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कोरिया,@बाबा करेंगे इलाज,स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बनकर देखता रहेगाकोरिया जिले में बाबा कर रहा इलाज,लग रहा रोज दरबार?

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-रवि सिंह-
कोरिया,12 जून 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का हाल किस स्थिति में है विगत कई सालों से यह किसी से छिपा नहीं है वहीं कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो कोरोना वैश्विक महामारी काल से ही विभाग में केवल भ्रष्टाचार का बोलबाला है और स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। जिला अस्पताल रेफर सेंटर बन चुका है विगत कई वर्षों से कांग्रेस शासनकाल में तो बुरा हाल था ही लूट स्वास्थ्य के नाम पर लोगों के मची ही थी वहीं सत्ता परिवर्तन ई बाद जहां लग रहा था की कार्यवाही होगी दोषियों पर वह हुई नहीं बशर्ते दोषियों को उपकृत करने का काम किया गया। जिले की प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था जिस तरह से लगातार बिगड़ती जा रही है उसके बाद लोगों का विभाग से विश्वास उठना लाजमी भी है और वहीं लोग अब नीम हकीम के पास जाना बेहतर समझ रहे हैं और उसी कारण नीम हकीमों का व्यवसाय भी अच्छा खासा चल रहा है। कोरिया जिले के पटना क्षेत्र में इसी तरह एक नीम हकीम का पदार्पण हुआ है जो दरबार लगा रहा है और लोगों का इलाज कर रहा है वह भी गंभीर बीमारियों का इलाज। बताया जा रहा है वहीं बाबा का भी दावा है की वह सभी बीमारियों का दरबार में इलाज करता है। बाबा युवा है और वह पहले स्वास्थ्य विभाग की महतारी एक्सप्रेस का चालक था यह बताया जा रहा है और एकाएक वह वाहन चालक से बाबा बन गया वह भी इलाज वाला।
बता दें की बाबा को लेकर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया में यह भी लिखा है की बाबा बना युवक एंबुलेंस चलाते चलाते ज्ञान पा गया और बाबा बन गया वहीं वह बागेश्वर पार्ट 2 बनना चाह रहा है यह भी लिखने वाले ने सोशल मिडिया पर लिखा है। बाबा के दरबार की वीडियो भी सोशल मिडिया पर साझा की जा रही है और बताया जा रहा है की बाबा किस तरह लोगों का दुख दर्द दूर कर रहे हैं बाबा से उनके दरबार में लोग कह रहे हैं उनके पूछने पर की उन्हे उनकी तकलीफ से मुक्ति मिल रही है। बता दें की नीम हकीम और बाबाओं का चक्कर यह बतलाता है की स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है और लोग इसी वजह से बाबाओं के गिरफ्त में जा रहे हैं। बता दें सोशल मिडिया में जिसने मामले को उठाया है उसने शासन प्रशासन से मांग भी साथ साथ की है की अंधविश्वास का यह खेल बंद कराए प्रशासन। वैसे सोशल मिडिया पर इसका विरोध दर्ज करने वाले की मांग जायज है क्योंकि यदि बाबाओं के पास ही गंभीर बीमारियों का इलाज है अस्पतालों में नहीं तो फिर क्यों लोग अस्पताल जायेंगे वहीं यदि ऐसा नहीं है तो ऐसे बाबाओं के ऊपर कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की जरूरत है और कार्यवाही भी ऐसी जो नजीर बन सके और कोई भी बाबा बनकर लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास न करे। वैसे बाबाओं के चक्कर में कई बार लोग जान से भी हांथ धो बैठते हैं क्योंकि वह इलाज जो उन्हे लेना होता है उसमे वह विलंब कर देते हैं और अंततः उन्हे जान से हांथ धोना पड़ जाता है। बाबाओं का मामला और उनकी प्रसिद्धि आम लोगों के अंधविश्वास से उत्पन्न होती है बढ़ती है और बीमार व्यक्ति तब बाबाओं के गिरफ्त में फंसता है जब वह बेहतर इलाज नही प्राप्त कर पाता या वह विश्वास इलाज के प्रति नहीं उत्पन्न कर पाता है। कोरिया जिले का नया बाबा अभी उतना प्रसिद्ध नहीं हुआ है दो चार लोग ही उस तक पहुंच सके हैं और उसका गुणगान कर रहे हैं लेकिन यदि ऐसा ही उसे छूट मिलता रहा एक दिन वह क्षेत्र में अंधविश्वास का सबसे बड़ा केंद्र बन बैठेगा और लोग बेवजह उसके कारण विश्वास में परेशान होते रहेंगे। शासन प्रशासन को तत्काल इस ओर ध्यान देना चाहिए स्वास्थ्य विभाग को भी जिम्मेदारी से इस तरह के अंधविश्वास को फैलने से रोकना चाहिए वहीं यह भी ध्यान देना चाहिए की कहीं वह कोई ऐसी दवा तो नहीं प्रदान कर रहा है आने वाले मरीजों को जो प्रतिबंधित हों या जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों। जिले में खुलेआम उसका दरबार इस विश्वास को लोगों तक फैलाकर जारी है की वह असाध्य रोगों का उपचार तो करता ही है वह अन्य सभी बीमारियों का भी इलाज करता है।
बॉडीगार्ड लेकर चलता है बाबा,क्या उसे बॉडीगार्ड रखने की अनुमति है प्राप्त?
स्वघोषित बाबा बॉडीगार्ड साथ लेकर चलता है। बता दें की वह बॉडीगार्ड के बिना चलता ही नहीं है। बॉडीगार्ड रखने के लिए कुछ नियम कायदे हैं ऐसा बताया जाता है,घटती घटना नियमों को लेकर कोई दावा तो नहीं करती लेकिन एक सवाल जरूर इस मामले में खड़ा होता है की क्या बॉडीगार्ड रखना किसी के लिए इतना आसान है या इसके लिए कोई नियम कायदा नही है कोई भी बॉडीगार्ड रख सकता है क्या। वैसे एक व्यक्ति की सोशल मिडिया पोस्ट अनुसार बॉडीगार्ड रखने के लिए कुछ नियम कायदे हैं और तभी कोई बॉडीगार्ड रख सकता है,वैसे यदि नियम है तो क्या बाबा ने नियम के अनुसार बॉडीगार्ड रखा है इसका भी खुलासा होना चाहिए।। वैसे बाबा है इलाज करता है तो उसे किसी से खतरा क्यों होगा यह भी एक सवाल है ,क्योंकि वह धर्म का प्रचार तो कर नहीं रहा न ही वह धर्म के लिए किसी को मजबूर कर रहा है वह तो जय और जिंदाबाद दोनो नारा लगवा रहा है ऐसे में उसे किसी से कोई खतरा है कहना सही नहीं होगा।
आखिर प्रशासन मामले से क्यों है अनजान?, बाबा कर रहा गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा
कोरिया जिले के पटना क्षेत्र में स्वघोषित बाबा लगातार लोगों का इलाज कर रहा है। बताया जा रहा है की वह गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा कर रहा है और इसलिए लोग उसके पास पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है की बाबा लोगों को दवा भी दे रहा है,अब यह सूत्रों का कहना है घटती घटना दवा दिए जाने की पुष्टि तो नहीं करता लेकिन इलाज के लिए लोग पहुंच रहे हैं और उन्हे लाभ मिल रहा है यह बाबा ही विडियो सोशल मिडिया पर डालकर बता रहा प्रचार कर रहा है। अब इस मामले के सवाल यह उठता है की आखिर प्रशासन क्या कर रहा है,वह क्यों अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले बाबा के मामले में मौन है। तथाकथित बाबा जिस स्वास्थ्य विभाग में महतारी एंबुलेंस चलाता था अब उसी स्वास्थ्य विभाग को वह चिढ़ा रहा है और वह यह जता रहा है की वह उन बीमारियों का भी इलाज कर रहा है जो लाइलाज हैं। अब देखना है की प्रशासन कब मामले में संज्ञान लेता है और कार्यवाही करता है।
पूर्व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ पोस्टर भी लगवा रहा स्वघोषित बाबा,बाबा इलाज वाला बाबा या एक राजनीतिक दल का सदस्य?
स्वघोषित बाबा पूर्व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ पोस्टर भी शहर गांव में लगवा रहा है। उसके पोस्टर एक राजनीतिक दल विशेष के पूर्व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ शहर गांव में नजर आ रहे हैं। पोस्टर देखकर यह सवाल भी उठता है की बाबा इलाज वाला बाबा है या राजनीतिक दल का वह सदस्य है प्रचारक है। हाल ही में स्वघोषित बाबा के पोस्टर बैकुंठपुर ,पटना, सोनहत में नजर आए जिसमे उन पूर्व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की तस्वीरें थीं साथ उसके जो एक दल विशेष से संबंध रखते हैं।
क्या एक दल विशेष से बाबा को मिल रहा संरक्षण,क्या एक दल विशेष के नेता अंधविश्वास फैलाने में कर रहे उसकी मदद?
स्वघोषित बाबा के पोस्टरों में एक दल विशेष के जनप्रतिनिधियों की ही तस्वीर नजर आ रही है। बाबा के पोस्टर को देखकर यह साफ कहा जा सकता है की वह भले ही लोगों को अपनी तरफ इलाज के बहाने आकर्षित कर रहा है लेकिन वह खुद एक दल विशेष की तरफ आकर्षित है समर्पित है। एक इलाज करने का दावा करने वाले बाबा को एक संत फकीर को खुद क्यों राजनीतिक दल के नेताओं के साथ तस्वीर छपवानी पड़ रही है यह भी एक बड़ा सवाल है।वैसे माना जा रहा है की बाबा चालाक है और वह एक राजनीतिक दल से जुड़ाव कायम कर यह साबित करना चाह रहा है की उसे उस दल का संरक्षण है और वह इसका लाभ भी उठा रहा है।वैसे जिस दल के नेताओं के साथ बाबा पोस्टर चस्पा करवा रहा है वह दल या उसके नेता बाबा के अंधविश्वास के व्यवसाय में उसके सहयोगी बन रहे हैं यह भी कहना गलत नहीं होगा।
सब कुछ जानकर भी लोग अंधविश्वास के कारण फंस जाते हैं बाबाओं के जाल में,इस बाबा को भी जानते हैं सभी करीब से लेकिन अंधविश्वास में सभी की आंखें हैं बंद
अंधविश्वास ऐसा मामला है जहां सबकुछ जानकर भी लोग अनजान बन जाते हैं क्योंकि लोगों को तात्कालिक यह समझ में आता है की उन्हे फायदा हो रहा है। बाबाओं के जाल में फंसने के पीछे की भी कहानी यही है बाबा जो अंधविश्वास में लोगों को फांसते हैं वह क्या हैं उनकी असलियत क्या है यह सभी जानते हैं फिर भी वह फंस जाते हैं उनकी जाल में। इस मामले में भी बाबा को सभी जानते हैं पटना क्षेत्र में की वह कैसे एंबुलेंस चलाया करता था और अब बाबा बन गया।वह क्या सिद्धि प्राप्त किया कहां वह गया सिद्धि प्राप्त करने या बीमारी का इलाज करने यह कोई नहीं जानता वहीं कब गया यह भी कोई नहीं जानता फिर भी लोग उसके पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।


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