सुरजपुर/अंबिकापुर@जिला चिकित्सालय में इंसानों के अस्पताल में विचरण कर रहे मवेशी…क्या यही है प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल?

Share


-भूपेन्द्र सिंह-
सुरजपुर/अंबिकापुर,09 जून 2024 (घटती-घटना)।
सुरजपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है यह एक वायरल विडियो देखकर समझा जा सकता है जिसमे जिला चिकित्सालय में एक गाय विचरण कर रही है वह भी अस्पताल भवन के अंदर जहां मरीज इलाज के लिए लाइन लगाकर खड़े हैं या पर्ची कटा रहे हैं। वायरल विडियो एक पत्रकार द्वारा मोबाइल से बनाया गया है और जब उसके द्वारा इस संदर्भ में पूछा जाता है की क्यों अस्पताल में गाय विचरण कर रही है तब उसी का विडियो अस्पताल स्टाफ बनाने लगता है और गाय को अस्पताल से बाहर निकालने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। सुरजपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और वहां से जिला चिकित्सालय का पहले काफी नाम था काफी उाम व्यवस्था इलाज सहित अस्पताल की आंतरिक व्यवस्था की वहां रहती थी यह बताया जाता था लेकिन हाल फिलहाल में बताया जाता है की जिला अस्पताल सहित जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल है और जिसका ही उदाहरण है की गाय भी अस्पताल में विचरण कर रही है। मरीजों के इलाज के लिए उन्हे केवल दवा की ही जरूरत नहीं होती अस्पताल की साफ सफाई और सुरक्षित वातावरण भी मरीज के इलाज में कारगर होता है और जिस तरह खुलेआम दिन में अस्पताल स्टाफ की नजरों सामने अस्पताल भवन के भीतर गाय विचरण कर रही है माना जा सकता है की गाय के अलावा अस्पताल में अन्य पशु जानवर भी विचरण करते होंगे जो इलाज के लिए आए मरीजों के लिए घातक भी हो सकते हैं नुकसान दायक भी हो सकते हैं। वैसे हाल फिलहाल में ही जिले के सीएस अधिकारी भी जिले में नया नया प्रभार ग्रहण किए हैं वहीं जिले के प्रभारी डीपीएम भी नए हैं और दोनों ही स्वास्थ्य मंत्री के खास हैं एक उनके भतीजे हैं वहीं एक उनके ओएसडी के भाई जिस वजह से उन्हे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के गिरते स्तर से ज्यादा सरोकार नहीं है क्योंकि वह जानते हैं या मानकर चल रहे हैं की उनके विरुद्ध कार्यवाही करने की हिम्मत कम से कम उच्च अधिकारी नहीं जुटा पाएंगे क्योंकि उनका सीधा संबंध विभाग के मंत्री से है। जिले में बना जिला चिकित्सालय ज्यादा पुराना नहीं है वहीं भवन भी नए तर्ज पर बना हुआ है जहां हर तरह की सुरक्षा सहित मरीजों की सुविधा का ध्यान रखा गया है वहीं उन सुरक्षा व्यवस्था को पशु धता बताकर चिकित्सालय में प्रवेश कर रहे हैं जो दृश्य बताता है की जिम्मेदार कितने निश्चिंत हैं कितने लापरवाह हैं। वैसे वीडियो वायरल होने उपरांत जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और खासकर जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है जिम्मेदार कितने जिम्मेदार हैं देखा जा सकता है। वैसे सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का कहावत यहां इस मामले में लागू होती नजर आ रही है क्योंकि जब पत्रकार अस्पताल स्टाफ से पशु विचरण की बात पर प्रश्न करता है तब गाय भगाने की बजाए पत्रकार को ही भयभीत करने का प्रयास किया जाता रहा और उसका विडियो बनाने का उपक्रम नजर आया।

इंसानों के अस्पताल में विचरण कर रहे मवेशी


जिला चिकित्सालय सूरजपुर में मवेशी विचरण का वीडियो वायरल होने के बाद छोटे कर्मचारियों पर गज गिरना तय है, क्योंकि आज तक ऐसा ही होता आया है, होना भी चाहिए क्योंकि छोटे कर्मचारी भी इस समय लापरवाह हो चुके हैं, पर सवाल यहीं खत्म नहीं होता सवाल तो यह भी है कि आखिर अधिकारियों की कार्यप्रणाली कैसी है की छोटे कर्मचारियों अधिकारियों की बात मानने को तैयार नहीं है? उल्टा अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच तू तू मैं की भी स्थिति निर्मित हो जाती है, बाकी मरीजों के साथ तो कर्मचारियों का व्यवहार किसी से छुपा नहीं है, इसके पीछे की वजह यह भी बताई जाती है कि अधिकारी के अंदर इतनी कमियां है कि कर्मचारी ही उन पर हावी हो जाते हैं यदि अधिकारी सही होते तो शायद कर्मचारियों उन्हे आंख नहीं दिखा पाते? कर्मचारी अधिकारियों की इतनी कमियां जानते है कि उन्हें लैकमेल कर देते हैं और फिर कर्मचारी अपनी ही मनमानी पर उतरे रहते हैं ऐसा सूत्रों का मानना है।


अब आप कहेंगे कि जब बात जिला चिकित्सालय की हो रही है तो फिर प्रभारी डीपीएम कहां से आ गए, तो आपको बता दे कि जब-जब स्वास्थ्य विभाग की कमियों की बात आएगी तो नई नवेली डीपीएम साहब की भी बात आएगी क्योंकि इनका हस्तक्षेप हर तरफ रहता है, मुख्य चिकित्सा अधिकारी के ऊपर पूरे जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है पर शायद वह यह जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहे? क्योंकि दिन भर प्रभारी डीपीएम के साथ बैठकर न जाने ऐसा कौन सा मीटिंग होता है की रोज प्रभारी डीपीएम उन्ही के कार्यालय में ही बैठे मिल जाएगे, विश्वस्त सूत्रों का ऐसा मानना है, यदि विश्वस्त सूत्रों की जानकारी सही है तो सवाल उठना लाजमी है कि सूरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम की आखिर क्या ऐसी मजबूरी है की वह अपना कार्यालय छोड़कर मुख्य चिकित्सा एवम अधिकारी के कार्यालय में ही बैठे रहते हैं। वैसे प्रभारी डीपीएम की यह आदत में शुमार व्यवहार है और वह अपना कार्यालय छोड़ अपने मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी या कलेक्टर के कार्यालय में बैठना ज्यादा पसंद करते हैं और अधिकारियों को अपने प्रभाव में लाने का कोशिश करते हैं, सूरजपुर कलेक्टर तो प्रभारी डीपीएम को ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं पर वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुछ ज्यादा ही प्रभारी डीपीएम को भाव दे रहे हैं, प्रभारी डीपीएम कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर प्रभाव का अपना दबाव बनाने में लगे रहते हैं, यही उनकी आदत रही है ,कोरिया जिले का उनका कार्यकाल कुछ ऐसा ही बताता है की उन्हें आराम पसंद है और जुगाड से प्रभाव से अपना काम करने में माहिर हैं, जिसके लिए वह कभी किसी नेता का भतीजा बन जाते हैं तो कभी किसी नेता विधायक मंत्री का।


सूत्रों की माने तो प्रभारी डीपीएम सूरजपुर कोरिया जिले से भेजे गए हैं। वह भी कैसे पहुंचे हैं यह भी किसी से छुपा नहीं है, यदि स्वास्थ्य मंत्री उनके रिश्तेदार ना होते तो शायद आज वह सूरजपुर नहीं कहीं और होते, स्वास्थ्य मंत्री की कृपा से ही वह सूरजपुर जिले में है और अपना नर्सिंग कॉलेज व अपना प्रभारी डीपीएम का कार्यकाल एक साथ देख पाने में सफलता हासिल कर पा रहे हैं, बता दें कि सूरजपुर के वर्तमान प्रभारी डीपीएम कोरिया जिले में इतना प्रभाव रखते थे की मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया उनके मामले में मौन रहते थे। उनके जाने के बाद भी कोरिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी उबर नहीं पाए हैं आज भी प्रभारी डीपीएम का प्रभाव उसके कार्यालय में देखा जा सकता है, कलेक्टर कोरिया से उनकी घनिष्ठता और उनकी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की शासन स्तर पर पकड़ इतना असरदार था कि मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारियों कोरिया जिले के क्रमशः रहता था की उनके मामले में मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी मुकदर्शक ही बने रहते थे चाहे वह कितनी भी मनमानी कर लें। अब उसी तरह की छूट उन्हें सूरजपुर जिले में भी मिलती नजर आ रही है स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे को जिले के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कांग्रेस के पूर्व विधायक के रिश्तेदार के रूप में मिला है, तो वहीं जिला चिकित्सालय के अधीक्षक जो स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी के भाई के रूप में और स्वास्थ्य मंत्री डीपीएम के चाचा अब कौन उन्हें रोकेगा किसकी हिम्मत होगी?


सूरजपुर जिले का जिला चिकित्सालय पहले संभाग के सबसे अच्छे जिला अस्पतालों में गिना जाता था। जब से सूरजपुर जिले का मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी पूर्व विधायक के रिश्तेदार को बनाया गया तब के बाद से स्थितियां बद से बदतर होती गई, कांग्रेस सरकार में विधायक के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रिश्तेदार रहे तो वही स्वास्थ्य मंत्री के विधायक काफी करीबी थे जिस वजह से मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी सूरजपुर को संरक्षण मिलता रहा, अब सरकार बदलने के बाद भी उन्हें संरक्षण मिलेगा क्योंकि कांग्रेस के दिग्गज नेता व कई बार के विधायक के वह रिश्तेदार हैं और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री से भी संबंध अच्छे हैं? बताया जा रहा है की जबसे वर्तमान डीपीएम सूरजपुर जिले के प्रभार में जिले में पहुंचे हैं तब से मुख्य चिकित्सा अधिकारी व सिविल सर्जन का बर्ताव बदल गया है तभी से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और खराब होती जा रही है, सीएमएचओ, सीएस और डीपीएम की साझेदारी में जिला चिकित्सालय की जिम्मेदारी अब मरीजों के जिम्मे है। गाय विचरण कर रहे हैं अस्पताल में और प्रश्न उठाने पर कर्मचारी पत्रकार को ही विडियो बनाने का अभिनय कर पत्रकार को धमकाने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे ही जिले के डीपीएम हैं उनके ओएसडी के भाई सिविल सर्जन तो वहीं कांग्रेस पूर्व विधायक सीएमएचओ रिश्तेदार हैं, यह एकमात्र कारण है की जिले में स्वास्थ्य विभाग अब अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा है क्योंकि बोलेगा कौन।

सुरजपुर के प्रभारी डीपीएम कोरिया जिले की तर्ज पर काम कर रहे हैं जिले में । वह मंत्री का भतीजा बनकर दबाव कायम कर अधिकारियों पर पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में हस्तक्षेप करना शुरू कर चुके हैं जिसके बाद से ही जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बदतर होती जा रही है।वैसे यह कहना गलत नहीं होगा की यदि दो चार महीने भी डीपीएम रह गए जिले में कोरिया जिले की तरह वेंटीलेटर पर होगी सूरजपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था जिसमे कोई संदेह भी नही है उनकी कार्यप्रणाली देखते हुए पुरानी।
किस सचिव व किस मंत्री से फोन करा दिए की सभी लोग प्रभारी डीपीएम के नखरे उठाने लगे?
सुरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम की धमक जिले में है।स्वास्थ्य विभाग में उनकी तूती बोलने लगी है।अब किसी सचिव किस मंत्री से उन्होंने फोन कराया पता नहीं लेकिन मैं स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा हूं यही मात्र मेरी योग्यता है वह हर जगह बोलना नहीं भूलते और इसी आधार पर वह स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए घातक बन चुके हैं जहां भी वह जाते हैं।


प्रभारी डीपीएम लोकसभा चुनाव के लिए लगी आचार संहिता के दौरान पूरे समय जिले से मुख्यालय से बाहर रहे। बता दें की वह सूरजपुर में कार्यरत जिले से दूरी बनाए रखे और उनके बाहर रहने को लेकर कोई सवाल नहीं उठा और जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई,वैसे बताया जाता है की वह कोरिया जिले में अपने कार्यकाल की गड़बडि़यों की लीपापोती में लगे रहते हैं फिलहाल वहीं स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा बताकर खुद को वह कार्यवाही से बच निकलते हैं और मुख्यालय से बाहर रहते हैं।


सुरजपुर जिले के सीएमएचओ पूर्व विधायक के रिश्तेदार है यह बताया जा रहा है और वह तब सीएमएचओ बनाए गए थे जब कांग्रेस की प्रदेश में सरकार थी और पूर्व विधायक के ही राजनीतिक संरक्षक माने जाने वाले पूर्व अंबिकापुर विधायक स्वास्थ्य मंत्री थे। अब सरकार जाने के बाद भी वही जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सम्हाल रहे हैं।
सूरजपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट कर्मचारी व जिम्मेदार हुए बेपरवाह, नहीं है इन्हें किसी का डर
सूरजपुर जिले की स्वास्थ्य विभाग की स्थिति दयनीय होती जा रही है। जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी बेपरवाह हो चुके हैं क्योंकि उनका मानना है की स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा वहां डीपीएम है वहीं स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी का भाई वहां विभाग का सिविल सर्जन है तो वही मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांग्रेस के कई बार के विधायक सांसद रहे खेल साय सिंह के रिश्तेदार है सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का वाला मामला जिले में समझा जा रहा है और यह माना जा रहा है की सबकुछ जब नियंत्रण में है तो बेहतर क्यों बना जाए।


कोरिया जिले में डीपीएम रहते हुए वर्तमान के सूरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम ने मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारियों कोरिया के को क्रमशः गिरफ्त में ले रखा था अब वह सूरजपुर में भी वही काम कर रहे हैं और वहां भी अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी उसकी गिरफ्त में है। वैसे मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी सूरजपुर पूर्व विधायक के दमाद है सिविल सर्जन के भाई भी स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी हैं और डीपीएम स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे ऐसे में एक तरह से यह जुगल जोड़ी भी है जो जिले में अब स्वास्थ्य व्यवस्था को हाशिए पर डाल रही है।


सूरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम बड़ी योग्यता वाले हैं वह गोल्ड मेडलिस्ट हैं या फिर कोई विशेषज्ञ चिकित्सक ऐसा नहीं है,उनकी डिग्री भी फर्जी है ऐसा उनके विरुद्ध आरोप है और जिसकी जांच की मांग है फिर भी वह विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए निर्देश जारी करते हैं और उन्हे अपने वश में रखना चाहते हैं।बता दें की वह ऐसा कर पाने में सफल भी हैं, अब सवाल यह उठता है की जिसकी डिग्री योग्यता फर्जी है उसके डिग्री को लेकर यदि यह आरोप है तो फिर क्यों लोग उसके सामने नतमस्तक हैं खासकर योग्य विशेषज्ञ यह बड़ी बात है। वैसे स्वास्थ्य विभाग में कोई फर्जी बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा है शिकायत अनुसार यह जांच आवश्यक है क्योंकि शिकायत बार बार हुई है उसकी डिग्री को लेकर।


डीपीएम सूरजपुर पहले कोरिया जिले के प्रभारी डीपीएम थे तब वह जिले के सीएमएचओ जो उनके कार्यकाल में दो रह चुके हैं के ऊपर हावी थे।एक कांग्रेस कार्यकाल के दौरान थे एक उसी दौरान नियुक्त हुए लेकिन उनका कार्यकाल जारी है। अब दो दो विशेषज्ञ चिकित्सक साथ ही जिले के आला अधिकारी स्वास्थ्य विभाग की कौन सी नस प्रभारी डीपीएम की दबा के रखे थे की वह उनके मुरीद थे।बताया जाता है तब डीपीएम एक विधायक का रिश्तेदार बनकर वह सभी पर दबाव डालते थे। अब साा परिवर्तन के बाद वह सूरजपुर जिले के डीपीएम हैं वहां भी सीएमएचओ उनकी गिरफ्त में हैं ऐसा क्यों उनकी कौन सी नस वह दबा रखे हैं यह भी एक सवाल खड़ा होता है। वैसे स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी के भाई है सीएस और भतीजा हैं डीपीएम।


मैं स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा हूं। सुरजपुर जिले के प्रभारी डीपीएम की कुल योग्यता यही है। स्वास्थ्य मंत्री का भतीजा हूं कहकर वह उच्च अधिकारियों पर दवाब बनाते है भ्रष्टाचार करते हैं यह कई बार बात सामने आ चुकी है।अब उनकी मनमानी कौन रोकेगा पता नहीं लेकिन उनकी डिग्री फर्जी है यह शिकायत हुई है जिसकी जांच आवश्यक है।वैसे कौन सी डिग्री है उनके पास जिसको फर्जी बताया जा रहा है क्या वह सही में फर्जी है या जुगाड वाली है यह जांच जरूरी है। वैसे केवल मंत्री का भतीजा हूं कहकर यदि कोई मनमानी करे वह भी लोगों के स्वास्थ्य मामले में यह बेहतर संकेत नहीं प्रदेश के लोगों के लिए।


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मलाई खा चुके डीपीएम जिले में क्या अधिकारियों को भी वही मलाई परोस रहे हैं। बता दें की यह वही डीपीएम हैं जो वैश्विक महामारी के दौरान कोरिया जिले में प्रभारी थे और जमकर इन्होंने कुछ ऐसा किया था एक लिपिक के साथ मिलकर की की कई शिकायत इनकी हुई थी वहीं वह लिपिक भी आज काफी संपन्न है।वैसे उस समय महामारी में काफी बंदरबांट हुई स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर शासकीय राशि की और इसीलिए अधिकारी मुरीद थे डीपीएम के यह माना जाता है वहीं अब सूरजपुर में भी प्रभारी डीपीएम वही मलाई वहां के अधिकारियों को खिला रहे हैं इसलिए वह अनेक मुरीद हैं यह भी माना जा रहा है।


Share

Check Also

रायपुर,@ निगम-मंडल और स्वशासी संस्थाओं को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओं पर लगी रोक

Share @ वित्त विभाग ने जारी किया आदेश…रायपुर,26 अक्टूबर 2024 (ए)। वित्त विभाग ने तमाम …

Leave a Reply