पश्चिमी देश हुए भौंचक
नई दिल्ली,23 जून 2024 (ए)। भारत और रूस निकट भविष्य में हस्ताक्षरित होने वाले सैन्य रसद समझौते को अंतिम रूप देने के काफी करीब हैं। यह समझौता दोनों देशों को एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों तक पहुँच प्रदान करेगा।
इस समझौते से दोनों पक्षों को एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में कार्यरत रूसी नौसेना और आर्कटिक क्षेत्र में कार्यरत भारत की नौसेना भी शामिल है। पश्चिमी मीडिया में इस बात को लेकर जोरदार चर्चा के बीच कहा गया कि, रूस-चीन धुरी और उनके वैश्विक दृष्टिकोण के बीच भारत पश्चिम का महत्वपूर्ण साझेदार है।लेकिन यह समझौता संयुक्त अभ्यास में भाग लेने वाली रूसी और भारतीय सैन्य इकाइयों के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे निर्बाध संचालन सुनिश्चित होगा। यह बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के विस्तार के बीच सामूहिक यूरेशियाई सुरक्षा ढांचे को भी बढ़ा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन के खतरे से निपटने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में पश्चिमी देशों की अत्यधिक गतिविधियां
भारत के लिए असुरक्षित हो गई हैं, इसलिए भारत चाहता है कि रूस हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय हो ताकि उसका प्रतिकार किया जा सके।उम्मीद है कि रूसी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच के लिए पोर्ट सूडान में एक सैन्य अड्डा स्थापित करेगी। रूस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में म्यांमार और वियतनाम में अपनी सैन्य उपस्थिति का विस्तार करने की भी योजना बना रहा है। साथ ही, भारत को संसाधन संपन्न आर्कटिक में सक्रिय भूमिका निभाने और उत्तरी समुद्री मार्ग का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, फ्रांस, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया सहित अन्य देशों के साथ लॉजिस्टिक्स समझौता किया है।