नई दिल्ली@21 साल बाद पृथ्वी से टकराया सबसे मजबूत सौर-तूफान

Share


नई दिल्ली,12 मई 2024 (ए)।
एक मजबूत सौर तूफान हमारी पृथ्वी से टकराया है। इस तूफान को भू-चुंबकीय तूफान के नाम से जाना जाता है। इस तूफान का असर नेविगेशन, संचार और रेडियो सिग्नलों पर पड़ सकता है।इस तूफान को 2003 के बाद से सबसे खतरनाक तूफान माना जा रहा है। इसी कड़ी में स्टारलिंक सैटेलाइट के ऑनर एलन मस्क ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से एक लेटेस्ट पोस्ट जारी किया है। एलन मस्क अपने इस पोस्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान को एक बड़ा तूफान बताते हैं। वे कहते हैं कि यह लंबे समय बाद एक बड़ा तूफान है। स्टारलिंक सैटेलाइट बहुत दबाव में है। हालेांकि, हम अभी भी टिके हुए हैं। मस्क अपने इस पोस्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान का तीन घंटों का डेटा शेयर करते हैं, जो कि 9 मई 2024 को शुरू हुआ था। मस्क ने स्पेस वैदर प्रिडिक्शन का चार्ट दिखाया गया है। इस चार्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान की फ्रिम्ेंसी दिखाई गई है।
एनओएए के अनुसार, इंसान सोलर साइकिल 25 के पीक के बेहद करीब हैं। यह 11 साल में घटने वाले ऐसा समय है जब सूरज अपने उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों फ्लिप करता है। इस दौरान बहुत सी अंतरिक्ष और मौसम से जुड़ी घटनाएं घट सकती हैं। इस स्थिति को सोलर मैक्सिमम भी कहा जाता है। एनओएए भू-चुंबकीय तूफानों को जी1 से जी 5 तक के स्केल पर रैंक करता है। इस रैंक के साथ कमजोर और सबसे छोटे तूफान से लेकर सबसे बड़े तूफान को दिखाया जाता है। जहां जी1 को कमजोर और जी 5 को सबसे बड़ा तूफान माना जाता है।दरअसल, सूरज की सतह पर कोरोनल मास इजेक्शन यानी विशाल विस्फोट होते हैं। इस विस्फोट के साथ ऊर्जावान कणों की धाराएं अंतरिक्ष में पहुंचती है। यही कण जब पृथ्वी तक पहुंचते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा करते हैं। इस स्थिति को ही भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है।


. इन तूफान का सीधा असर कम्युनिकेशन सिस्टम, जीपीएस और इलेक्टि्रसिटी पर पड़ सकता है।
. जी 5 तूफान की वजह से कई घंटों तक हाई फ्रीम्ेंसी रेडियो ब्लैकआउट की घटना घट सकती है।
. इन तूफान का असर पावर सप्लाई में भी देखा जा सकता है


Share

Check Also

सूरजपुर@अपराधों को जन्म दे रही भाजपा सरकारः भगवती राजवाड़े

Share भाजपा सरकार की प्रशासनिक लापरवाही एवं बलरामपुर में पुलिस प्रताड़ना से हुई मौत के …

Leave a Reply