शासन ने जनहित याचिका को लेकर हाई कोर्ट में दिया जवाब…
बिलासपुर,21 जून 2024 (ए)। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन काल में निजी व्यक्तियों को सरकारी जमीन आवंटित करने के लिए बनाये गए नियम को चुनौती देने वाली याचिका को शासन का जवाब आने के बाद हाईकोर्ट ने निराकृत कर दिया है।
प्रदेश में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 11 सितंबर 2019 को 7500 वर्ग फीट तक की सरकारी जमीन निजी व्यक्तियों को आवेदन और नीलामी के आधार पर आवंटित करने का निर्णय लिया था। इसके विरुद्ध भाजपा नेता सुशांत शुक्ला, मधुकर द्विवेदी, कमल सिंह इत्यादि की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी। इसमें कहा गया था कि इस तरह के आवंटन से भू माफिया और कुछ उच्च आय वर्ग के लोगों को ही लाभ मिलेगा, जबकि सामान्य आय वर्ग के लोग वंचित रह जाएंगे। इसके अलावा पूर्व विधायक नवीन मार्कंडेय ने भी याचिका लगाई थी और कहा था कि इस आदेश का फायदा कुछ बड़े कारोबारी उठा रहे हैं और सरकार अपने लोगों को हजारों वर्ग फीट जमीन आवंटित कर रही है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से सभी जिलों में आवंटित सरकारी भूमि की सूची मांगी थी। हाई कोर्ट में शासन की ओर से बताया गया कि जमीन आवंटन के निर्णय पर
पुनर्विचार किया जा रहा है। इस संबंध में आदेश शीघ्र जारी किया जाएगा। शासन के जवाब के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर सभी जनहित याचिकाएं निराकृत कर दी।
हाईकोर्ट ने पटवारियों का तबादला आदेश किया निरस्त
नियम के खिलाफ
भेजे गए थे दूसरे जिलों में
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पटवारियों को दूसरे जिलों में स्थानांतरित करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। इस
मामले की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने राजस्व सचिव के आदेश पर स्थगन दे दिया था
बिलासपुर, राजनांदगांव तथा अन्य जिलों के करीब 20 पटवारियों को राजस्व सचिव ने अक्टूबर 2022 में अन्य जिलों में स्थानांतरित किया था। इसके खिलाफ प्रभावित पटवारी सूरज दुबे, फिरोज आलम, राजेंद्र साहू, अनादि शर्मा इत्यादि ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से याचिकाएं दायर की थी। याचिका में बताया गया कि भू राजस्व संहिता की धारा 104 के तहत पटवारी की नियुक्ति और उनकी सेवाओं पर अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। दूसरे जिलों में तबादले का अधिकार राजस्व विभाग को नहीं है। दूसरे जिलों में स्थानांतरित करने से उनकी वरिष्ठता भी प्रभावित होगी। शासन का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट ने तबादला आदेश निरस्त कर दिया है।