अंबिकापुर@शहर में चारो तरफ बड़े-बड़े बहुमंजिली इमारतों में फायर सेफ्टी नहीं,विभाग के पास भी संसाधन की कमी

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भूपेन्द्र सिंह –
अंबिकापुर 09 जून 2024 (घटती-घटना)।
शहर का विकास काफी तेजी से हो रहा है। नियमों के ताक पर रखकर चारो तरफ बड़े-बड़े बहुमंजिली इमारों का निर्माण हो रहा है। लेकिन फायर सेफ्टी के कोई विशेष उपाए नहीं किए जा रहे हैं। आगजनी जैसी घटना होने पर लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इधर दमकल विभाग के पास भी संसादन की कमी है। 4-5 मंजिले मकानों में आगजनी जैसी घटना होने पर बुझाने के लिए दमकल विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। इस स्थिति में अंबिकापुर शहर में आगजनी जैसी घटना होने पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण लोगों में खुद की जागरुकता की कमी मुख्य कारण है।
शहर में हर गली-मोहल्लों में बड़ी-बड़ी इमारतें काफी तेजी से बन रही है। लोग इसका उपयोग व्यवसायिक के रूप में मॉल, दुकान, अस्पताल, होटल के रूप में कर रहे हैं। ताकि अधिक से अधिक इंकम आ सके। लेकिन आगजनी जैसी घटना से निपटने के लिए भवनों में फायर सेफ्टी का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अतिरिक्त खर्च के कारण इमारतों में फायर सेफ्टि नहीं लगवाते हैं। इसका खामियाजा आगजनी जैसी घटना होने के बाद उठाना पड़ता है। वहीं नियम को दरकिनार कर रिहायशी इलाकों में बड़े-बड़े भवनों का निर्माण हो गया है। वहीं शहर में जिस तरह से व्यवसायिक बहुमंजिली इमारतें हैं उस तरह से आग से निपटने के लिए दमकल विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। विभाग आज भी आग बुझाने के लिए पुराने सेटअप पर ही चल रहा है। चार दिन पूर्व ही शहर में आगजनी की एक बड़ी घटना हुई है। 5 मंजिले दुकान व होटल में आग लगने से करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है।
अधिकांश घटनाएं शॉट सर्किट से
शहर के घरों व दुकानों में आगजनी की घटनाएं होने का अधिकांश कारण बिजली शॉट सर्किट पाया गया है। दमकल विभाग के प्रभारी अंजनी तिवारी के अनुसार 60 प्रतिशत घटनाएं शॉट सर्किट से होती है। इसमें बिजली विभाग के साथ-साथ खुद की भी लापरवाही रहती है। 10-15 वर्ष पुराने वायरिंग लगे रहते हैं। इसे बदलने की चिंता नहीं होती है। वहीं एक ही बिजली मिटर पर लोड दिया जाता है। बिजली की लोड भी लगातार बढ़ रही है। गर्मी के सिजन में ऐसे ही बिजली की लोड अधिक हो जाती है। वहीं पुराने वायर होने के कारण शॉट सर्किट होने की संभावना ज्यादा रहता है।
बड़े भवनों के अनुसार संसाधन नहीं
शहर में बड़े-बड़े भवन बन रहे हैं। उसके अनुसार दमकल विभाग के पास संसाधन नहीं है। लोगों में जागरुकता की कमी है। लोग मुख्य मार्ग के अलावा गली मोहल्लों में सकरा गली में भी 4-5 मंजिले मकान है। इन क्षेत्रों में आग लगने पर फायर वाहन नहीं पहुंच सकता है। ऐसे में सांसाधन नहीं है कि दूर से ही सकरा गली में जाकर चौथे-पांचवें मंजिल पर आग बुझाया जा सके।
मैन पावर की कमी
दमकल विभाग के पास जितना अवश्यकता है उतना स्टाफ नहीं है। एक शिफ्ट के स्टाफ से तीन शिफ्ट का काम लिया जा रहा है। अगर शहर में कहीं बड़ी आगजनी की घटना होने पर दमकल विभाग को नगर सेना का सहारा लेना पड़ता है। जानकारी के अनुसार दमकल विभाग के 22 व नगर सेना के 10 कर्मचारी के भरोसे जिले की जिम्मेदारी है।
मात्र दो स्थानों पर पानी का प्वाइंट
भीषण आग लगने पर पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। दमकल प्रभारी अंजनी तिवारी ने बताया कि मात्र दो स्थानों पर ही पानी का प्वाइंट है। थाना चौक व पुराना फायर स्टेशन के पास है। इस स्थिति में भीषण आग लगने पर पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
घटना के बाद जागा विभाग

चार दिन पूर्व हुई शहर में बड़ी आगजनी की घटना के बाद दमकल विभाग की नींद खुली है। वह शहर के अवश्यकता के अनुसार संसाधन के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा है। नगर सेना के संभागीय कमांडेंट राजेश पांडेय ने बताया कि सीएफटी वाहन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।


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