कोरिया@आरोपी ने भूमि के वारिसान पुत्र के जीवित होने के बावजूद बताया मृत,न्यायालय के निर्देश पर एफआईआर हुआ दर्ज

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-रवि सिंह-
कोरिया,25 मई 2024 (घटती-घटना)। राजस्व न्यायालय से जमीन मामले में न्याय हो जाए यह तो नामुमकिन सा लगने लगा है,इसके एक नई कई उदाहरण है लोगों का तो राजस्व न्यायालय से भरोसा ही उठ चुका है,यहां पर सिर्फ न्याय पैसे से मिलता है, तहसील एसडीएम या फिर कलेक्टर सभी के न्यायालय में राजस्व के कई मामले पड़े होंगे पर न्याय सत्य से ज्यादा असत्य के तरफ जाता है, इसकी वजह सिर्फ एक ही है पैसा जिसने पैसा दिया न्याय उसे तरफ, यह हम नहीं कहते यह पीडि़तों का कहना है, इसका एक उदाहरण फिर सामने आया है जब राजस्व न्यायालय से नहीं मिली न्याय तो फिर जिला न्यायालय की शरण में ही जाना न्याय का एकमात्र रास्ता, एक बार फिर एक पीडि़त में राजस्व से हारकर जिला न्यायालय पहुंचा जहां पर अपराध दर्ज के आदेश दिए गए, जिला प्रशासन से राहत नही मिलने के बाद फरियादी ने माननीय सीजेएम न्यायालय में परिवाद दायर किया, न्यायालय के निर्देश धारा 156 (3) के तहत बैकुण्ठपुर थाने में 5 आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 120 बी 465, 467, 468, 471 के तहत अपराध दर्ज हुआ है।
दरअसल,परिवादी अब्दुल कमाल के पिता स्व अब्दुल सुभान आ. वली मोहम्मद के नाम से ग्राम मझगवां में भूमि खसरा नंबर 20/1 रकबा 1.214 हे0 स्थित थी। परिवादी के पिता की मृत्यु वर्ष 2003 में हो चुकी है। परिवादी के पिता की मृत्यु के बाद परिवादी की भाभी हामिदा बेवा अब्दुल जमाल एवं परिवादी ने उक्त भूमि पर फौती नामान्तरण के लिए ग्राम पंचायत मझगवा में आवेदन प्रस्तुत किया था। जिस पर एक आरोपी की माँ जमीरन बी द्वारा आपत्ती किये जाने पर तत्कालीन हल्का पटवारी आरोपी वंदना कुजूर ने तहसील न्यायालय में नामांतरण प्रकरण विवादित होने का प्रतिवेदन देते हुए प्रकरण अग्रिम कार्यवाही के लिए तहसीलदार के यहाँ प्रस्तुत किया था। जिस पर तहसीलदार साहब ने राप्रक्र 41/अ-6/2012-13 दर्ज कर उक्त प्रकरण में आपत्ती को निरस्त कर प्रकरण दिनांक 13 मई 2014 को साक्ष्य के लिये नियत रखा था। तहसीलदार के आदेश के विरूद्ध आरोपी साबिर हुसैन व अन्य ने अपर कलेक्टर वैकुण्ठपुर के समक्ष पुनरीक्षण किया गया था, जिस पर दिनाक 18 जनवरी 2019 को सुनवाई करते हुए अपर कलेक्टर ने उनका पुनरीक्षण निरस्त कर दिया। तत्पश्चात् आरोपी साबिर हुसैन ने अपर आयुक्त के समक्ष पुनरीक्षण पेश किया गया था। जिस पर अपर आयुक्त न्यायालय में वाद भूमि के संबंध में आगामी सुनवाई तिथि तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया गया था। बाद में दिनांक 29 जून 2022 को पुनरीक्षण अदम पैरवी में खारिज कर दिया। इस तरह भूमि पर विवाद जारी था।
अपराध दर्ज होने के बाद 20 दिन से फरार है पटवारी वंदना कुजूर
पटवारी को किसका मिल रहा संरक्षण,अचार संहिता में कलेक्टर के परमिशन बिना नहीं मिल सकती छुट्टी, बड़े सालही में पदस्थ है पटवारी वंदना,रिकार्ड लेकर हुई गायब सूत्र,कोरिया जिले की बहुचर्चित महिला पटवारी वंदना कुजूर अचार संहिता लगे होने के बावजूद लगभग 20 दिनों से फरार है,महिला पटवारी का विवादों से पुराना नाता है,हर बार अधिकारियों के संरक्षण के कारण उसके हौसले इतना बुलंद हैं कि वह छोटे मोटे अधिकारी और जनप्रतानिधि को भी कुछ समझना नही चाहती। मन माफिक काम, विवाद, किसी मामले में फसाने की धमकी, नियम विरुद्ध काम और लोगो को परेशान करना यही उक्त पटवारी की पहचान है
21 नवम्बर को की थी कलेक्टर एसपी को शिकायत
परिवादी ने उक्त घटना की लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक कोरिया एवं कलेक्टर कोरिया को दिनांक 21 नवंबर 2023 को किया गया है, किन्तु पुलिस के द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। जिसके बाद परिवादी ने 156(3) के तहत न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, और माननीय न्यायलय के निर्देश पर अपराध दर्ज हुआ है। मामले में आरोपी जोहरा बीबी,(45) , साबिर (50),हल्का पटवारी वंदना कुजूर ( 32) राजाराम,( 60 वर्ष),और इश्ताक अहमद (50) के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया।
नामांतरण के आवेदन पर खुली पोल
अपर आयुक्त के यहाँ से प्रकरण निरस्त होने के बाद परिवादी व उसकी भाभी हमीदा ने पुनः पूर्व में दिये गये आवेदन पत्र व विचाराधीन प्रकरण के आधार पर नामान्तरण कार्यवाही के लिए प्रकरण प्रारंभ करवाया। तब उस प्रकरण में हल्का पटवारी से प्रतिवेदन मगाये जाने पर जानकारी हुई कि परिवादी के पिता की भूमि मंजू जायसवाल के नाम पर दर्ज है। जिस पर परिवादी तहसील कार्यालय व रजिस्ट्रार कार्यालय से सम्पूर्ण प्रकरण का नकल निकलवाया तो उसे पता चला कि एक आरोपी ने अपनी पत्नी जिसे पुलिस ने आरोपी बनाया है के नाम से परिवादी के पिता के नाम से एक फर्जी एवं कूटरचित वसीयतनामा अपने सहयोगी राजाराम और इश्ताक के साथ मिलकर षड़यंत्रपूर्वक तैयार करवा कर तथा परिवादी के पिता का कूटरचित हस्ताक्षर कर के अवैध रूप नामान्तरण करवा लिया गया है। तथा उक्त भूमि को मजू जायसवाल को विक्रय कर दिया है। तहसील न्यायालय से प्रकरण की नकल निकलवाने पर यह भी जानकारी हुई कि तत्कालीन हल्का पटवारी ने तहसीलदार के समक्ष अपने पद का दुरूपयोग करते हुए आरोपियों को प्रभावित होकर बिना सत्यता की जाँच किये अब्दुल सुभान के वारिसानो की झूठी जानकारी व पंचनामा पेश किया है।
वारिसों को बताया मृत
एक आरोपी ने वारिसानों की जानकारी प्रतिवेदन में अब्दुल सुभान के पुत्रो को मृत होना बताते हुए अब्दुल सुभान के कोई वारिसान वर्तमान में जीवित नहीं है, लेख कर प्रतिवेदन पेश किया है, जबकि अब्दुल सुभान के पुत्र परिवादी स्वयं जीवित है एवं अब्दुल सुभान के मृत पुत्र अब्दुल जमाल की बेवा हमीदा वी जीवित है। एक आरोपी जो कि नामान्तरण कार्यवाही में शुरू से लेकर अब तक आपत्तीकर्ता के रूप में एवं आवेदक के रूप में विभिन्न न्यायालयों में परिवादी एव उसकी भाभी हमीदा के विरूद्ध केस करता रहा है उसे सभी तथ्यों की भली भांति जानकारी थी, उसने न्यायालय को गुमराह करते हुए आरोपीगण के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र करते हुए परिवादी के पिता की मृत्यु के बाद फर्जी वसीयत बनवाकर तथा फर्जी हस्ताक्षर कर उनकी मृत्यु के 15 वर्ष पश्चात् परिवादी के पिता की जमीन को अपनी पनी के नाम करवा कर बिक्री कर दिया है।


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