कोरबा/कोरिया@कोरबा लोकसभा में मंत्री के गृह क्षेत्र में हुई है 14 हजार की हार…क्या स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी पर गिरेगी गाज?

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-रवि सिंह-
कोरबा/कोरिया,09 जून 2024 (घटती-घटना)।
प्रदेश में लोकसभा की 10 सीट जीतने के बाद भी 1 सीट पर भाजपा की हार को केंद्रीय नेतृत्व गंभीरता से ले रहा है, नाराजगी इस कदर है कि जल्द ही इस क्षेत्र से आने वाले मंत्री पर गाज गिर सकती है। ज्ञात हो कि प्रदेश में 11 लोकसभा सीट है जिनमे से 10 सीट पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई है जबकि 1 सीट कोरबा लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार की हार हो गई, प्रथम दृष्ट्या जो रिपोर्ट मिली है उसके अनुसार इस लोकसभा से आने वाले मंत्री, विधायकों ने चुनाव में सक्रियता नही दिखलाई जिससे हार का मुंह देखना पड़ा है। केंद्रीय नेतृत्व ने कोरबा से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय को उम्मीदवार बनाया था, इस सीट पर सीधे केंद्रीय नेतृत्व की नजर थी। एक बड़ा कारण है कि इस लोकसभा से आने वाले मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के विधानसभा से भी भाजपा की हार हुई है, खुद उनके गृह क्षेत्र से 14 हजार से अधिक वोटो की हार समझ से परे है। श्री जायसवाल एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिनके विधानसभा से भाजपा की हार हुई है, अन्य सभी मंत्रियों केविधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों ने बढ़त लिया था।


प्रदेश की मनेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित होकर श्यामबिहारी जायसवाल को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है,उनका गृह क्षेत्र खड़गवां ब्लॉक है। लोकसभा परिणाम के आंकड़ों पर गौर करें तो देखने को मिलता है कि स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र से ही भाजपा उम्मीदवार 14 हजार से अधिक मतों से पीछे रह गईं हैं। खड़गवां क्षेत्र में 62 मतदान केंद्र हैं जिनमें से 50 से अधिक केंद्रों में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 14325 वोट कम मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को यह सीट जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन लोकसभा के साथ साथ अपने गृह क्षेत्र से भाजपा का पिछड़ना शर्मनाक है।


प्रदेश में विधानसभा का चुनाव नवंबर 2023 में हुआ था, उस दौरान स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा मनेंद्रगढ़ में भाजपा को 48 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए थे लेकिन 5 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मात्र 42193 मत प्राप्त हुए हैं। लगभग 6 हजार मत कम होना स्वास्थ्य मंत्री की लोकप्रियता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।


स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा के साथ साथ उनके गृह क्षेत्र से भाजपा का पिछड़ना कई सवालों को जन्म दे रहा है। इससे साफ दिखाई दे रहा है कि क्षेत्र में मंत्री की लोकप्रियता कम हो गई है। क्षेत्र में यह चर्चा का विषय है कि मंत्री बनने के बाद उनके कार्य व्यवहार में कमी आ गई है,जनता से दूरी बढ़ रही है। क्षेत्र में अराजकता का माहौल निर्मित हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री के यहां पदस्थ स्टाफ खुद को मंत्री से कम नहीं आंख रहे हैं। ऐसे ऐसे स्टाफ है जो लोगो को नजर अंदाज करते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी आवश्यक कार्यवश मंत्री से बात करना चाहे तो स्टाफ के माध्यम से बात भी नही हो पाती। मंत्री के स्टाफ साा के नशे में इस कदर चूर हैं कि वे जल्दी से किसी का कॉल रिसीव करना भी जरूरी नहीं समझते।


लोकसभा चुनाव में स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं किया, उनकी सक्रियता उतनी नहीं थी जितनी खुद के चुनाव के दौरान थी। स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा क्षेत्र से आया परिणाम उनके मेहनत की ओर साफ इशारा कर रहा है। चुनावी प्रक्रिया के दौरान भी देखने में मिला कि स्वास्थ्य मंत्री दिन भर में कुछ स्थानों पर ही चुनावी कार्यक्रम करते थे,बाकी समय चुनावी मैदान से गायब रहा करते थे। स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में कार्यकर्ता भी इसी वजह से निष्कि्रय थे,मंत्री की निष्कि्रयता के कारण और सिर्फ मोदी लहर के भरोसे सभी घर पर बैठे थे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि लोकसभा सीट जिताने की जिम्मेदारी होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री औपचारिकता निभा रहे थे।


कोरबा लोकसभा से इस बार अनेक उम्मीदवार सामने आ रहे थे जिसमे से कई ऐसे दावेदार थे जो मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के काफी करीबी थे। करीबी दावेदार के साथ मिलकर चुनावी रणनीति भी बैठा ली गई थी लेकिन केंद्र की नजर में ऐसे दावेदार भी कमजोर आंके गए थे। जिसके बाद स्वयं केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय को कोरबा लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए भेजा था। पूरे चुनावी प्रक्रिया के दौरान स्वास्थ्य मंत्री की सक्रियता चर्चा का विषय रही। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोरबा लोकसभा के स्थानीय नेता भविष्य में अपनी राजनीति को लेकर चिंतित थे, उन्हें लगने लगा था कि यदि सरोज पांडेय चुनाव जीत जाती हैं तो फिर आगे की राजनीति में असर पड़ेगा, और इसी वजह से भीतर ही भीतर कोरबा लोकसभा के अनेक नेताओं ने सरोज पांडेय के विरोध में एक गुट तैयार किया और एक रणनीति के तहत काम किया जिससे कि सरोज पांडेय को हार का सामना करना पड़ा है। सवाल उठना लाजमी है की स्वास्थ्य मंत्री आखिर किसके इशारे पर काम कर रहे थे।


प्रदेश में 10 सीट जीतने के बाद भी कोरबा लोकसभा सीट की हार को केंद्रीय नेतृत्व ने काफी गंभीरता से लिया है, सूत्रों का कहना है कि चुनाव परिणाम के दिन दिल्ली से लगातार कोरबा सीट को लेकर जानकारी ली जा रही थीं। इससे पता चलता है कि नेतृत्व इस सीट को लेकर कितना गंभीर था। कोरबा लोकसभा सीट पर स्वयं गृह मंत्री अमित शाह एवं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा की थी,प्रदेश के सीएम विष्णु देव साय ने भी कई जगह चुनावी सभा ली। स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा अंतर्गत चिरमिरी में बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम भी कराया गया। प्रत्याशी सरोज पांडेय भी स्वयं दो महीने तक क्षेत्र में सक्रिय थीं। उसके बाद भी कोरबा सीट पर हर केंद्रीय नेतृत्व को नागवार गुजरा हैं। परिणाम आने के बाद से सरोज पांडेय खुद दिल्ली में मौजूद हैं,और उनके द्वारा केंद्रीय नेतृत्व को सारी जानकारी दिए जाने की बात भी कही जा रही है। केंद्रीय नेतृत्व स्थानीय मंत्री,विधायक और संगठन से नाराज है, आने वाले समय में इसका असर देखने को मिल सकता है।


प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के साथ काम करने वाले अनेक स्टाफ विवादित हैं जो कि जनता और कार्यकर्ताओं से थोड़ा भी हमदर्दी नही रखते हैं। स्वास्थ्य मंत्री के साथ काम कर रहे एक अधिकारी पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने के आरोप है,जांच भी हुई लेकिन आगे कार्यवाही नही हुई क्योंकि उक्त अधिकारी के एक भाई पूर्व सीएम भूपेश बघेल के ओएसडी थे। इसलिए भूपेश सरकार में कार्यवाही की फाइल दब गई थी। उक्त अधिकारी द्वारा अपने एक भाई को सूरजपुर स्वास्थ्य विभाग में सर्वे सर्वा बनवा दिया गया है। एक अन्य अधिकारी भी पदस्थ हैं जो कई मामले में विवादित रहे हैं। विवादित अफसरों के कुनबे के साथ काम कर रहे स्वास्थ्य मंत्री के कारण छाीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य के मामले में बैकफुट पर है।


प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा की 10 सीट पर जीत हासिल की है, दुर्भाग्य ही माना जाए कि कोरबा लोकसभा सीट से दो मंत्री होने के बावजूद हार हुई है। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि प्रदेश के सभी मंत्रियों ने अपने अपने विधानसभा से लोकसभा उम्मीदवारों को जीत दिलाई है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र मनेंद्रगढ़ से भाजपा उम्मीदवार 4500 से अधिक मतों से पीछे रह गईं जो कि मंत्री के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करता है।


बीते दिसंबर माह में प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनाव को ध्यान रखते हुए किया गया था, और इस लिहाज से कोरबा लोकसभा से दो मंत्री बनाए गए थे। इस लोकसभा से वाणिज्य और उद्योग मंत्री लखन देवांगन कोरबा विधानसभा से आते हैं जबकि स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल मनेंद्रगढ़ विधानसभा से। लोकसभा चुनाव में कोरबा विधानसभा से भाजपा को 50 हजार से अधिक मतों की लीड मिली है जबकि मनेंद्रगढ़ विधानसभा से 4500 से अधिक मत से हार हुई है। केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष यह सारे आंकड़े प्रस्तुत हो चुके हैं जैसा भाजपा सूत्रों का कहना है।


जिस मंत्री को लोकसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी हो वह अपने विधानसभा को छोड़ पड़ोस के विधानसभा में भी प्रचार प्रसार करने न गया हो तो सवाल उठना भी लाजमी है। चुनाव के दौरान देखने में मिला की स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल अपने विधानसभा तक ही सीमित थे। एकाध बार ही उन्हें दूसरे क्षेत्र में प्रचार करते देखा गया। बैकुंठपुर और भरतपुर सोनहत विधानसभा में भी मंत्री का प्रचार के लिए ना पहुंचना चर्चा का विषय बना हुआ था।


प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल है, आए दिन शासकीय चिकित्सालयों की कमी सामने आ रही है, खुद मंत्री के विधानसभा और पड़ोस के जिले में हाल बुरा है। स्वास्थ्य सुविधा से जुड़ी वीभत्स तस्वीरें भी विभाग की दुर्दशा बयां कर रही है। लापरवाही चरम सीमा पर हावी है,विभाग पर स्वास्थ्य मंत्री का जोर दिखलाई नहीं दे रहा है। स्वास्थ्य सुविधा प्रदेश भर में बेपटरी हो गई है,जनता परेशान है। स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ बैठक लेकर कड़ाई करने की बात करते हैं। लोकसभा चुनाव की अचार संहिता के पूर्व तक सिर्फ पोस्टिंग पर ध्यान था। विभाग का हाल बुरा है और जनता से जुड़ा विभाग होने के कारण इससे सरकार की किरकिरी भी हो रही है।


मनेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने के बाद श्यामबिहारी जायसवाल को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था, उम्मीद थी कि वे कुछ बेहतर करेंगे लेकिन बेहतर तो दूर दुर्दशा ज्यादा दिखलाई देने लगी। मंत्री बनने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने अपने साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा को पानी पी पी कर कोसने वाले युवक को साथ रख लिया है। बतलाया जाता है कि कांग्रेसी मानसिकता का वह युवक शुरू से मंत्री के बंगले के सक्रिय है। स्वास्थ्य मंत्री के निज सचिव के सह पर युवक मंत्री के रायपुर बंगले में सक्रिय रहता है, और विभागीय काम में उसका पूरा हस्तक्षेप है। विभागीय सप्लाई से लेकर ट्रांसफर,पोस्टिंग में भी उसकी दलाली पर चल रही है। मंत्रालय में भी युवक सक्रिय रहता है। मंत्री के शासकीय आवास एवं कार्यालय के रंग रोगन समेत अन्य सभी कार्यों को कराने की जिम्मेदारी भी युवक को दी गई थी। संघ और भाजपा विरोधी युवक को मंत्री द्वारा आश्रय देने के कारण भाजपा कार्यकर्ता मायूस हैं। विधानसभा चुनाव में जी तोड़ मेहनत करने वाले कार्यकर्ता रायपुर बंगले में जाने से हिचकते हैं जबकि उक्त कांग्रेसी युवक को मंत्री द्वारा वहां बैठाकर काम दिया जा रहा है।


प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अब धीरे धीरे सत्ता के रंग में रंग गए हैं बतलाया जाता है मंत्री का अनेक कांग्रेसियों से भी काफी गहरा संबंध है। और उस संबंध को अभी भी मंत्री जी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं,कांग्रेसी उनके कार्यकाल में फलने फूलने लगे हैं। मनेंद्रगढ़ ही नही बल्कि दूसरे विधानसभा के कांग्रेसी कार्यकर्ता मंत्री के संपर्क में है और आसानी से अपना काम करा रहे हैं जबकि भाजपाई केवल चक्कर काट रहे हैं। भाजपाई कार्यकर्ता दबी जुबान से यह कहते सुने जाते हैं कि मंत्री जी कांग्रेसियों से मित्रता निभा रहे हैं,कार्यकर्ता इससे भीतर ही भीतर नाराज है।


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