- क्या प्रभावशील लोगों की कठपुतली बना हुआ है जिले की कानून व्यवस्था?
- घायल व्यक्ति को चोट से जान का भी खतरा…वहीं आरोपी को संरक्षण देकर गंभीर धाराओं से भी बचाया गया और गिरफ्तारी से भी बचाया जा रहा है?
- गंभीर रूप से व्यक्ति हुआ घायल इस के बावजूद भी पुलिस ने गंभीर धारा क्यों नहीं लगाया अनिल राजवाड़े के विरुद्ध यह है बड़ा सवाल?
- आखिर आरोपी कितनी पहुंच वाला है की मेडिकल रिपोर्ट भी घायल का बनाने से कतरा रहे थे डॉक्टर?
- बैकुंठपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर कलावती ने मेडिकल करने से किया मना,घायल के परिजनों का है आरोप
- अंबिकापुर पहुंचा घायल लेकिन वहां भी डॉक्टर नहीं कर रहे थे मेडिकल…फिर शिकायत के बाद अंबिकापुर सीएमएचओ ने करवाया मेडिकल पीडि़त के परिजनों का यह भी है आरोप
- घायल पीडि़त की स्थिति खराब फिर भी अंबिकापुर से अन्य अस्पताल रेफर करने के बजाय पीडि़त पर समझौता का बना रहे डॉक्टर दबाव
-रवि सिंह-
कोरिया,24 मई 2024(घटती-घटना)। क्या वर्तमान सरकार में भी अपराधियों को संरक्षण मिलेगा ऐसे सवाल इसलिए फिर उठ खड़े हुए हैं क्योंकि एक मामला बैकुंठपुर विधानसभा से सामने आया है वह भी स्थानीय विधायक के गृह ग्राम से…यहां पर अनिल राजवाड़े नाम के व्यक्ति ने एक ढाबा संचालक के ऊपर पत्थर से हमला कर दिया है जिसमें ढाबा संचालक गंभीर रूप से घायल हो गया है, उसे 17 टांके लगे हैं सिर में और खून से वह लहूलुहान हो गया,पर जहां अनिल राजवाड़े जिसके ऊपर गंभीर चोट पहुंचाने का आरोप है, जहां उसके ऊपर गंभीर धाराएं लगनी चाहिए थीं वहां पर धारा तो छोड़ उसकी गिरफ्तारी तक पुलिस अभी तक नहीं कर पाई है, आखिर अनिल राजवाड़े कितना पहुंच वाला आदमी है यह इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, वैसे अनिल राजवाड़े एक विधायक को अपना रिश्तेदार बता रहे हैं क्या इसी प्रभाव में उनके ऊपर जहां जान से मारने का प्रयास के अंतर्गत की धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध होना था वह नहीं हो पाया? क्या सही में वर्तमान सरकार में अनिल राजवाड़े किसी स्थानीय निर्वाचित जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार हैं जिस वजह से पीडि़त को न्याय दिलाने की बजाए आरोपी को बचाने का प्रयास हो रहा है?
मिली जानकारी के अनुसार कोरिया जिले के चरचा पुलिस थाना से महज 3 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राज्यमार्ग 43 पर जिला संयुक्त कार्यालय के बिल्कुल समीप आमने सामने दो ढाबा संचालित हैं और जिनमे से एक ढाबे में उसके संचालक के साथ गाड़ी खड़ा करने को लेकर अनिल राजवाड़े नामक युवक एवं उसके साथियों के साथ एक ढाबा संचालक का विवाद हुआ, जिसके बाद अनिल राजवाड़े ने ढाबा संचालक के ऊपर प्राणघातक हमला कर दिया और बड़े से पत्थर से ढाबा संचालक का सिर फोड़ दिया वहीं जब ढाबा संचालक और उसके परिजन मामले की शिकायत लेकर पुलिस थाने पहुंचे तब पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया और जहां आरोपी अनिल राजवाड़े पर गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज करना था पुलिस ने मामले को आम और छोटा मामला ही बनाने का प्रयास किया वहीं मामूली मारपीट की धाराएं ही स्थानीय चरचा पुलिस ने आरोपी पर लगाए। वैसे मामले में जब घायल गंभीर रूप से घायल ढाबा संचालक को लेकर उसके परिजन जिला चिकित्सालय पहुंचे और डॉक्टरी मुलाहिजा की बात कही तो जिला चिकित्सालय में पदस्थ और उस समय उपस्थित चिकित्सक डॉक्टर कलावती पटेल ने गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का डॉक्टरी मुलाहिजा करने से भी मना कर दिया और घायल का बाद में अंबिकापुर में जाकर डॉक्टरी मुलाहिजा संभव हो सका और वह भी तब जब घायल के परिजनों द्वारा पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज को लिखित आवेदन दिया गया और मामले में कार्यवाही की मांग की गई।
चोट गंभीर होने के बावजूद अंबिकापुर जिला अस्पताल पीडि़त को बाहर रेफर क्यों नहीं कर रहा है,समझौता का दबाव क्यों बना रहा है?
पीडि़त ढाबा संचालक के परिजनों की माने तो ढाबा संचालक के सिर की चोट गंभीर है और जिसका इलाज अंबिकापुर जिला अस्पताल में चल रहा है। अंबिकापुर जिला चिकित्सालय द्वारा गंभीर रूप से घायल ढाबा संचालक को अन्य उच्चतर केंद्र इलाज के लिए रेफर भी नहीं किया जा रहा है और आरोपियों से समझौते का दबाव बनाया जा रहा है यह भी पीडि़त ढाबा संचालक के परिजनों का आरोप है। वैसे समझौते के लिए कौन अस्पताल प्रबंधन पर दबाव बना रहा है और कौन घायल ढाबा संचालक के अच्छे इलाज के बीच रोड़ा बन रहा है यह भी एक बड़ा सवाल है गंभीर मसला है क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्याय के लिए यदि प्रभावशील होना ही महत्वपूर्ण है तो यह गंभीर हो जाता है लोकतंत्र के हिसाब से कानून व्यवस्था के हिसाब से।
खुले आम राष्ट्रीय राज्यमार्ग के ढाबों में शराब परोसी जा रही है और शराब पीकर ही विवाद भी हो रहे हैं…
वैसे मामला 12 मई का है और घटना को घटे लंबा समय भी बीत चुका है वहीं घटना के संबंध में पीडि़त ढाबा संचालक के परिजनों द्वारा सीसीटीवी फुटेज भी प्रदान की गई है जो एक बड़ा साक्ष्य है पुलिस के पास बावजूद इसके चरचा पुलिस केवल इसलिए पीडि़त को न्याय नहीं दिला पा रही है क्योंकि मामला निर्वाचित सााधारी जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है। वैसे मामला जो सबसे बड़ा है वह यह है की खुलेआम राष्ट्रीय राज्यमार्ग के ढाबों में शराब परोसी जा रही है और शराब पीकर ही विवाद भी हो रहे हैं और ढाबा संचालकों के विरुद्ध कार्यवाही करने से पुलिस बच रही है। वैसे इस मामले में जो ढाबा संचालक गंभीर रूप से घायल है उसके परिजनों का आरोप है की केवल वाहन खड़ा करने से मना करने पर उसके समाने वाले ढाबा संचालक ने यह विवाद बढ़ाया और अपने ढाबा में बैठे युवकों को उकसाया जो नशे में थे और जिसके बाद युवकों ने ढाबा संचालक की पिटाई की और उसके ऊपर जानलेवा हमला किया। यह ढाबा संचालकों की आपसी प्रतिस्पर्धा भी मानी जा सकती है जिसकी वजह से यह घटना घटी।
क्या इतना प्रभावशील है अनिल राजवाड़े जिस वजह से डॉक्टर भी मुलाहिजा करने से बच रहे थे?
ढाबा संचालक पर जानलेवा हमला करने वाला अनिल राजवाड़े कौन है क्या वह इतना प्रभावशील है की डॉक्टर भी उससे भयभीत थे यह एक सवाल खड़ा हो रहा है मामले में। पीडि़त ढाबा संचालक जिसके ऊपर जानलेवा हमला किया गया है अनिल राजवाड़े के द्वारा के परिजनों का यह आरोप है की जब घायल अवस्था में उन्होंने ढाबा संचालक को जिला चिकित्सालय पहुंचाया और डॉक्टरी मुलाहिजा की बात की तो ड्यूटी में तैनात तत्कालीन डॉक्टर कलावती पटेल के द्वारा डॉक्टरी मुलाहिजा करने से मना कर दिया गया। बताया जा रहा है की बैकुंठपुर जिला चिकित्सालय में मुलाहिजा हुआ ही नहीं। इस बात से यह भी सवाल उठता है की क्या अनिल राजवाड़े इतना बड़ा नाम है इतना प्रभावशील है की उसे बचाने के लिए डॉक्टर अपना मूल कर्तव्य भी परित्याग योग्य समझ रहे हैं। वैसे छोटे छोटे मारपीट के मामले में दिनभर मुलाहिजा लिखने वाले डॉक्टरों ने जानलेवा हमला मामले में क्यों मुलाहिजा नहीं किया यह बड़ा सवाल है? क्योंकि यदि पीडि़त ढाबा संचालक के परिजनों द्वारा उपलध कराए गए साक्ष्य सही हैं तो यह भी कहना गलत नहीं होगा की प्रभावशील लोगों की कठपुतली बना हुआ है जिले का कानून व्यवस्था और उसके अन्य अंग।
गंभीर चोट होने के बावजूद 307 क्यों नहीं लगा?
पीडि़त ढाबा संचालक जो गंभीर रूप से घायल है जिसके ऊपर प्राणघातक हमला किया गया यह उसके चोट चीख चीखकर कह रहे हैं उसके बावजूद उसे घायल करने वाले आरोपियों के विरुद्ध जान से मारने के तहत अपराध दर्ज नही किया गया। मामला साफ तौर पर धारा 307 कायम करने का था और पीडि़त खुद यह आरोप लगा रहा है उसके चोट भी गंभीर हैं तो फिर पुलिस ने क्यों नहीं धारा 307 के तहत मामला पंजीबद्ध किया? क्या पुलिस के ऊपर भी प्रभावशील होने का दबाव डाला गया जिसके कारण पुलिस ने मामूली मारपीट की घटना का मामला पंजीबद्ध किया? वैसे सीसीटीवी फुटेज साफ तौर पर दर्शा रहा है की दोष किसका है और नशे के हालात का भी वह बयान कर रहा है फिर भी चरचा पुलिस क्यों मामले को दबाने में लगी हुई है सवाल खड़ा होता है। क्या मामले में पीडि़त को न्याय पाने के लिए जनप्रतिनिधि का रिश्तेदार साबित करना खुद को अनिवार्य है यह भी एक सवाल है।
जिस ढाबा के सामने मारपीट वहां रात के अंधेरे में बैठकर पुलिस क्या कर रही थी?
आरोप पुलिस पर यह भी लग रहा है की पुलिस आरोपी को पूरी तरह बचाने में लगी हुई है। यह आरोप घायल ढाबा संचालक के परिजनों के द्वारा लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है की जिस ढाबा संचालक के साथ मारपीट हुई है उसके ठीक सामने वाले ढाबे में पुलिस रात के अंधेरे में घटना के बाद बैठी थी। अब पुलिस जिसने मामले में पूरी तरह प्रभावशील व्यक्ति के पक्ष में कार्यवाही की दिशा तय की वह उस ढाबे में रात के अंधेरे में क्या कर रही थी जिसके ऊपर भी जिस ढाबा संचालक के ऊपर भी उकसावे का आरोप घायल ढाबा संचालक के परिजन लगा रहे हैं। पुलिस क्या उक्त ढाबा में बैठकर मामले में कोई और तैयारी कर रही है मामले को प्रभावशील मारपीट सहित जानलेवा हमला करने वाले के पक्ष में करना चाह रही है यह भी सवाल उठ रहा है यदि बातों में आरोपों में सच्चाई है।
क्या एक डॉक्टर का बेटा भी था शामिल जिस वजह से डॉक्टर ने नहीं किया मुलाहिजा?
पूरे मामले में क्या जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक डॉक्टर का बेटा भी मारपीट जानलेवा हमले मामले में शामिल था जिस वजह से जिला चिकित्सालय की डॉक्टर ने डॉक्टरी मुलाहिजा गंभीर रूप से घायल ढाबा संचालक का नहीं किया। पीडि़त ढाबा संचालक के परिजनों का यह भी आरोप है। वैसे यदि डॉक्टर का बेटा भी मामले में शामिल था और उसके कारण ही डॉक्टर ने पीडि़त और गंभीर रूप से घायल ढाबा संचालक का मुलाहिजा नहीं किया तो यह गंभीर मामला है और चिकित्सकीय पेशे के बिलकुल विपरीत कार्य है। डॉक्टर को अपना काम करना था ईमानदारी से भले ही उसका बेटा मामले में शामिल था तब वह अपने पेशे से न्याय करता यह कहना सही होगा।