एमसीबी@बेरोजगार युवक-युवतियों को नौकरी लगाने के नाम बनाया जा रहा ठगी का शिकार…मामला एमसीबी नवीन जिले के जिला मुख्यालय से जुड़ा हुआ

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खुद के साथ नौकरी दिलाने के नाम पर हुई ठगी की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंच रहे युवक-युवती,कर रहे लिखित शिकायत

-रवि सिंह-
एमसीबी,02 जून 2024 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी में नौकरी दिलाने के नाम पर युवक युवतियों से ठगी का खेल जारी है और जिसको लेकर पुलिस के पास शिकायत पहुंचने लगी है और अब मामले में पुलिस क्या कार्यवाही करती है इसका इंतजार है। बता दें की नवीन जिले के जिला मुख्यालय में कार्यालय संचालित कर बेरोजगार युवक युवतियों को नौकरी दिलाने का दावा किया जा रहा है जहां बड़ी तादाद में बेरोजगार युवक युवतियां पहुंच रही हैं और जिसके बाद उनके साथ ठगी की जा रही है।
बताया जा रहा है की 12000 से 19000 तक की सैलरी दिए जाने की बात कहकर यह ठगी की जा रही है और जहां प्रतिदिन युवक युवतियों के साथ ठगी हो रहा है और मामले में जिम्मेदार कोई पहल कार्यवाही अपने से नहीं कर रहे हैं जो मामले को गंभीर बना रहा है। अब मामले में शिकायत सामने आने लगा है और एक युवक ने जहां पुलिस थाना मनेंद्रगढ़ में लिखित शिकायत की है वहीं एक युवती ने पुलिस अधीक्षक एमसीबी से शिकायत कर ठगी की बात बताई है और दोनों के द्वारा अपना पैसा जो नौकरी लगाने के नाम पर उनसे ठगा गया है को वापस दिलाने की गुहार लगाई है। नवीन जिले में इस तरह का ठगी का व्यवसाय लंबे समय से संचालित है वह भी शहर के मध्य में ही उसका कार्यालय भी है इसके बावजूद पुलिस मामले से अनभिज्ञ है यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है वैसे बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार का लालच देकर उन्हें ठगी का शिकार बनाने के लिए बकायदा विज्ञापन भी प्रसारित किया जाता है जो सभी की नजर में आता भी है। अब जब एक युवक और एक युवती खुद के साथ रोजगार के नाम पर ठगी की शिकायत लेकर सामने आए हैं और पुलिस से शिकायत दोनो ने की है देखना है की पुलिस क्या कार्यवाही करती है और क्या वह युवक और युवती को न्याय दिला पाती है उनका पैसा वापस दिला पाती है जो उनसे नौकरी लगाने के नाम पर ठग कर लिया गया है।
उत्पाद के नाम पर देते हैं कपड़ा और वसूलते हैं महंगा शुल्क
बेरोजगारों को पहले आकर्षक वेतन के बहाने लुभाया जाता है फिर जब वह प्रभावित होकर पहुंचते हैं तब उन्हे नेटवर्क मार्केट का सजबाग दिखाया जाता है। उन्हे उत्पाद बेचने की बात बताई जाती है और उन्हे एक नेटवर्क बनाने कहा जाता है जिसके अंतर्गत उन्हे एक चैन बनाना होता है अपने नीचे और वह जितना निवेश कर शामिल होते हैं उन्हे उतना ही अन्य से भी निवेश कराना है। अब जो अपने नीचे निवेश करा पाने में असमर्थ होते हैं उन्हे यह कह दिया जाता है की वह असफल हुए और उनका वेतन भुगतान नहीं हो सकता वहीं जो लगातार लोगों को जोड़ता है अन्य को ठगने का काम करता है उसे वेतन प्रदान किया जाता है। जो कपड़ा उत्पाद के नाम पर प्रदान किया जाता है पैसा लेकर वह भी लागत से आधे कीमत या होता है।
क्या रोजगार के नाम पर ठगी करने वालों के पास रोजगार प्रदान करने का कोई पंजीयन है जिसके कारण पुलिस उन पर कार्यवाही करने से बच रही है?
नवीन जिले में रोजगार प्रदान करने के नाम पर जो ठगी हुई है या जिस ठगी का आरोप लगाया गया है युवक युवती की तरफ से क्या जिस पर या जिस रोजगार प्रदान करने वाली संस्था या व्यक्तियों के ऊपर आरोप लगा है उनके पास रोजगार प्रदान करने का पंजीयन है जिस कारण पुलिस कार्यवाही करने से बच रही है और जिस कारण ही वह खुलेआम जिला मुख्यालय में यह व्यवसाय रोजगार बांटने के नाम पर जारी ठगी का जारी रखे हुए हैं।वैसे शिकायत यदि सही मिलती है और रोजगार प्रदान करने के नाम पर सही मायने में यदि युवाओं बेरोजगारों को ठगा जा रहा है तो यह बड़ी गंभीर स्थिति मानी जायेगी कानून व्यवस्था के नाम पर क्योंकि खुलेआम ऐसा होना ऐसी संस्था का संचालन होना व्यवस्था को चुनौती है।
क्या शिकायत के बाद पुलिस कार्यवाही करती है या वह युवक और युवती का पैसा वापस दिलाती है?
नवीन जिले में घटी इस ठगी की घटना की शिकायत पुलिस थाने में भी हुई है वहीं मामले की लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक से भी हुई है। अब सवाल यह उठता है की क्या पुलिस मामले में त्वरित कार्यवाही करते हुए पैसा वापस दिलाती है युवक और युवती का और क्या वह कानूनी कार्यवाही करती है ठगी की घटना को अंजाम देने वालों के विरुद्ध? युवक और युवती ने शिकायत और अपने पैसे वापस दिलाए जाने की मांग की है जबकि मामला गंभीर है और यदि ठगी का आरोप सही है तो ठगी की घटना अन्य के साथ भी घटी होगी और जिसकी शिकायत अभी तक समाने नहीं आई होगी। कुल मिलाकर अब देखने वाली बात यह है की नवीन जिले की पुलिस कितनी तत्पर है मामले में न्याय दिलाने के लिए।
पुलिस शिकायत पर जांच करके आखिर ठगी करने वालों का कार्यालय ही क्यों नहीं बंद करा रही है?
मामले में यह भी सवाल है की शहर के भीतर ही ठगी का यह कार्यालय खुले आम संचालित है और जिसकी शिकायत भी समाने आ चुकी है की वहां बेरोजगारों को ठगने का काम किया जा रहा है रोजगार देने के नाम पर। अब सवाल यह उठता है की पुलिस ठगी का कार्यालय ही क्यों नहीं बंद करा देती है। कार्यालय बंद कराने में पुलिस को क्या दिक्कत है।। शिकायतकर्ता जब नामजद शिकायत कर रहे हैं तब शिकायत की जांच और कार्यवाही में विलंब क्यों।
प्रशिक्षण के नाम पर वसूलते हैं प्रति व्यक्ति 300 की राशि
शिकायतकर्ताओं की माने तो उक्त ठगी सेंटर में कई तरह से बेरोजगारों से वसूली की जाती है। बेरोजगारों को पहले विज्ञापन के जरिए आकर्षक वेतन प्रदान करने का झांसा देकर लुभाया जाता है और फिर उन्हे विश्वास में लिया जाता है। बेरोजगारों से फिर प्रशिक्षण के नाम पर 300 प्रतिव्यक्ति की राशि वसूली जाती है। कुल मिलाकर बेरोजगारों को ठगने का सिलसिला कई स्तर पर जारी है। बेरोजगार युवक युवती पहले झांसे में आते हैं फिर वह आकर प्रशिक्षण के नाम पर भी ठगे जाते हैं जबकि उन्हे रोजगार प्रदान करने के लिए बुलाया जाता है।
पैसे का नहीं देते रसीद,बेरोजगारों का बनाते हैं वीडियो जिसमे उन्हे स्वेक्षा से जुड़ने की शपथ दिलाई जाती है…
ठगी का शिकार हुए युवाओं का कहना है की जब वह आकर्षक वेतन देखकर वहां पहुंचते हैं तब उन्हे नेटवर्क मार्केट का सजबाग दिखाया जाता है वहीं उनका वीडियो बनाते हैं और उसमे स्वेक्षा से शामिल होने की शपथ दिलाई जाती है।


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