- आखिर डिप्टी कलेक्टर में कमियों के बावजूद जांच समिति ने कैसे कर दिया तबादला निरस्त?
- क्या समिति भी प्रभावशील डिप्टी कलेक्टर के सामने हो गई नतमस्तक या फिर किसी मंत्री के कहने पर स्थानांतरण किया गया निरस्त?
-राजा मुखर्जी-
कोरबा,02 मई 2024 (घटती-घटना)। जिले की एक डिप्टी कलेक्टर ने अपना तबादला आखिर रुकवा ही लिया। हमेशा सुर्खियों में रहने वाली खासकर नौकरी के आरंभ से ही सुर्खियां बटोरने वाली डिप्टी कलेक्टर ऋचा सिंह जिनका तबादला ऐन चुनाव के पूर्व कोरबा जिले से कोंडागांव के लिए हुआ था को निरस्त कर दिया शासन ने। शासन ने तबादला संदर्भ में एक समिति बनाई थी जो जांच कर और आवेदनों पर विचार कर तबादला निरस्त करने के लिए बनाई गई थी उस समिति ने ही डिप्टी कलेक्टर का तबदला निरस्त कर दिया। वैसे जांच समिति ने ऐसे डिप्टी कलेक्टर का तबादला कैसे निरस्त किया जिसकी सुर्खियां पूरे प्रदेश में है वहीं सरगुजा संभाग में जिनकी सुर्खियां सबसे ज्यादा हैं।
पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है की डिप्टी कलेक्टर ऋचा सिंह जब तहसीलदार थीं तब वह सरगुजा संभाग में थीं और तब कांग्रेस का शासनकाल था प्रदेश में और तब भी उनकी तूती बोलती थी व्यवस्था में और अब जब भाजपा शासनकाल है तब भी उनकी ही तूती बोल रही है और वह जैसा चाह रही हैं वैसा ही हो रहा है। सूत्रों की माने तो डिप्टी कलेक्टर ऋचा सिंह एक ऐसी अधिकारी हैं जिनकी कई विभागीय जांच लंबित है और जिन मामलों में उन्हे एक बार पदोन्नति से भी चुकना पड़ा था लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस शासनकाल में ही जुगाड भिड़ाकर अपनी पदोन्नति करा ली थी वहीं उन्होंने तब मनचाही ही पदस्थापना ली थी जो कोरबा जिला था क्योंकि कोरिया में कार्यरत रहते हुए क्षेत्रीय सांसद से उनके संबंध मधुर थे और तब सांसद सााधारी दल की थीं और उन्होंने मदद की थी जैसा सूत्रों का कहना है वहीं अब जब सत्ता भाजपा की है उन्होने भाजपा नेताओं से भी बेहतर संबंध बना लिए हैं और वह उन्हे भी अपना तबादला रुकवाने में इस्तेमाल कर चुकी हैं ऐसा बताया जा रहा है। कुल मिलाकर जिसकी भी सत्ता होगी ऋचा सिंह डिप्टी कलेक्टर की तूती बोलती ही रहेगी।
क्या कार्यालय कलेक्टर कोरबा द्वारा डिप्टी कलेक्टर ऋचा सिंह को भारमुक्त करने का जारी आदेश दिखावा मात्र रह गया था?
अब इसमें यह भी एक पक्ष या मामला हो सकता है की कार्यालय कलेक्टर कोरबा द्वारा डिप्टी कलेक्टर ऋ चा सिंह को भारमुक्त करने का जारी आदेश दिखावा मात्र हो और भारमुक्त करने का दिखावा करके शासन के आदेश को ही अमान्य किया गया हो जबकि डिप्टी कलेक्टर भारमुक्त होकर भी कटघोरा की अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बनी हुई हों, वहीं एक पक्ष या मामला यह भी हो सकता है की भारमुक्त होकर भी वह पुराने मामले निपटाने में लगी हुई हों और जिसके तहत ही उन्होंने भारमुक्त तिथि के बाद भी आदेश जारी कर दिया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा जिला कोरबा की हैसियत से डिप्टी कलेक्टर ऋ चा सिंह जिनका तबादला कोंडागांव किया गया है और कलेक्टर कार्यालय ने भारमुक्त भी कर दिया है ने एक पटवारी को आदेशित किया है जिसमे एक भूमि का रकबा दुरुस्त करने का उन्होंने आदेश जारी किया है। अब भारमुक्त होकर वह या तो अभी भी कटघोरा की एस डी एम हैं या वह मनमानी के तहत आदेश जारी कर रही हैं जो उनकी पुरानी आदत रही है।
जहां-जहां कार्य कर चुकी हैं उक्त महिला राजस्व अधिकारी,वहां-वहां मनमानी का उनका रहा है इतिहास
कोरबा जिले की जिस महिला राजस्व अधिकारी को लेकर यह मामला समाने आया है वह अपने नौकरी के आरंभ काल से ही अपनी मनमानी के लिए प्रसिद्ध रही हैं,वह जहां-जहां कार्य कर चुकी हैं वहां-वहां वह अपनी दोषपूर्ण कार्यप्रणालियों को लेकर सुर्खियों में ही रही हैं। राजस्व मामलों में उनकी मनमानी हर जगह देखने को मिली है। सरगुजा संभाग में वह जहां जहां रहीं वहां वहां लोग राजस्व मामलों में परेशान ही रहे वहीं अब कोरबा जिले में भी अपनी मनमानी कायम रखे हुए हैं जो देखने को मिल रहा है।
कोरबा ना छोड़ना पड़े इसके लिए हो रहा पूरा प्रयास राजनीतिक पैरवी भी जारी
कोरबा से महिला राजस्व अधिकारी ऋ चा सिंह नहीं जाना चाहती हैं, वह पूरी पैरवी करा रही थी जिससे उन्हे कोरबा न छोड़ना पड़े। वैसे फिलहाल वह भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हे प्रभाव और झांसे में वह लेने का प्रयास कर रही थी और सफलता भी मिली स्थानांतरण निरस्त कर यथावत का आदेश दिया गया, जबकि उनको लेकर यह सर्वविदित है की वह कांग्रेस पार्टी की मानसिकता से प्रेरित रही हैं जो कांग्रेस शासनकाल में लगातार देखने को मिला था और तब उन्हे कांग्रेस नेताओं का काफी संरक्षण भी मिला करता था वहीं कई शिकायत और कई गंभीर आरोपों साथ ही जांच के बावजूद उनकी पदोन्नति भी कांग्रेस शासनकाल में ही संभव हुई थी जो शायद नियम से होनी नहीं थी जब तक जांच संस्थित थी। वैसे इनकी पदोनाी काफी गोपनीय तरीके से हुई कांग्रेस शासनकाल में और मामले को इसलिए छिपाया गया क्योंकि तब महिला अधिकारी कई गभीर आरोपों से घिरी हुई थीं।
क्या राज्य निर्वाचन अधिकारी भी नहीं ले सके इस मामले में संज्ञान?
पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है की यह महिला राजस्व अधिकारी चुनाव आयोग के ही आदेश को चुनौती दे रही है वहीं यह चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत जारी तबादला आदेश की अवहेलना कर रही है। बता दें की महिला राजस्व अधिकारी ऋचा सिंह का तबादला चुनाव आयोग के निर्देश के तहत हुआ है और वह उसके बाद भी कोरबा जिला नहीं छोड़ना चाहती हैं क्योंकि उनकी पदस्थापना कोरबा जिले में वर्तमान सांसद के प्रयासों से कोरिया जिले की पूर्व कांग्रेस विधायक के कहने पर हुआ था और वर्तमान में वही सांसद कांग्रेस प्रत्याशी भी हैं। बताया जा रहा है की पूर्व कांग्रेस विधायक जिनसे महिला राजस्व अधिकारी को घनिष्ठता थी के एहसान जो उनकी तब पदस्थापना को लेकर उन्होंने की थी को राजस्व अधिकारी उतारना चाहती हैं और कांग्रेस की कोरबा लोकसभा प्रत्याशी की वह मदद करना चाहती हैं इसलिए वह कोरबा जिला नहीं छोड़ना चाहती हैं। अब निर्वाचन आयोग भी इस मामले में संज्ञान नहीं ले पाया?
स्थानांतरण के पश्चात 15 मार्च को हुई भारमुक्त…भारमुक्त होने के पश्चात पश्चात 19 मार्च को एक प्रकरण में कर दिया आदेश,क्या नही होनी चाहिए कार्यवाही?
बता दें की कोरबा जिले में पदस्थ रह चुकी डिप्टी कलेक्टर साथ ही कटघोरा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जिनका मार्च माह में कोरबा जिले से कोंडागांव जिले के लिए तबादला कर दिया गया था वहीं जिन्हे विभाग द्वारा 15 मार्च को ही जिले से भारमुक्त कर दिया गया था की एक नई मनमानी सामने आई है जिसमे उन्होंने 19 मार्च को एक आदेश जारी कर दिया है वह भी बतौर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा की हैसियत से जबकि उन्हे कार्यालय कलेक्टर कोरबा द्वारा 15 मार्च को ही नई पदस्थापना के लिए कोंडागांव जिले के लिए भारमुक्त कर दिया गया है। पूरे मामले में प्रथम दृष्टया जारी आदेश को जो अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा की हैसियत से स्थांतरित डिप्टी कलेक्टर ने जारी किया है को देखकर यही कहा जा सकता है की यह कहीं न कहीं बड़ी मनमानी है और यह शासन से जारी तबादला आदेश की अवहेलना है साथ ही कार्यालय कलेक्टर कोरबा के उस आदेश की भी अवहेलना है जिसके तहत डिप्टी कलेक्टर साथ ही कटघोरा की अनुविभागीय अधिकारी राजस्व वह भी वह अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जिनका तबादला कोंडागांव किया गया है को जिले से भारमुक्त किया है। सवाल यह है की क्या इस गलती पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?
पर्व शासनकाल में कांग्रेस विधायक की थीं खास,उनके कारण सांसद की भी थीं करीबी,क्या इसीलिए कोरबा में मिला था उन्हे कार्य करने का मौका?
महिला राजस्व अधिकारी कांग्रेस शासनकाल में कोरिया जिले की एक विधायक की करीबी थीं वहीं उनके प्रभाव के कारण वह कांग्रेस शासनकाल में अपनी मनमानियों के लिए काफी प्रसिद्ध थीं,तब वह राजस्व प्रकरणों में फरियादियों को लगातार परेशान किया करती थीं जिसके कारण उनकी कई बार शिकायत भी हुई वहीं उनके कार्यकाल में तब भूमाफिया भी काफी फले फूले,अपने रिश्तेदारों के नाम से भी उन्होंने कई जगह जमीन बनाई यह भी उनके ऊपर आरोप लगा। वही कांग्रेस की महिला विधायक के साथ घनिष्ठता की वजह से उनकी पहचान और घनिष्ठता तब महिला सांसद से भी हुई और इसलिए उन्हे कोरबा जिले में पदस्थापना मिली यह माना जाता है। सत्ता परिवर्तन के बाद अब वह भाजपा शासनकाल में भी मनमानी करती नजर आ रही हैं । वैसे तब उनके कारण कांग्रेस विधायक और सांसद की भी आलोचना हुई थी और ऐसा ही रहा तो अब भाजपा नेताओं की भी आलोचना होगी क्योंकि महिला राजस्व अधिकारी राजस्व मामलों में काफी शातिर तरीके से काम करने में माहिर हैं और फरियादियों को परेशान करना राजस्व मामलों के उनकी आदत रही है।