बैकुंठपुर,@क्या एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के ठेकेदार प्रबंधक को ही समझ बैठे है बेवकूफ… एफडीआर जमा करके कार्य समाप्ति से पहले निकाल लेते है एफडीआर की राशि?

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  • चरचा,पांडवपारा,कटकोना भूमिगत खदानों व सिविल के ठेकेदार एसईसीएल प्रबंधन को बेवकूफ बनाने में आगे…
  • एसईसीएल बिश्रामपुर के बाद एसईसीएल बैकुंठपुर में भी फर्जी एफडीआर का मामला आया सामने…
  • फर्जी एफडीआर मामले की शिकायत विजिलेंस सहित उच्च अधिकारियों से…

-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,31 मई 2024 (घटती-घटना)। एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के अंतर्गत कई ठेकेदार काम कर रहे हैं और कांटेक्ट वर्क में एफडीआर सुरक्षा के तौर पर जमा किया जाता है पर इस एफडीआर में भी फर्जीवाड़ा ठेकेदार करने लगे हैं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक ठेकेदार का काम एसईसीएल चरचा पांडवपारा कटकोना में करोड़ों का काम चल रहा है जिसमें फर्जी एफडीआर ठेकेदार लगाकर प्रबंधक को ही बेवकूफ बनाया है सूत्रों का कहना है की जांच में यह चीज सामने आई है पर एसईसीएल प्रबंधक अपनी लापरवाही से बचने के चक्कर में मामले का खुलासा करने से डर रहा है। जानकारी के अनुसार एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के अंतर्गत संचालित भूमिगत खदान चरचा,पांडवपारा,कटकोना में अवध किशोर शर्मा ठेकेदार के द्वारा तीनों भूमिगत खदानों में बेल्ट क्लीनिंग व मेंटेनेंस का काम किया जा रहा है, जिसके लिए करोडो का ठेका हुआ था और जिस ठेके में एफडीआर जो जमा किया गया है वह एफडीआर फर्जी बताया जा रहा है, क्योंकि एफडीआर का पैसा पहले ही ठेकेदार ने रिलीज करा लिया है, जबकि एफडीआर का पैसा तब रिलीज होता है जब काम खत्म हो जाता है और एसईसीएल एफडीआर के प्रमाण पत्र में लिख कर देती है कि इस राशि को जारी कर दिया जाए, पर ठेकेदार बैंक के साथ मिली भगत कर उस राशि को पहले ही जारी करा चुके हैं सर्फ एसईसीएल के पास अब कागज का टुकड़ा ही रह गया है, सूत्रों का कहना है कि फाइनेंस विभाग द्वारा इस मामले की जांच की गई है जिसमें यह पाया गया है की ठेकेदार द्वारा एफडीआर का फर्जी प्रमाण पत्र लगाया है फिर भी फिर भी प्रबंधक कार्यवाही से घबरा रहा है।
एसईसीएल के अधिकारी कानूनी पचड़ो से बचने के चक्कर में ठेकेदारों को गलत करने का अवसर देते हैं?
बताया यह भी जा रहा है कंपनी के अधिकारी कंपनी का नुकसान बर्दास्त कर लेते हैं केवल वह कानूनी किसी मामले में उलझना नहीं चाहते इसलिए भी ठेकेदार बच निकलते हैं वरना ऐसे मामलों में ठेकेदार बिल्क लिस्टेड भी हो जाते हैं। अब देखना यह है की इस बार क्या प्रबंधक या अधिकारी कार्यवाही के लिए आगे कदम बढ़ाते हैं या कानूनी मामले से बचने के लिए मामले को दबा ले जाते हैं।
एसईसीएल प्रबंधक की भी दिख रही लापरवाही
एफडीआर जब जमा होता है तो उसे एफडीआर की जांच अच्छे तरीके से अधिकारी नहीं कर पाते और फिर वही मामला बाद में जब खुलता है तो प्रबंधन अपने लापरवाही से बचने के लिए ठेकेदार को भी बचाती है कुछ ऐसा ही इस बार भी देखने को मिला है जब ठेकेदार द्वारा फर्जी एफडीआर एसईसीएल बैकुंठपुर में जमा कर करोड़ों का काम ले लिया और वह एफडीआर सिर्फ एसईसीएल के पास सुरक्षा पत्र नहीं कागज का टुकड़ा ही माना जाएगा, यदि वह काम ठेकेदार नहीं करता है तो एसईसीएल उसके एफडीआर का पैसा भी नहीं रोक पाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि पेटी पर लेकर काम किया जा रहा है वही एफडीआर बनवाकर पेन से उसमें एसईसीएल लिखकर एफडीआर जमा कर दिया जाता है फिर जब काम मिल जाता है तो उस एफडीआर की राशि जारी करा ली जाती है।
काम किसी के नाम पर कर रहा कोई
ठेकेदार कोई और है और काम को पेटी में दे रखा वही पेटी कॉन्टैक्टर व मुख्य कॉन्टैक्टर की मिली भगत करके एफडीआर की राशि को समय अवधि से पहले ही बिना सीसीएल अधिकारी के सेल हस्ताक्षर के राशि जारी कराया जाता है यह बात इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि सारे कार्यालय में अवध किशोर शर्मा ठेकेदार के नाम की चर्चा हो रही है कि उनके द्वारा फर्जी एफडीआर जमा किया गया एफडीआर में पेन से एसईसीएल लिखा गया और फिर उस पैसे को काम मिलने के बाद जारी करा लिया गया, जानकारों का कहना है जबकि यह पैसा तब तक जारी नहीं होता है जब तक काम खत्म ना हो जाए और एसईसीएल क्लीयरेंस न देदे, एसईसीएल साइन करके एफडीआर का प्रमाण पत्र वापस न कर दे।
एसईसीएल अपना गर्दन बचाने में लगी तो ठेकेदार का बचना भी तय
पूरे मामले में गलती सामने आने के बाद एस ई सी एल के अधिकारी अपनी गर्दन बचाने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है की अधिकारी अपनी गर्दन बचाने में यदि कामयाब हो जायेगें तो फिर ठेकेदार का भी बचना तय है। बता दें की मामला लंबी एफडीआर राशि का है और अमानत में खयानत का है। वैसे माना यह भी जा रहा है की इसमें मिलीभगत भी हो सकती है और पूरा खेल कंपनी को चुना लगाने के लिए किया जा रहा है। सब कुछ समाने आने के बाद भी यदि कार्यवाही नहीं हुई तो यही माना जायेगा की अधिकारी ठेकेदार को बचाने में लगे हैं।
विश्रामपुर में भी फर्जी एफडीआर का मामला सामने आ चुका
कुछ महीने पहले एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र में भी फर्जी एफडीआई का मामला सामने आया था जिसमें ठेकेदार ने कूटरचित तरीके से फर्जी एफडीआर लगाकर पैसे को रिलीज करा लिया था बाद में जांच में पता चला कि वह एफडीआर का सिर्फ प्रमाण पत्र ही एसईसीएल के पास जमा रह गया। इस मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे- इस मामले को लेकर जब एसईसीएल बैकुंठपुर के क्षेत्रीय वित्त अधिकारी को लगाया गया फोन तो वह ऐसा कुछ भी मामला नहीं है कहकर फोन काट दिये।


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