकारियों को साथ लेकर चल रहे हैं, दागी अधिकारियों के भरोसे वे छत्तीसगढ़ की बदहाल स्वास्थ्य सुविधा को कैसे पटरी पर लाएंगे यह बड़ा सवाल है। खबर प्रकाशन कर बार-बार उन्हे आगाह किया जा रहा है लेकिन उसके उलट उनके साथ दागियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है,राजधानी रायपुर स्थित स्वास्थ्य मंत्री के बंगले में दागी स्टाफ की भरमार है। सूत्र बतलाते हैं कि मंत्री के निज सचिव की मुख्य भूमिका इन सभी अधिकारियों को संरक्षण देने में है मंत्री भी निज सचिव के इशारे पर नाचते हैं ऐसा सूत्रों का कहना है।
विधानसभा में घोषणा की थी, करांएगे प्रमाण पत्रों की जांच,क्या दागी अधिकारी के प्रमाण पत्र की होगी जांच
छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र अभी हाल ही में संपन्न हुआ है जिसमें एक सदस्य के द्वारा किए गए सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने घोषणा की है कि फर्जी प्रमाण-पत्रों की जांच कराएंगे। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद एक सवाल पैदा हो रहा है कि क्या स्वास्थ्य मंत्री वास्तव मे संवेदनशील हैं और अपनी घोषणा पर कायम रहेंगे। क्या अन्य प्रमाण-पत्रों की जांच के साथ ही उनके द्वारा खुद के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय मरकाम के दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच करवाई जायेगी या फिर उनकी घोषणा महज खोखली बयानबाजी ही साबित होगी।
क्या फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी?
बतलाया जाता है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के पद पर संलग्न किया है,उन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी पाने का पुख्ता प्रमाण घटती-घटना के पास मौजूद है, अभी तक वे किस प्रकार शासकीय सेवा में बने हुए है यह भी सोचनीय विषय है बतलाया जाता कि श्री मरकाम द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जांच को दबवा दिया जाता है जिससे उनकी नौकरी बची हुई है। प्राप्त दस्तावेजो के अनुसार राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित संजय कुमार मरकाम पिता रामचंद्र मरकाम निवासी कॉलेज रोड नवापारा सूरजपुर ने हेमुनगर बिलासपुर का पता बतलाते हुए जिला चिकित्सालय बिलासपुर से अपना दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाया था और खुद को श्रवण बाधित (सुनने) में दिव्यांग बतलाकर प्रमाण-पत्र बनवाया था हलांकि उनके परिचितों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा था काफी कम ध्वनि को भी सुनने मे वे सक्षम हैं और उनसे धीरे बात करने पर भी वे जवाब दे सकते हैं जिससे उनका प्रमाण-पत्र एकदम संदिग्ध है। बतलाया जाता है कि उक्त अफसर ने स्वास्थ्य मंत्री के यहां नियुक्ति के पूर्व मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के यहां भी ओएसडी के लिए प्रयास किया था लेकिन वहां दाल नही गल सकी जिसके बाद उनकी नियुक्ति स्वास्थ्य मंत्री के यहां की गई है।
श्रवण बाधित दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की पूरे प्रदेश के हर शासकीय विभाग में जांच की जरूरत,सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा इसी प्रमाण पत्र के आधार पर होता है शासकीय नौकरी मेंःसूत्र
श्रवण बाधित मामले का प्रमाण-पत्र जारी करवा कर नौकरी पाना प्रदेश में इस संदर्भ में जांच की जरूरत है,सूत्रों की माने तो श्रवण बाधित फर्जी प्रमाण-पत्र जारी करवा कर आज प्रदेश के शासकीय विभागों में कई लोग नौकरी कर रहे हैं जो की जांच का विषय होना चाहिए और इसकी जांच यदि हुई कई मामले में फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले समाने आ जायेंगे। बताया जाता है की श्रवण बाधित फर्जी प्रमाण-पत्र प्रदेश में कई जगह कई विभागों में नौकरी के लिए प्रयोग किया जाता रहा है और जांच हुई तो कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे जो साबित करेंगे की कैसे कितने लोग आज भी फर्जी प्रमाण-पत्र पर नौकरी कर रहे हैं और किसी दिव्यांग का अधिकार छीन रहे हैं । श्रवण बाधित दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की जांच हर शासकीय विभाग की आवश्यक हो चुकी है।
क्या फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच कराएंगे स्वास्थ्य मंत्री?
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इन दिनों अपनी कार्यशैली को लेकर किसी न किसी रूप में चर्चा में हैं,उन्होंने अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में संजय मरकाम को पदस्थ किया है जिन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर शासकीय सेवा पाने का आरोप है। श्री मरकाम स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न हैं और उनका प्रमाण-पत्र भी स्वास्थ्य विभाग से ही बनाया गया है,सवाल उठता है कि इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री ऐसे दागदार अफसर को अपने साथ रखेंगे या फिर अभी तक जिस फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र मामले पर पर्दा डालकर रखा गया है,उस मामले की जांच कराएंगे। यदि स्वास्थ्य मंत्री यह कदम उठा पाते हैं तो निश्चित ही यह उनका बड़ा कदम होगा जिससे अलग संदेश जाएगा।
फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी करने वाले उद्यानिकी विभाग के 9 अफसर हुए बर्खास्त..स्वास्थ्य मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी कब होंगे बर्खास्त?
सीधी भर्ती में दिव्यांग कोटा के तहत उद्यानिकी विभाग में नौकरी हासिल करने वाले 9 ग्रामीण उद्यान अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। इन सभी का दिव्यांगता प्रमाण-पत्र फर्जी साबित हुआ है। जांच में खुलासा हुआ कि इन लोगों ने नौकरी प्राप्त करने के लिए गलत प्रमाण पत्रों का उपयोग किया है। इसके आधार पर अब उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्त किए गए सभी कर्मचारी सीधी भर्ती के माध्यम से सेवा में आए थे। उद्यानिकी विभाग में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी कर रहे लोगों की नामजद सूची प्रस्तुत करते हुए इन सभी को राज्य मेडिकल बोर्ड से शारीरिक परीक्षण कराकर बर्खास्त करने के संबंध में मांग की गई थी। जिसे गंभीरता से लेते हुए संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र. वानिकी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा 2 अप्रैल 2024 को पत्र जारी किया गया, जिसमें संबंधित अधिकारियों को फर्जी एवं गलततरीके से दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय नौकरी कर रहे ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों के दिव्यांगता का राज्य मेडिकल बोर्ड से शारीरिक परीक्षण के उपरांत बर्खास्त करने आदेश जारी किया। अब इस बर्खास्तगी के बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है की क्या अब इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न चल रहे विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी भी बर्खास्त होंगे क्योंकि यदि सूत्रों की माने और उपलध दस्तावेजों की माने तो उनका दिव्यांग प्रमाण-पत्र जो की श्रवण बाधित आधार पर बना है वह फर्जी है और जिसके आधार पर वह नौकरी पर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के यहां संलग्न उक्त अधिकारी को लेकर यह भी बताया जाता है की उनकी नौकरी इसी फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर प्राप्त की गई नौकरी है और उनके भाई चूंकि पूर्व की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के ओएसडी थे इसलिए उनके विषय में न ही जांच हुई न ही कार्यवाही। अब जब उद्यानिकी विभाग ने अपने कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की कार्यवाही की है जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री के यहां विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में संलग्न अधिकारी पर भी कार्यवाही हो बर्खास्त किया जाए उन्हे यह मांग उठ रही है।
संजय मरकाम हैं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के पद पर नियुक्त किया है, उन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। बतलाया जाता कि श्री मरकाम द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जांच को दबवा दिया जाता है जिससे वे शासकीय सेवा में बने हुए हैं। घटती घटना के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं जो सूत्रों से प्राप्त हुआ है, उसके अनुसार राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित संजय कुमार मरकाम पिता रामचंद्र मरकाम निवासी कॉलेज रोड नवापारा सूरजपुर ने हेमुनगर बिलासपुर का पता बतलाते हुए जिला चिकित्सालय बिलासपुर से अपना दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाया था और खुद को श्रवण बाधित (सुनने) में दिव्यांग बतलाकर प्रमाण-पत्र बनवाया था। शिकायत के बाद जांच भी हुई कार्यवाही लंबित है लेकिन जांच को बाधित किया जाता है। हलांकि घटती-घटना के सूत्र ने खुद श्री मरकाम से स्वास्थ्य मंत्री के शासकीय आवास में काफी मंद गति से बात किया और यह महसूस किया कि उन्हे सुनने में किसी प्रकार की परेशानी नही है।
स्वास्थ्य संचालक का पत्र रद्दी की टोकरी में
सूत्रों की माने तो दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के विरूद्व संचालक स्वास्थ्य सेवांए छाीसगढ शासन ने अध्यक्ष संभागीय मेडिकल बोर्ड संयुक्त संचालक सह अधीक्षक डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर को एक पत्र के माध्यम से सूचित किया था जिसमें कार्यवाही का उल्लेख था। पत्र के अनुसार अवर सचिव छाीसगढ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के 4 अधिकारियों का माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एवं दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रमाण-पत्र में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र का परीक्षण एवं समक्ष में जांच मेडिकल बोर्ड शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर मे कराने हेतु एक निश्चित तिथि एवं समय निर्धारित करने हेतु लिखा गया है। राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित सुश्री रेखा चंद्रा,सुश्री अकांक्षा पांडेय,संजय कुमार मरकाम एवं अभिषेक तिवारी का दिव्यांगता का परीक्षण एवं जांच एक निश्चित तिथि एवं समय निर्धारित कर निर्धारित तिथि समय पर संबंधित अधिकारियों को संभागीय मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने हेतु सूचित करने कहा गया था एवं प्राप्त निष्कर्ष से अवगत कराने हेतु कहा गया था। लेकिन लंबा समय व्यतीत होने के बाद भी उक्त पत्र पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही हुई जिससे माना जा सकता है कि यह पत्र रद्दी की टोकरी में पद और प्रभाव के गलत इस्तेमाल के कारण फेंका जा चुका है।
क्या संलग्नीकरण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल समाप्त कर पाएंगे?
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने शुक्रवार को विधानसभा में घोषणा की है कि उनके विभाग में संलग्नीकरण अतिशीध्र समाप्त किया जाएगा जहां जरूरत होगी वहां विभागीय अनुशंसा के बाद ही संलग्नीकरण किया जाएगा,इस घोषणा के बाद एक सवाल ने जन्म ले लिया है कि आखिर खुद स्वास्थ्य मंत्री के साथ विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में काम कर रहे अफसर जो कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं क्या उनका संलग्नीकरण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल समाप्त कर पाएंगे या फिर इन्ही दागदार अफसरों के भरोसे वे स्वास्थ्य विभाग संभालेगे। स्वास्थ्य मंत्री का स्टाफ इन दिनों काफी चर्चा में हैं घटती घटना में लगातार प्रकाशित हो रहे खबरों के बाद आखिरकार पिछले दिनों उन्होने दो स्टाफ को हटा दिया है लेकिन इसके बाद भी दागी अफसर टिके हुए हैं जो कि आश्चर्यजनक है। बतलाया जाता है कि उक्त दागी अफसर के भाई पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के ओएसडी थे जिस कारण दागी अफसर के खिलाफ कार्यवाही नही हुई थी अब एक बार फिर दागी अफसर ने खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के साथ अपना संलग्नीकरण करा लिया हैं। घटती-घटना इस की पुष्टि नहीं करता खबर सूत्रों से मिलि जानकारी व प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर तयार की गई है।
जांच के बाद कार्यवाही नही हुई, प्रभाव का हुआ गलत उपयोग
इस बारे में सूत्रों का कहना है कि विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय कुमार मरकाम के खिलाफ चल रही जांच को प्रभाव के कारण दबवा दिया जाता है,पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में संजय कुमार मरकाम के भाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी थे,इस कारण भी उनके खिलाफ कार्यवाही नही हो सकी। अब एक बार संजय कुमार मरकाम ने अपनी नौकरी बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के साथ खुद को संलग्न करा लिया है,जिससे आगे जांच और कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होने के साथ साथ यह स्पष्ट नजर आने लगा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने साथ दागी अफसरो को ही संलग्न कर रखा है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है।
कैसे स्वास्थ्य विभाग सुधारेंगे मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल?
किसी भी मंत्री के कार्यालय में स्टाफ की भूमिका मुख्य होती है,स्टॉफ अगर दागदार है तो उनसे फिर किसी की भलाई की उम्मीद भी नही की जा सकती है। बतलाया जाता है कि उक्त दागी अफसर पूर्व मे जहां पदस्थ रहे वहां भी उनका नाम सुर्खियों और जमीन घोटाले में शामिल रहा है। साथ ही मंत्री के विशेष सहायक आशुतोष पांडेय की कार्यप्रणाली भी काफी चर्चित और विवादित है। मंत्री ने स्टॉफ के रूप में काम कर रहे दो सेवकों को वापिस भी कर दिया है जो कि पूर्व में कांग्रेस सरकार में मंत्रियों के साथ कार्य कर रहे थे। प्रदेश के एक जिम्मेदार विभाग के मंत्री द्वारा आनन फानन में दागी अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला भी संदेहास्पद है। ऐसे दागी स्टॉफ के भरोसे स्वास्थ्य मंत्री अपने विभाग को कैसे ठीक कर पाएंगे यह सोचनीय विषय है। वहीं एक अन्य कांग्रेसी युवा जो कि पानी पी पीकर आरएसएस,भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत संघ प्रमुख मोहन भागवत के विषय में अनाप शनाप बाते करता है वह भी मंत्री के रायपुर बंगले में दलाल की तरह सक्रिय है और प्रदेश भर में डाक्टरों से संपर्क कर कुछ भी काम कराने का दावा करते फिर रहा है,स्वास्थ्य मंत्री का कांग्रेसी प्रेम भी इससे कहीं ना कहीं झलक रहा है। यह उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है।


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