इलॉन मस्क बोले- ईव्हीएम हैक हो सकती है…
पूर्व मंत्री का जवाब- यह भारत में संभव नहीं…
राहुल बोले- ये ब्लैक बॉक्स है…
नई दिल्ली,16 जून 2024 (ए)। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर फिर बहस छिड़ गई है। दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन इलॉन मस्क ने 15 जून को लिखा-ईव्हीएम को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। हालांकि ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका में इससे वोटिंग नहीं करवानी चाहिए।
इस पर भाजपा नेता और पूर्व आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा- मस्क के मुताबिक, कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता, ये गलत है। उनका बयान अमेरिका और अन्य स्थानों पर लागू हो सकता है – जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन बनाने के लिए नियमित कंप्यूट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
भारतीय ईव्हीएम सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग हैं। कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं। यानी कोई रास्ता नहीं है। फैक्ट्री प्रोग्राम्ड कंट्रोलर जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। ईव्हीएम को ठीक उसी तरह डिजाइन किया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है। भारत में इसे हैक करना संभव नहीं है। इलॉन, हमें ट्यूटोरियल (सिखाने वाला संस्थान) चलाकर खुशी होगी।
वहीं, राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में ईव्हीएम ब्लैक बॉक्स की तरह है। किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को छपी खबर के साथ रीपोस्ट किया। इसमें मुंबई की घटना का जिक्र है। दरअसल, मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से एनडीए और शिवसेना (शिंदे) प्रत्याशी रविंद्र वायकर के साले मंगेश पंडिलकर 4 जून को पाबंदी के बावजूद एक चुनाव अधिकारी का मोबाइल लेकर गोरेगांव के काउंटिंग सेंटर के अंदर गए थे।सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग के एक अधिकारी के पास मोबाइल फोन था, जिससे मतगणना के दौरान ओटीपी जनरेट होता है। इससे ईव्हीएम अनलॉक किया जा सकता है। इस फोन का इस्तेमाल सांसद के रिश्तेदार पंडिलकर कर रहे थे। पुलिस को संदेह है कि फोन का इस्तेमाल सुबह से शाम 4.30 बजे तक किया गया, जब काउंटिंग के दौरान कांटे की टक्कर चल रही थी।
आखिरकार, वायकर शिवसेना उद्धव गुट के अमोल कीर्तिकर से सिर्फ 48 वोट के अंतर से जीते। 2024 लोकसभा चुनाव में यह जीत का सबसे छोटा अंतर है। मुंबई पुलिस ने कई नेताओं और चुनाव आयोग की शिकायतों के बाद 15 जून को मंगेश पंडिलकर और एक चुनाव अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया है।
महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने कहा- ईव्हीएम अनलॉक करने के लिए कोई ओटीपी नहीं लगता
ईव्हीएम की फोन से हैकिंग के विपक्ष के आरोपों पर महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने अखबार में छपी खबर को लेकर कहा- ईव्हीएम को अनलॉक करने के लिए कोई ओटीपी नहीं लगता। ईव्हीएम किसी डिवाइस से कनेक्ट नहीं रहती। यह स्टैंड अलोन यानी खुद से चलने वाला सिस्टम है। अखबार में छपी खबर पूरी तरह से गलत है। हमनें उन्हें नोटिस भेजा है। मानहानि का भी केस दर्ज किया गया है।
सपा और शिवसेना ने भी सवाल उठाए
राहुल के बाद सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- टेक्नोलॉजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आदित्य ठाकरे ने लिखा- ईसी का नया मतलब है इनटायरिली कम्प्रोमाईज(पूरी तरह से समझौता) न कि इलेक्शन कमीशन।
मस्क ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर की एक पोस्ट को रीपोस्ट करके कही। कैनेडी जूनियर ने प्यूर्टो रिको के चुनावों में ईव्हीएम से जुड़ी अनियमितताओं के बारे में बताया था और पेपर बैलेट पर लौटने की बात कही थी। अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होंगे।
रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर बोले- पेपर बैलेट पर लौटना होगा
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने पोस्ट में लिखा था- ‘प्यूर्टो रिको के प्राइमरी इलेक्शन में ईव्हीएम से वोटिंग के दौरान कई अनियमितताएं सामने आई थीं। सौभाग्य से यह एक पेपर ट्रेल था, इसलिए समस्या की पहचान की गई और वोटों की गिनती को सही किया गया। सोचिए उन क्षेत्रों में क्या होता होगा, जहां कोई पेपर ट्रेल नहीं है?‘अमेरिकी नागरिकों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके प्रत्येक वोट की गणना की गई है। उनके चुनावों में कोई सेंध नहीं लगाई जा सकती। चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचने के लिए उन्हें पेपर बैलेट पर वापस लौटना होगा।
भारत में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
इसी साल अप्रैल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल पर्चियों की 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मांग से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके अलावा कई पॉलिटिकल पार्टियों से जुड़े लोग ईव्हीएम पर सवाल उठाते रहे हैं।
गूगल और माइक्रोसॉफ्ट सहित कई कंपनियों ने लॉन्च किए एआई प्लेटफॉर्म
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर चुकी है। एआई का इस्तेमाल दवाइयों, तस्बीर या वीडियो बनाने, कारों की असेम्बली जैसे बहुत सारे कामों के लिए हो रहा है। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट सहित कई कंपनियों ने अपने एआई प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं।
एआई को लेकर डिजिटल इंडिया बिल ला सकती है सरकार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जनरेट किए गए डीपफेक वीडियो और कंटेंट पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार डिजिटल इंडिया बिल लाने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विधेयक में एआई टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग और तरीकों पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बिल के लिए विपक्षी दलों के समर्थन की भी कोशिश करेगी।