कोरे कागज पर एंट्री फीस की रसीद
महीने में करोड़ों की अवैध उगाही,सरगुजा आरटीओ उड़नदस्ता टीम की अवैध वसूली चरम सीमा पर,कार्रवाई कब
सड़क पर बेखौफ वसूली का जिम्मेदार कौन,कोरे कागज पर एंट्री फीस की रसीद,महीने में करोड़ों की अवैध उगाही…
-भूपेंद्र सिंह-
अम्बिकापुर,08 जून 2024 (घटती-घटना)। सरकार बेशक बदल गई हो ,लेकिन एक ऐसा विभाग जो आज भी अपने पूराने उसूल पर चल रहा है, इस विभाग के कार्यप्रणाली से नाराज भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने पूर्व में आंदोलन भी किया था। तब प्रदेश में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार थी। अब समय और परिदृश्य दोनों बदल गए है लेकिन सरगुजा की आरटीओ उड़नदस्ता टीम आज भी पूर्व सरकार की राह पर ही चलना उचित समझ रही हैं। जांच के नाम पर आज भी प्रत्येक गाडि़यों से एंट्री फीस वसूल रहे हैं। वसूली का सबूत एक कोरे कागज पर लिखकर देते हैं, जिससे ट्रक चालक एक महीने के अंदर तक दिखा कर सड़कों पर चल सके। अक्सर सरगुजा उड़नदस्ता टीम की गाड़ी अंबिकापुर-बनारस मार्ग या रायगढ़ एन.एच.रोड़ पर जांच के नाम वसूली करते देखें जाते हैं. गाड़ी के पेपर कंप्लीट होने के बावजूद भी एंट्री फीस के नाम पर 1000/५०० रुपये की फीस वसूला जाता है. और एक कोरे कागज पर लिखकर दे दिया जाता हैं.जिसकी मान्य 1 महीने के लिए होती हैं।
निजी गाडि़यों से होती है वसूली
आरटीओ उड़नदस्ता टीम की वसूली इतनी जबरदस्त होती है की इन्हें अलग से प्राइवेट गाडि़यां बुक करना पड़ता है। जिससे की कुछ अधिकारियों के साथ गुर्गे अलग अलग क्षेत्र के सड़कों पर धडल्ले से वसूली कर सके,मतलब साफ है की वसूली का एकमुश्त पैसे इन्हीं सप्ताह मे मिलती हैं। इसलिए कोई वाहन छुटे ना प्राइवेट गाडि़यों का और गुर्गों की संख्या बढ़ाई जाती हैं। जांच के नाम पर सड़क पर प्राइवेट गुर्गों का आतंक सड़क पर देखने को मिलता है,अधिकारी गाड़ी अंदर पर बैठे रहते हैं। ट्रक ड्राइवर इस वजह से चुप रहते हैं कि अगर इनके खिलाफ बोल देंगे तो भारी भरकम चालान हो सकता है। बहरहाल आरटीओ उड़नदस्ता के नाम सड़कों पर अवैध वसूली का खेल प्रदेश के सुशासन सरकार यानी विष्णु देव साय की सरकार रोक पाती हैं या पूर्व की भूपेश बघेल सरकार की तर्ज पर जांच के नाम पर वसूली के छूट दे रखेगी।
हर महीने में करोड़ों की वसूली
सरगुजा संभाग की सड़कों पर प्रतिदिन 300-500 के आसपास ट्रकें चलती हैं। अगर आप इन अंकों से गुना करते हैं तो एक महीने की करोड़ों में वसूली की संख्या होगें। जिसका कोई हिसाब न तो वसूलने वाले के पास होता है और न ही वसूली कराने वाले के पास,यही वजह भी है की उड़नदस्ता टीम में सरकारी कर्मचारियों के अलावा स्थानीय गुर्गे शामिल होते हैं .जो हमेशा इन अधिकारियों के साथ गाड़ी में ,सड़क पर दिखेंगे यहां तक की उड़नदस्ता टीम के निजी वसूली सेंटर यानी की एक फ्लैट में सारे लोग काम करते या नोट गिनते भी कई बार देखें गए है।
हाइवे से महीने की फिक्स वसूली
बलरामपुर जिले में गिट्टी क्रेशर संचालित है ,वहीं सुरजपुर ,सरगुजा में कोयला खदान और रेत घाटों में चल रही टीपर व हाइवे से महीने का फिक्स है। यहां भी प्रत्येक गाड़ी से महीने के २000-३000 रुपये वसूले जाते है। एक अनुमति यहां भी कुल ८00 की आसपास सड़क पर गाडि़यां बेधड़क दौड़ रही हैं। अगर इतेफाक से आरटीओ उड़नदस्ता का सामना हो भी गया तो गाड़ी मालिक या ट्रासपोर्ट ठेकेदार के नाम मात्र से गाड़ी छूट जाती हैं। इन सब का सारा लेखा जोखा साथ में रह रहे प्राइवेट गुर्गों के पास ही होता है।अधिकतर उड़नदस्ता में पदस्थ अधिकारी इन गुर्गों के मोबाइल से ही वाहन मालिक से बात करते हैं। वहीं पैसे की लेन देन पूरा एक निजी एजेंट करता है. जिसका कमीशन पहले से तय है।