कोरिया,@आखिर कौन होगा कोरिया जिले का नया भाजपा जिलाध्यक्ष?

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-रवि सिंह-
कोरिया,14 जून 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के भाजपा जिलाध्यक्ष की छुट्टी होनी तय है। जिलाध्यक्ष रहते हुए कोई भी उपलब्धि हासिल न करने के कारण वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी और भाजपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष को जिले से बढ़त नहीं दिला पाने के कारण उनके विरुद्ध पद से हटाए जाने की कार्यवाही होनी निश्चित है यह बताया जा रहा है वहीं बताया जा रहा है की विधानसभा चुनाव में भी उनके प्रयासों से प्रत्याशियों को कोई लाभ नहीं हुआ था बल्कि सत्ता और विधायक विरोधी लहर में वहीं भाजपा प्रत्याशी की लोकप्रियता की वजह से पार्टी प्रत्याशी की जीत हुई थी जो सर्वविदित है। जिलाध्यक्ष सहित उनकी टीम के गिने चुने तीन और चेहरे ऐसे साबित हुए पार्टी के लिए जिनके कारण पार्टी कार्यकर्ताओं से दूर हुई वरिष्ठ भाजपाइयों को भी कई बार अपमानित होना पड़ा। कोरिया जिले में लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद जिलाध्यक्ष का बदला जाना इसलिए भी तय है क्योंकि पार्टी के ही अंदरखाने जिलाध्यक्ष का काफी विरोध है और तीन के अलावा कोई जिलाध्यक्ष से संतुष्ट नहीं है वहीं लोकसभा चुनाव में जिलाध्यक्ष के कारण ही पार्टी प्रत्याशी की हार हुई जिले से यह भी कार्यकर्ताओं का मानना है।संसाधन का समुचित उपयोग न करना परिवारवाद की परंपरा का वाहक बनना ही हार का कारण बना साथ ही यह भी कुछ लोगों का पार्टी के ही कहना है की अपने ही वार्ड से पुत्र को जिलाध्यक्ष वार्ड पंच निर्वाचित नहीं करा पाए और उनकी संगठनात्मक क्षमता और उनकी चुनाव को लेकर समझ इसी से समझी जा सकती है वहीं इसलिए उनको बदलने की मांग हो रही है जिससे कोई बेहतर संगठन क्षमता वाला ऊर्जावान नेतृत्व भाजपा को जिले में मिल सके।
भाजपा में इस बार शहर की बजाए ग्रामीण क्षेत्र से जिलाध्यक्ष बनाया जाए यह भी मांग उठ रही है। पार्टी के अंदर ही यह आवाज उठ रही है की इस बार जिलाध्यक्ष कोई नया एवम युवा चेहरा हो। कई बार से शहर से ही जिलाध्यक्ष चुना जा रहा है पटना को भी अब शहर का ही दर्जा मिल चुका है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र से ही जिलाध्यक्ष बनाया जाए जो भाजपा को जिले में मजबूत करे। जिलाध्यक्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्र से कई नाम समाने आ रहे हैं,ग्रामीण क्षेत्रों में सोनहत और पटना ,बैकुंठपुर का ग्रामीण क्षेत्र प्रमुख है जहां से जिलाध्यक्ष बनाए जाने की मांग हो रही है उसमे से यदि दावेदारों के नाम की समीक्षा की जाए तो बैकुंठपुर विधायक के खास दो नाम भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो सकते हैं,यह नाम है पटना क्षेत्र से अनिल जायसवाल और संदीप दुबे का। दोनों ही बैकुंठपुर विधायक के खास हैं और कहीं न कहीं दोनों का संगठनात्मक समझ बेहतर है। इन दोनो नामों में से यदि किसी नाम पार मुहर लगती है तो यह भी माना जायेगा की नए चेहरे को तव्वजो भी मिला पार्टी की तरफ से वहीं युवा चेहरा होंगे यह यदि इनमे से कोई जिलाध्यक्ष बना।
कोरिया एमसीबी जिले को चाहिए मेहनती व लोगों को जोड़ने वाला जिलाध्यक्ष… अहम वाला जिलाध्यक्ष नहीं चाहिए संगठन को…
कोरिया और एमसीबी का जिलाध्यक्ष अहम वाला पार्टी को नहीं चाहिए वह संगठन में ऐसा नेतृत्व हो जो सबको साथ लेकर चले तभी दोनो जिले में भाजपा की स्थिति मजबूत होगी। वर्तमान में दोनों जिले में जिलाध्यक्ष ऐसे हैं जिन्हें एकला चलो वाली रणनीति का माना जाता है और कार्यकर्ता जिनके लिए कोई महत्व नहीं रखता और जिसका परिणाम भी देखने को मिला और भाजपा प्रत्याशी की लोकसभा में हार हो गई। अब नया जिलाध्यक्ष मेहनती हो कार्यकर्ताओं को आपस में जोड़कर रखने वाला हो जो कोई युवा ही कर सकता है ऐसा कार्यकर्ता ही मानकर चल रहे हैं। अब देखना है की पार्टी क्या निर्णय लेती है और किसे मौका देती है।
युवा जिलाध्यक्ष की दौड़ में अनिल जायसवाल,संदीप दुबे,विनोद साहू,अंचल राजवाड़े का है नाम,विनोद साहू को जिलाध्यक्ष का खास होने का हो सकता है नुकसान…
भाजपा का नया जिलाध्यक्ष कोई युवा चेहरा हो यह पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है ।बताया जा रहा है की लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार को भाजपा के युवा कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे हैं और वह अब युवा नेतृत्व की मांग कर रहे हैं संगठन में। युवा चेहरे जिन्हे जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है उसमे जो नाम प्रमुख हैं उनमें अनिल जायसवाल, संदीप दुबे, अंचल राजवाड़े और विनोद साहू के नाम प्रमुख हैं। बता दें की अंचल राजवाड़े योग्य और एक बेहतर विकल्प हो सकते थे जिलाध्यक्ष के रूप में लेकिन एक मामले में उनका नाम फर्जीवाड़े के लिए सामने आने पर उन्हे भाजयुमो जिलाध्यक्ष पद से स्तिफा देना पड़ा और अभी भी उस मामले में वह दोषमुक्त नहीं हुए हैं इसलिए उन्हें पार्टी नेतृत्व सौंपेगी लगता नहीं है वहीं विनोद साहू का नाम इसलिए जिलाध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो सकता है क्योंकि वह वर्तमान में महामंत्री हैं जिले में वहीं वह जिलाध्यक्ष के सबसे विश्वासपात्र थे करीब थे उसके बावजूद कार्यकर्ताओं और संगठन के बीच दूरी बनी हुई थी इसलिए उन्हे भी शायद ही पार्टी जिम्मेदारी दे क्योंकि उन्हे भी यह मानकर जिलाध्यक्ष पार्टी नहीं बनाएगी क्योंकि वह जिलाध्यक्ष की टीम में रहते हुए कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिला पाए।। अब अनिल जायसवाल और संदीप दुबे में से कोई एक ही ऐसा नाम विकल्प स्वरूप युवा चेहरे के रूप में बचता है जो जिलाध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे हैं वहीं यदि सामान्य वर्ग से मौका दिया गया संदीप दुबे का नाम सबसे ऊपर आ जायेगा।
जिलाध्यक्ष की दौड़ में आगे चल रहे लक्ष्मण राजवाड़े और विनोद साहू का जिलाध्यक्ष बनना आसान नहीं?
जिलाध्यक्ष की दौड़ में आगे चल रहे लक्ष्मण राजवाड़े और विनोद साहू का जिलाध्यक्ष बनना आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि लक्ष्मण राजवाड़े जिलाध्यक्ष से भी ऊपर विधानसभा संयोजक स्वरूप कार्य कर रहे थे वहीं विनोद साहू जिलाध्यक्ष के सबसे विश्वशनीय सहयोगी थे और एक तरह से उनके विश्वासपात्र थे जो जिलाध्यक्ष की टीम में रहकर भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी के लिए जीत सुनिश्चित कर रहे थे जिसमे वह असफल हुए जिस कारण उन्हे भी जिलाध्यक्ष बतौर शायद ही कार्यकर्ता स्वीकार करें और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी उनके जिला महामंत्री रहते हुए होती रही जिसको लेकर वह मौन रहे जिस कारण यह कहा जा सकता है की उनकी दावेदारी कमजोर है। अब ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र से बड़े नामों में से यदि कुछ नाम जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल होंगे तो उनमें रविशंकर शर्मा, अनिल जायसवाल और संदीप दुबे का नाम प्रमुख हो सकता है वहीं यदि भाजपा जिस प्रकार अप्रत्याशित निर्णय के लिए जानी जाती है युवा एवम नए चेहरे को तरजीह देती है उसके हिसाब से अनिल जायसवाल और संदीप दुबे में से कोई एक नाम सामने आ सकता है।बैकुंठपुर विधानसभा और भरतपुर सोनहत विधानसभा का सोनहत क्षेत्र कोरिया जिले में शामिल है,भरतपुर सोनहत क्षेत्र की विधायक आदिवासी समुदाय से हैं और बैकुंठपुर विधानसभा के विधायक अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से हैं वहीं वर्तमान जिलाध्यक्ष भी अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से हैं ऐसे में सामाजिक संतुलन के हिसाब से यदि जिला अध्यक्ष का चयन किया जाता है तो सामान्य वर्ग को इस बार अवसर मिल सकता है क्योंकि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में से जिले में अनुसूचित जन जाति समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से जिले में नेतृत्व मिला हुआ है और इस हिसाब से रविशंकर शर्मा और संदीप दुबे में से कोई एक जिलाध्यक्ष हो सकता है वहीं युवा नेतृत्व यदि भाजपा प्रदान करती है जिले में संगठन में तो भी संदीप दुबे का ही नाम अग्रिम पंक्ति में हो सकता है शेष यदि शहर से ही पुनः जिलाध्यक्ष का चुनाव पार्टी करती है तो शैलेश शिवहरे का नाम भी प्रमुख नाम हो सकता है।
क्या जिले को मिलेगा युवा जिलाध्यक्ष?
कोरिया जिले में भाजपा क्या युवा जिलाध्यक्ष प्रदान करने वाली है। वैसे कार्यकर्ताओं की मांग है की युवा वर्ग को ही इस बार नेतृत्व मिले वहीं ग्रामीण क्षेत्र से नेतृत्व संगठन को मिले। अब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व क्या निर्णय लेता है यह तो जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही पता चलेगा लेकिन युवा चेहरा जिलाध्यक्ष यदि बनता है कोरिया जिले में भाजपा का यह चौंकाने वाला निर्णय होगा। वैसे वर्तमान जिलाध्यक्ष के कार्यकाल को देखते हुए भाजपा युवा चेहरा संगठन को प्रदान कर सकती है जो पार्टी को कार्यकर्ताओं को एकसूत्र में बांधकर चल सके और पार्टी को मजबूत कर सके। एकला चलो की नीति छोड़ नया जिलाध्यक्ष सामूहिक रूप से कार्यकर्ताओं के बीच निर्णय लेकर पार्टी को फिर से मजबूत कर सके यह पार्टी का निर्णय समाने आ सकता है।


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