जिंदा आदमी को मृत बता राजस्व अभिलेख से नाम किया गया विलोपित…जिंदा आदमी राजस्व कार्यालय पहुंच कह रहा मैं जिंदा हूँ साहब !
–ओंकार पाण्डेय –
सुरजपुर,20 जून 2024 (घटती-घटना)। राजस्व विभाग एक ऐसा विभाग हो गया है जहां पर सब कुछ मुमकिन है मुर्दे जिंदा हो जाते हैं और जिंदा मुर्दे हो जाते हैं और ऐसा सिर्फ होता है जमीन की खरीदी बिक्री या फिर जमीन के नाम परिवर्तन में,इसके लिए नियुक्त बैठे जिम्मेदार आखिर ऐसा क्या सिर्फ पैसे के लाभ की लालसा में कर देते हैं या फिर सही में अनजान होते हैं या नीचे के कर्मचारी और उनके आंखों में पट्टी बांधकर कुछ लोग ऐसा काम करवा लेते हैं? ऐसा सवाल इसलिए आता है क्योंकि ऐसे कई मामले राजस्व विभाग में सुने या देखे जा चुके हैं एक बार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है जब जिंदा आदमी की मृत्यु बताकर उसकी भूमि राजस्व अभिलेख से विलोपित कर दी गई अब वह आदमी सबके सामने भटक कर यह बताना चाह रहा है कि मैं अभी जिंदा हूं जमीन मेरी है!
मिली जानकारी के अनुसार सूरजपुर का एक व्यक्ति पिछले कई महीनो से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, इस शख्स के पास तमाम दस्तावेज है जो यह प्रमाणित करते हैं कि यह शख्स जिंदा है बावजूद इसके यह व्यक्ति सरकारी कागजों में आज भी मृत है,वही संबंधित अधिकारी पूरे मामले की जांच कर कार्यवाही की बात कह तो रहे हैं पर करेंगे कब? हाथ में मैं जिंदा हूं का बोर्ड लिए यह शख्स है नंदलाल, जो सूरजपुर जिले के श्याम नगर गांव में रहता है, लेकिन यह ग्रामीण पिछले कई महीनो से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, नंदलाल के अनुसार उसने इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस चौकी से लेकर कलेक्टर तक से की है, बावजूद इसके आज भी वह सरकारी दस्तावेजों में मृत है।
क्या जमीन हड़पने के उद्देश्य से जमीन की गई विलोपित और बताया गया नंदलाल को मृत?
जानकारी के अनुसार नंदलाल के रिश्तेदारों ने उसकी जमीन हड़पने के लिए सरकारी दस्तावेजों में उसे मृत साबित करने के उद्देश्य से तहसील में शपथ पत्र दाखिल किया है, जिसमें यह बताया गया है कि नंदलाल की मृत्यु 40 वर्ष पूर्व हो चुकी है, पिछले कई महीनो से यह मामला भटगांव तहसील में विचाराधीन है, लेकिन संबंधित अधिकारी कार्यवाही करने की बजाय तारीख पर तारीख दिए जा रहे हैं, वही मीडिया के दखल के बाद अब संबंधित अधिकारी जल्द ही कार्यवाही की बात कह रहे हैं।
पूर्व में भी आ चुके हैं ऐसे मामले
सूरजपुर में यह पहला मामला नहीं है, पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जहां जमीन हड़पने के लिए कुछ लोगों के द्वारा जिंदा व्यक्तियों का मृत्यु प्रमाण पत्र बना लिया जाता है, लेकिन इसे सरकारी अधिकारियों की उदासीनता ही कहेंगे कि अभी भी ऐसे मामलों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है, ऐसे में ज़रूरत है कि दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि आगे कोई नंदलाल इनका शिकार ना बने।
क्या राजस्व विभाग में जिंदा भी मुर्दे हो जाते हैं?
वैसे जिंदा व्यक्ति मुर्दा को ही मुर्दा साबित करने की कहीं परंपरा नजर आती है तो वह राजस्व विभाग में ही नजर आती है। बता दें की यह एक जिला राज्य की बात नहीं है देश में अलग अलग जगहों पर यह समय समय पर देखने को मिलता रहा है की कई लोगों को इसलिए मृत घोषित कर दिया जाता रहा है क्योंकि उनकी जमीन पर किसी की नजर रहती है और उसे हड़पने के लिए ऐसा किया जाता है। इस काम में कोई एक ही व्यक्ति जिम्मेदार होता है यह भी कहना गलत होगा कुछ मिलीभगत राजस्व विभाग के लोगों की भी जरूर रहती होगी जिससे किसी जीवित को मृत साबित कर दिया जाना आसान हो जाता है। वैसे फिर भी सवाल विभाग से ही पूछना होगा की क्या यहीं ऐसा होता है और यदि यह सही है तो क्या जमीन के लिए किसी को जीते जी मृत घोषित कर देने की परंपरा कब बंद होगी
राजस्व मामले में ही ऐसी गलतियां क्यों आती है सामने
राजस्व मामलों में ही अधिकाशं बार इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं। अक्सर जिंदा को मृत जमीन हड़पने के लिए ही बताया जाता है। अब ऐसा क्यों है यह तो समझा जा सकता है की मामला जमीन का उसे हड़पने का होता है और इसी कारण जिंदा व्यक्ति मृत बता दिया जाता है। एकाध राज्य में तो ऐसे मामले कई होने के कारण कई बार मृत लोगों के संगठन भी बनाए गए जैसा बताया जाता है जो जीवित होकर भी राजस्व अभिलेखों में खुद को जीवित करने संघर्ष करते झूझते हैं ।
क्या राजस्व विभाग में बैठे जिम्मेदार बिना दस्तावेज के ही ऐसे कारनामे करते हैं?
वैसे किसी जीवित को जीते जी मृत साबित करना क्या इतना आसान है। क्या कोई भी ऐसा किसी के साथ कर सकता है। क्या राजस्व विभाग में किसी के मृत होने की जानकारी प्राप्त होने पर जांच की जिम्मेदारी नहीं होती,क्या ऐसे कारनामे के लिए राजस्व विभाग को कोई छूट मिली हुई है।सवाल कई हैं और जिनका जवाब राजस्व विभाग को ही देना है।