अंबिकापुर@सरगुजा लोकसभा भी जा सकता था भाजपा के हाथ से…विधानसभा की बढ़त लोकसभा में नहीं संभाल पाए मंत्री विधायक

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-भूपेन्द्र सिंह-
अंबिकापुर,08 जून 2024 (घटती-घटना)।
लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को ही आ गया वहीं देश में एनडीए गठबंधन की सरकार भी बनने जा रही है लेकिन भाजपा के लोकसभा सीटों पर प्रदर्शन की चर्चा साथ में हो रही है क्योंकि खुद प्रधानमंत्री ने 400 पार का नारा दिया था और जिसमे भाजपा को अकेले 370 सीट जनता प्रदान करेगी यह उनका विश्वास था जो टूट गया और भाजपा जहां 240 सीटों पर ही सिमट गई वहीं एनडीए कुल 293 सीटों के साथ सरकार बना पा रही है। प्रधानमंत्री का चेहरा भले ही न बदला हो लेकिन भाजपा खुद के बलपर बहुमत नहीं जुटा पाई जो भाजपा के लिए संतोषजनक परिणाम नहीं रहा जो कहा जा सकता है। पूरे देश के लोकसभा सीटों पर जहां जहां भाजपा खुद के प्रत्याशियों के चेहरे पर चुनाव लड़ रही थी उनमें से वह लोकसभा सीटें भी थीं जो भाजपा के पास वर्षों से थीं और जहां ज्यादा बढ़त के साथ भाजपा प्रत्याशी के जीत की उम्मीद कर रही थी वहीं जिन जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार थी वहां भाजपा को प्रत्येक सीट पर जीत की उम्मीद थी और ज्यादा से ज्यादा सीटें इसी हिसाब से भाजपा जीत रही है यह उसका अपना पार्टी सर्वे अनुसार अनुमान था। उार प्रदेश राजस्थान जैसे राज्यों में सरकार होने के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा और कहीं न कहीं भाजपा अपने दम पर बहुमत से इसीलिए पीछे रह गई वहीं बात छाीसगढ़ की करें तो यहां भाजपा ने 11 में से 10 सीटों पर जीत जरूर दर्ज कर ली लेकिन कई सीटों पर भाजपा अपना विधानसभा चुनाव वाला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई जो भाजपा के लिए प्रदेश में चिंतन का विषय होना चाहिए।
सरगुजा लोकसभा सीट भी जा सकती थी भाजपा के हांथ से,मंत्री विधायक के विधानसभाओं में पिछड़े भाजपा प्रत्याशी
सरगुजा लोकसभा सीट भी भाजपा के हांथ से निकल ही चुका था जो अंतिम समय में भाजपा की झोली में आ सकी वहीं मंत्री विधायक भी अपने क्षेत्र से बेहतर बढ़त नहीं दिला सके। एकमात्र मंत्री ने अपने विधानसभा से बेहतर बढ़त दिलाई वहीं एक विधायक के गृह पोलिंग से ही भाजपा प्रत्याशी पिछड़ गए। कुल मिलाकर भाजपा विधायक और मंत्री कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी की जीत को लेकर उतने गंभीर नहीं थे जितना उन्हे होना था।वैसे मंत्री रामविचार नेताम ने विधानसभा चुनाव की अपेक्षा भाजपा प्रत्याशी को अपने विधानसभा से ज्यादा बढ़त दिलाई जो पूरे लोकसभा में सबसे बड़ी विधानसभावार बढ़त है।
भटगांव विधायक साथ ही महिला बाल विकास मंत्री के विधानसभा से नहीं दिला सकी पुरानी बढ़त
चार महीने के कार्यकाल में ही वहीं बड़ी जिम्मेदारी के कार्यकाल में यदि कोई मंत्री अपनी विधानसभा से अपने लोकसभा प्रत्याशी को बढ़त न दिला सके तो समझा जा सकता है की उसकी कार्यप्रणाली दोषपूर्ण है और वह जनता की उम्मीदों पर अपने ही क्षेत्र की खरा नहीं उतर पा रहा है और पार्टी के लिए भी वह लाभकारी साबित नहीं हो पा रहा है। भटगांव विधायक साथ ही महिला बाल विकास मंत्री के गृह विधानसभा से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी कम मत प्राप्त कर सके।लोकसभा प्रत्याशी भटगांव विधानसभा से दस हजार से ज्यादा मतों से विधानसभा चुनाव की अपेक्षा पीछे रहे। पुरानी बढ़त क्यों कायम नहीं रही यह बड़ा सवाल है। महिला बाल विकास मंत्री के जिले से भी भाजपा प्रत्याशी ज्यादा समर्थन नहीं जुटा सके जिले की तीन विधानसभा सीटों में से एक विधानसभा में तो वह पीछे भी रह गए प्राप्त मतों के हिसाब से कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले।


चार महीने में महिला बाल विकास मंत्री की लोकप्रियता कहां चली गई जो उन्हे अपने ही क्षेत्र से वह समर्थन भाजपा लोकसभा प्रत्याशी को नहीं मिली जो उन्हे विधानसभा चुनाव में मिली थी। कहीं न कहीं यह अंतर उनकी कार्यप्रणाली के कारण उत्पन्न हुआ अंतर है यह कहना गलत नहीं होगा।


चार महीने में सरगुजा लोकसभा अंतर्गत आने वाले अधिकांश भाजपा विधायकों से लोगों का विश्वास उठ गया यह भी कहा जा सकता है। यदि सभी विधायक और मंत्री चार महीने के कार्यकाल को बेहतर रखते अपना लोकसभा प्रत्याशी और बड़े अंतर से चुनाव जीतते और जिसके कारण भाजपा का मत प्रतिशत भी बढ़ता।


प्रेमनगर विधायक अपने ही बूथ से बढ़त नहीं दिला सके भाजपा प्रत्याशी को,प्रेमनगर विधायक अपने ही गृह ग्राम में अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं यह परिणाम से समझ में आता है। अपने ही गृह ग्राम की पोलिंग से पार्टी प्रत्याशी के लिए जीत तय न करा पाना यह साबित करता है की विधायक की लोकप्रियता किस कदर घटी है चार महीने में।


सूरजपुर जिले की विधायक साथ ही मंत्री वहीं दो अन्य विधायक अपना परफोर्मेंस चार महीने में ही कायम नहीं रख सके यह उनके कार्यप्रणाली और लोगों के बीच उनकी घटती लोकप्रियता बताने के लिए काफी है। बता दें कि जिले से विधायक और मंत्री कई बार अपनी कार्यप्रणाली कारण अखबार की सुर्खियां बन चुकी हैं। कभी तेंदूपाा फड़ मुंशी के लिए पत्र कभी कोरिया जिले में आंगनबाड़ी पुताई में अपने ही परिवार के सदस्य को काम दिलाने का आरोप,कुल मिलाकर चार महीने में अपने लिए ही इन्होंने काम किया इनके कार्यकाल में जनसरोकार शामिल नहिं रहा इसलिए परिणाम विपरीत आया सामने।


भाजपा ने एक सीट लोकसभा की गवाई प्रदेश में वह ऐसी लोकसभा सीट थी जो भाजपा केवल अविभाजित कोरिया जिले में मेहनत कर जीत सकती थी और जहां से भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री भी आते वहीं वहीं सरगुजा सीट की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी इस सीट से जीत जरूर गए लेकिन कई विधानसभा सीटों अनुसार मत अंतर यदि देखा जाए तो विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन भाजपा नहीं दोहरा सकी जो भाजपा के लिए चिंतन का विषय होना चाहिए। भाजपा ने सरगुजा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की भले लेकिन जीत का अंतर वह नहीं रहा जो वह मानकर चल रही थी। भाजपा को यदि मंत्रियों के विधानसभा के हिसाब से देखा जाए तो सरगुजा लोकसभा सीट में आने वाले विधानसभाओं में से दो विधानसभाओं के विधायक वर्तमान प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं वहीं यदि उनके विधानसभा और जिले के हिसाब से विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिले मतों का आंकलन किया जाए तो एक कैबिनेट मंत्री ने विधानसभा चुनाव से ज्यादा मत भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में अपने विधानसभा से दिलवाया वहीं एक कैबिनेट मंत्री ने अपने जिले सहित अपने ही विधानसभा से पुराना प्रदर्शन नहीं दोहराया जो उनकी मंत्री बनने के बाद की कार्यप्रणाली को लेकर कहा जा रहा सकता है की विरोध है और जिस वजह से उनका क्षेत्र भाजपा प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव से कम समर्थन प्रदान करने वाला साबित हुआ।


सुरजपुर जिले की यदि तीनों विधानसभाओं की बात की जाए तो तीनो सीटो पर भाजपा के विधायक हैं और उनमें से एक कैबिनेट मंत्री हैं वहीं उसके बावजूद भाजपा प्रत्याशी विधानसभा चुनाव अनुरूप मत नही प्राप्त कर सके कैबिनेट मंत्री के विधानसभा से ही विधानसभा चुनाव की अपेक्षा भाजपा प्रत्याशी को 10000 से ज्यादा मत कम मिले हैं वहीं प्रतापपुर से भी प्रदर्शन विधानसभा चुनाव परिणाम से विपरीत है भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस प्रत्याशी से पीछे हैं वहीं प्रेमनगर से भाजपा विधायक ने अपने ही पोलिंग से भाजपा प्रत्याशी को जीत दिलाने का प्रयास नहीं किया जो चर्चा का विषय है। वैसे रामानुजगंज से विधायक साथ ही कैबिनेट मंत्री ने लोकसभा में विधानसभा से ज्यादा मत भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में डलवाया जो साबित करता है की कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली लोगों के बीच अभी पसंद की जाने वाली है। वैसे महिला बाल विकास मंत्री के कार्यकाल में भाजपा जिले में क्यों पिछड़ी यह सवाल खड़ा होता है क्योंकि प्रदेश सरकार की महतारी वंदन योजना का जब हर लोकसभा सीट पर असर देखने को मिला कोरबा लोकसभा सीट छोड़कर वहीं सरगुजा लोकसभा में ही अन्य विधानसभाओं में भी असर देखने को मिला केवल उनके विधानसभा और जिले को छोड़कर तो सवाल तो खड़ा होगा ही।


मंत्री सहित भटगांव विधायक को अन्य राज्य में भी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने का जिम्मा मिला था। बता दें कि अन्य राज्य में जहां इन्हे जिम्मा मिला था वहां भी पराजय का सामना करना पड़ा है पार्टद्ब प्रत्याशी को। इनका कार्यकाल पार्टी को लाभ से ज्यादा नुकसान ही पहुंचाने वाला साबित हुआ है।


भटगांव विधायक प्रदेश के उन सौभाग्यशाली विधायकों में से एक हैं जिन्हे पहली बार की ही जीत में मंत्री पद मिल सका है लेकिन वह उस गरिमा को कायम नहीं रख सकी हैं यह देखने को मिला है लोकसभा चुनाव परिणाम उपरांत। लक्ष्मी राजवाड़े को युवा नेतृत्व स्वरूप यह जिम्मेदारी मिली थी उन्हें बड़े बड़े भाजपा नेताओं को किनारे कर जिम्मेदारी मिली थी जिसमें वह पार्टी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकीं।


चार महीने में ही मंत्री जी कुछ मतलबी लोगों से घिरकर बदनाम हो गईं,उनकी कार्यप्रणाली से लोग ऊबे हुए नजर आए लोकसभा चुनाव परिमाण अनुसार ।शुरुआत में यदि जनसरोकार से जुड़ा काम करती मंत्री महोदया निश्चित ही पार्टी प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव में उसका फायदा मिलता बढ़त मिलती जो नहीं मिल सकी।


जनता से मंत्री की दूरी बढ़ी है यह बताया जा रहा है। बताया जा रहा है की उनसे मिलना और उनसे कोई व्यक्तिगत निवेदन करना भी काम लोगों का मुश्किल है। उनके आस पास घेरा है कुछ लोगों का जिनके तय करने उपरांत ही फरयादी उनसे मिल पाता है।


बताया जा रहा है उनका सारा ध्यान नए बन रहे आलीशान घर की तरफ है जो वह मंत्री बनते ही तेजी से बनवा रही हैं। करोड़ों की लागत से घर बन रहा है और जिसके लिए वह काफी समय प्रदान कर रही हैं। क्षेत्र में चर्चा यह है की मंत्री बनते ही जैसे लॉटरी लग गई है और नया घर आलीशान तैयार हो रहा है।
विधानसभा चुनाव में सरगुजा में हुआ था कांग्रेस का सुपड़ा साफ, वही 4 महीने बाद लोकसभा में कांग्रेस का सुधार परफॉर्मेंस
विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग की सारे सीटें बीजेपी के खाते में गई थी पूरी तरीके से सरगुजा में कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया था पर वही जहां बीजेपी का परफॉर्मेंस सिर्फ 4 महीने में खराब हो गया और हार के बाद 4 महीने में ही कांग्रेस ने अपना परफॉर्मेंस सुधार लिया जिसका नतीजा लोकसभा में देखने को मिला, भारी भरकम वोटो से जीतने वाले भाजपा के विधायक लोकसभा में अपने ही विधानसभा से अपनी पार्टी को भारी मतों से पीछे कर दिया, जहां पर तीनों प्रत्याशी सूरजपुर जिले में भारी मतों से जीत कर आए थे वहीं लोकसभा में अपने इस मत को बरकरार नहीं रख पाए, प्रेमनगर विधानसभा के भूलन सिंह मरावी 33290 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी खेलसाय सिंह को हराया था पर वही लोकसभा में मात्र बीजेपी को 6079 की ही बढ़त दिला पाए, भटगांव विधानसभा में लक्ष्मी राजवाड़े जो वर्तमान में मंत्री हैं वह 43962 मतों से जीती थी वह भी लगातार दो बार के विधायक पारसनाथ राजवाड़े सिंह को हराया था, लक्ष्मी राजवाड़े की बढ़त को देखते हुए भाजपा ने भी उन्हें सीधे मंत्री बना दिया पर मंत्री होने के बावजूद जहां भाजपा को और लीड मिलनी थी वह लीड घट गई पर वही लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा से भाजपा को सिर्फ 16393 से ही बड़ा दिल पाई, प्रतापपुर विधानसभा में शकुंतला सिंह पोर्ते कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार शिव भजन मरावी को 11708 मतों से हराकर बढ़त ली थी पर वही लोकसभा में यह बढत भाजपा को नहीं मिली उल्टा भाजपा यहां से 711 मतों से पीछड़ गई। सूरजपुर के तीनों विधानसभा मिलकर बीजेपी को विधानसभा में 88960 की बढ़त मिली थी जो लोकसभा में घटकर मात्र 22472 रह गई।


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